यूपी शिक्षामित्र एनसीटीई ने हाईकोर्ट में साफ कहा था की हमने 14 जनवरी
20011 को ट्रेनिग का आदेश 124000 के लिए जारी किया था लेकिन स्नातक
शिक्षामित्रो के लिए बीटीसी का आदेश जारी किया था हमे यह नही बताया गया की
यह इंटर पर लगे संविदा कर्मी है हमसे तथ्यों से छुपा कर अनुमति ली गई।
एनसीटीई नियमानुसार सेवामे आने के बाद जिसने भी स्नातक किया है वह इंटर ही
माना जायेगा सेवारत को योग्यता बढ़ाने का मतलब अप्रशिक्षित के लिए प्रशिक्षण
से है। शैक्षिक योग्यता बढ़ाने से नही राज्य सरकार ने अपने अनुसार छूट की
व्यख्या की उसी का नतीजा है की आज सभी एक लाइन में खड़े है। सुप्रीमकोर्ट
में भी सरकार ने यही कहा था की 23 अगस्त 2010 से पहले सभी स्नातक कर चुके
है। सभी बीटीसी का प्रशिक्षण ले चुके है। इनमे से 20 हजार के लगभग टेट पास
कर चुके है। इन सब दलीलो को सुनने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने योग्य नही
माना और सभी को खुली भर्ती में एनसीटीई के नियमानुसार योग्यता होने पर दो
मौके दिये अब इस आदेश को लोग समझ नही पा रहे और रोज नई मांगे सरकार से करते
है। 31 मार्च 2015 से पहले इंटर पर नर्सरी टीचर ट्रेनिग होता है उसमे
योग्यता मानक इंटर था ऐसे अध्यापक नर्सरी से 5 तक की भर्ती में रखे जा सकते
थे। अब 31 मार्च 2015 के बाद नर्सरी टीचर की योग्यता मानक भी स्नातक +
ट्रेनिग+टेट लागू किया जा चुका है इस प्रकार के भर्ती के लोग कभी जूनियर
स्कूल में प्रमोशन के पात्र नही होते है। उसके लिए विभाग इन्हे एक लिखित
परीक्षा से गुजार कर ही प्रमोशन पर प्राइमरी का हेड य जूनियर का सहायक
अध्यापक बना सकता है। नियमो के अनुसार प्राइमरी का हेड नर्सरी टीचर लिखित
परीक्षा के बगैर नही बन सकता है। अध्यापक भर्ती वर्तमान में गतिमान है।
लेकिन प्राइमरी स्तर की ही गतिमान है। मतलब की 1 से 5 की भर्ती इससे पहले
जो भर्ती होती थी वह 1 से 8 के लिए होती थी। बगैर नियमो को जाने कही से जीत
नही मिल सकती है। सरकार और कोर्ट पर आरोप ही लगाते रह जायेगे।
-देवेन्द्र प्रताप सिंह कुशवाहा, शाहजहाँपुर