11 वर्ष बाद चयन बोर्ड की चौखट पर आया फर्जी अंक पत्र के आधार पर शिक्षिका बनने का प्रकरण

इलाहाबाद : फर्जी अंक पत्र के आधार पर शिक्षिका बनने का प्रकरण 11 वर्ष बाद फिर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की चौखट पर पहुंचा है।
अब इस पूरे प्रकरण की जांच कराकर सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है। सेवा समाप्ति के नौ वर्ष बाद जिला विद्यालय निरीक्षक इलाहाबाद की ओर से शिक्षिका को बहाल करने पर जवाब-तलब करने की भी तैयारी है।1आरपी रस्तोगी इंटर कालेज मलाक हरहर इलाहाबाद में नीलू देवी मिश्र ने मई 2005 में सामाजिक विज्ञान अध्यापिका के रूप में ज्वाइन किया था। उनका चयन 2004 में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने ही किया था। कालेज प्रधानाचार्य उदय नारायण त्रिपाठी को शिक्षिका के प्रमाणपत्रों पर शक हुआ। बीएड अंक पत्र की जांच में कानपुर विश्वविद्यालय ने उसे फर्जी करार दिया। इतना ही नहीं शिक्षिका की ओर से दिया गया प्रमाणपत्र व चयन बोर्ड में सौंपा गया प्रमाणपत्र भी बेमेल निकला। उसी समय 27 अगस्त 2007 को ही चयन बोर्ड को पत्र लिखकर अनुरोध किया गया कि शिक्षिका का चयन निरस्त कर दिया जाए। चयन बोर्ड ने इस पर उत्तर नहीं दिया। बाद में संयुक्त शिक्षा निदेशक चतुर्थ मंडल इलाहाबाद के निर्देश पर थाने में एफआइआर हुई और 2009 में सेवा समाप्ति कर दी गई। अब इलाहाबाद के जिला विद्यालय निरीक्षक ने शिक्षिका को फिर से बहाल कर दिया है। 11 वर्ष बाद यह प्रकरण मंगलवार को फिर चयन बोर्ड पहुंच गया है। सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने इस मामले की जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उनका यह भी कहना है कि चयन बोर्ड परीक्षा संस्था है वह योग्य अभ्यर्थियों को चयनित करके कालेजों में भेजता है, वहां ज्वाइन करने वालों के अभिलेख जांचने का कार्य संबंधित कालेज को ही करना होता है। उसके बाद ही वेतन जारी होता है। यदि गड़बड़ी मिले तो वह कालेज ही विभागीय अफसरों को अवगत कराकर सीधे कार्रवाई करता रहा है।