आवेदन की अंतिम तिथि 31 जुलाई थी। हालांकि विभाग की कहना है कि आनलाइन आवेदन में जानकारी कमी से आवेदन कम हुए हैं। जनपद में लगभग तीन हजार परिषदीय विद्यालय (प्राथमिक और जूहा स्कूल) हैं। इनमें 14196 शिक्षक-शिक्षिकाएं पढ़ाते हैं। यह पुरस्कार पाने के लिए कड़े नियमों पर खरा उतरना होता है। जैसे तय वर्षों तक एक ही पोस्ट पर तैनाती, उत्कृष्ट कार्य के प्रमाणपत्र, कार्यकाल के दौरान निलंबन न होना, प्रतिकूल प्रविष्टि और अन्य कार्रवाई न होना, शत-प्रतिशत छात्र संख्या, और परिणाम तथा सीआर (कैरेक्टर रोल) साफ-सुथरा होना होना चाहिए। सूबे की सरकार की ओर से प्रत्येक जिले से न्यूनतम एक शिक्षक का नाम सम्मान के लिए भेजने पर जोर दिया गया था। आवेदन की अंतिम तिथि 31 जुलाई थी। जिले से मात्र एक ही शिक्षक का नाम नहीं भेजा जा सका है। वो भी शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। भले ही जनपद में तैनात शिक्षक पुरस्कार की कसौटी पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं, लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी का कहना है कि सभी बीईओ से आवेदन प्राप्त करने के निर्देश दिए गए थे। आनलाइन आवेदन में जानकारी की कमी से ज्यादा आवेदन नहीं मिले।
-समय का सदुपयोगी, योजना बनाकर विषय अनुसार ज्ञान प्रदान करने वाला।
-अध्यापक में धैर्य और सहनशीलता होनी चाहिए।
-मृदुभाषी, ऐसी वाणी कि बच्चे प्यार करें।
-अनुशासन सिखाने वाला हो शिक्षक।
-धर्म, संस्कृति, संगीत और धार्मिक त्योहार का जानकार।
प्रमाणपत्रों ने अटकाया सम्मान
शिक्षक अजय राय ने बताया कि पुरस्कार के नियम काफी कड़े हैं। अब नये शिक्षकों की बैच आ चुकी है। ये शिक्षक अभी पुरस्कार के लिए योग्य नहीं हैं। इसीलिए आवेदन कम हुए होंगे। जरूरी प्रमाणपत्र नहीं मिलने से भी आवेदन की संख्या में कमी होती है।
आदर्श शिक्षक के लिए मात्र एक ही पुरस्कार आया है। वो भी सेवानिवृत्त हैं। सभी से आवेदन मांगे गए थे। आनलाइन आवेदन की जानकारी कम होने से भी आवेदन कम आया है।
देवेंद्र कुमार पांडेय, बीएसए