मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता
में मंगलवार दोपहर कैबिनेट की बैठक हुई। इसमें सबसे पहले सीएम ने पूर्व
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक प्रस्ताव पढ़ा फिर सभी ने
दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बैठक में नौ प्रस्तावों पर
मुहर लगा दी गई है। इस दौरान वित्त वर्ष 2018-19 के अनुपूरक बजट को भी
मंजूरी दी गई।
कैबिनेट बैठक में अटलजी के देश-दुनिया व विशेष तौर पर यूपी
के प्रति किए गए विशेष योगदानों का उल्लेख करते हुए शोक प्रस्ताव पारित
किया गया। इसके बाद अनुपूरक बजट, निवेशकों से जुड़ी परियोजनाओं के
प्रोत्साहन सहित नौ प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।
कैबिनेट मीटिंग में ये भी तय हुआ कि
अग्रिम जमानत विधेयक मॉनसून सत्र में पेश किया जाएगा। कैबिनेट मीटिंग में
दंड प्रक्रिया संहिता में अग्रिम जमानत की व्यवस्था को प्रदेश में कुछ
शर्तों के अधीन लागू करने के लिए विधेयक पास हुआ है। इसके अलावा उत्तर
प्रदेश औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति 2017 के तहत मेगा
परियोजना की श्रेणी में आने वाली 10 कंपनियों को रियायतें देने के लिए लेटर
ऑफ कम्फर्ट जारी करने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट मंजूरी मिली है। इन
कंपनियों में कनोडिया समूह, एससीसी, पसवाड़ा पेपर्स, अंबा शक्ति इंडस्ट्रीज
आदि शामिल हैं।
दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश
संशोधन) अधिनियम, 1973 द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 में वर्णित
अग्रिम जमानत की व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी। जिसे पुनर्स्थापित किए जाने
के लिए दंड प्रक्रिया संहिता में अग्रिम जमानत की व्यवस्था को प्रदेश में
कतिपय शर्तों के अधीन लागू करने के लिए विधायक लाया गया है। प्रस्तावित
विधेयक में अभियुक्त का अग्रिम जमानत की सुनवाई के समय उपस्थित रहना आवश्यक
नहीं है। न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत दिए जाने पर केंद्रीय प्रारूप में
जो सर पर न्यायालय व्यवस्था की गई है। जिसका उल्लेख किया गया है।
(1) प्रस्तावित विधेयक में अभियुक्त का अग्रिम जमानत की सुनवाई के समय उपस्थित रहना आवश्यक नहीं है।
(2) न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत में दिए जाने पर केंद्रीय प्रारूप में जो शर्तें न्यायालय के विवेक पर छोड़ी गई थी उन्हें प्रस्तावित प्रारूप अनिवार्यता शामिल किए जाने की व्यवस्था की गई है। जिसका उल्लेख प्रस्तावित धारा 438 (2) में किया गया है।
(2) न्यायालय द्वारा अग्रिम जमानत में दिए जाने पर केंद्रीय प्रारूप में जो शर्तें न्यायालय के विवेक पर छोड़ी गई थी उन्हें प्रस्तावित प्रारूप अनिवार्यता शामिल किए जाने की व्यवस्था की गई है। जिसका उल्लेख प्रस्तावित धारा 438 (2) में किया गया है।
(i) आवेदक किसी पुलिस अधिकारी द्वारा जैसा और जब अपेक्षा की जाएगी पूछताछ किए जाने के लिए स्वयं उपलब्ध होगा।
(ii) आवेदक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मामले के तथ्यों से भिज्ञ किसी व्यक्ति को कोई उत्प्रेरणा धमकी यह वचन नहीं देगा। जिससे कि उसे ऐसे तथ्यों को न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी को प्रकट न करने के लिए मनाया जा सके।
(iii) आवेदक न्यायालय की पूर्ण अनुज्ञा के बिना भारत नहीं छोड़ेगा।
(iv) ऐसी एनी शर्तें जिन्हें धारा 437 की उप धारा 3 के अधीन अधिरोपित किया जाए, मानों जमानत उस धारा के अधीन मंजूर की गई हो।
(ii) आवेदक प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से मामले के तथ्यों से भिज्ञ किसी व्यक्ति को कोई उत्प्रेरणा धमकी यह वचन नहीं देगा। जिससे कि उसे ऐसे तथ्यों को न्यायालय या किसी पुलिस अधिकारी को प्रकट न करने के लिए मनाया जा सके।
(iii) आवेदक न्यायालय की पूर्ण अनुज्ञा के बिना भारत नहीं छोड़ेगा।
(iv) ऐसी एनी शर्तें जिन्हें धारा 437 की उप धारा 3 के अधीन अधिरोपित किया जाए, मानों जमानत उस धारा के अधीन मंजूर की गई हो।
(3) गंभीर अपराध तथा (i) विधि
विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1967, (ii) स्वापक औषधि और मना प्रभावी
पदार्थ अधिनियम 1985, (iii) शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923, (iv) उत्तर
प्रदेश गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 से उद्भूत
होने वाले अपराधियों ऐसे अपराधियों जिनमें मृत्युदंड आदेश अधिनियमित किया
जा सकता है पर लागू नहीं होंगे।
(4) न्यायालय अग्रिम जमानत के लिए विचार करते समय अभियोग की प्रकृति और गंभीरता आवेदक का पूर्णता न्यायालय से भागने की संभावना तथा उसे अपमानित करने के उद्देश्य से लगाए गए अभियोग आदि बिंदुओं पर विचार कर सकती है।
(5) अग्रिम जमानत की अंतिम सुनवाई के समय न्यायालय द्वारा लोक अभियोजक को सुनवाई के लिए नियत तिथि के कम से कम 7 दिवस पूर्व नोटिस भेजे जाने का प्रावधान किया गया है।
(6) अग्रिम जमानत के समय में आवेदन पत्र का निस्तारण आवेदन किए जाने की तिथि से 30 दिन के भीतर अंतिम रूप से निस्तारित किए जाने का प्रावधान किया गया है।
(4) न्यायालय अग्रिम जमानत के लिए विचार करते समय अभियोग की प्रकृति और गंभीरता आवेदक का पूर्णता न्यायालय से भागने की संभावना तथा उसे अपमानित करने के उद्देश्य से लगाए गए अभियोग आदि बिंदुओं पर विचार कर सकती है।
(5) अग्रिम जमानत की अंतिम सुनवाई के समय न्यायालय द्वारा लोक अभियोजक को सुनवाई के लिए नियत तिथि के कम से कम 7 दिवस पूर्व नोटिस भेजे जाने का प्रावधान किया गया है।
(6) अग्रिम जमानत के समय में आवेदन पत्र का निस्तारण आवेदन किए जाने की तिथि से 30 दिन के भीतर अंतिम रूप से निस्तारित किए जाने का प्रावधान किया गया है।
👉 दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438
में वर्णित अग्रिम जमानत की व्यवस्था पर पुनर्विचार करने के लिए प्रमुख
सचिव गृह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। समिति द्वारा धारा
438 दंड प्रक्रिया संगीता को संशोधित करने के लिए प्रस्ताव किया गया है।
👉 दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 की आवश्यकता के दृष्टिगत दंड प्रक्रिया संहिता उत्तर प्रदेश संशोधन विधेयक 2018 को विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
👉 वर्तमान में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 कतिपय संशोधनों के साथ दंड प्रक्रिया संहिता उत्तर प्रदेश संशोधन विधेयक 2018 के माध्यम से स्थापित किया गया है।
👉 दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 की आवश्यकता के दृष्टिगत दंड प्रक्रिया संहिता उत्तर प्रदेश संशोधन विधेयक 2018 को विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।
👉 वर्तमान में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 कतिपय संशोधनों के साथ दंड प्रक्रिया संहिता उत्तर प्रदेश संशोधन विधेयक 2018 के माध्यम से स्थापित किया गया है।
यूपी में नहीं मिलती अग्रिम जमानत
देश में सिर्फ उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड
में ही अग्रिम जमानत नहीं मिलती है। यहां गिरफ्तारी पर रोक की व्यवस्था है।
मंत्रियों के साथ बात चीत के बाद इस पर फैसला हो सकता है। फिर इस से जुड़े
बिल को विधानसभा में पेश किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में 16 जुलाई को सरकार
ने अग्रिम जमानत व्यवस्था को लागू करने का भरोसा दिया था। सूबे में
इमरजेंसी के दौरान उत्तर प्रदेश में अग्रिम जमानत लेने पर रोक लग गई थी।
1976 के बाद से यही व्यवस्था चली आ रही है। सूबे में अग्रिम जमानत न होने
से लोगों को कई तरह की परेशानियां होती रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2008 में
इसे खत्म करने को कहा थ। सीएम रहते हुए मायावती ने हालात बदलने की कोशिश
की थी। इसको लेकर 2010 में विधानसभा से अग्रिम जमानत वाला बिल पास हो गया
था। राष्ट्रपति ने इसे वापस राज्य सरकार के पास भेज दिया था। तब से मामला
यूं ही लटकता रहा।
अनुपूरक बजट पर कैबिनेट ने लगाई मुहर
प्रदेश कैबिनेट ने वित्त वर्ष 2018-19 के
पहले अनुपूरक बजट पर मुहर लगाई है। करीब 40 हजार करोड़ रुपये के अनुपूरक
बजट में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृतियों को जीवंत बनाए रखने से
जुड़ी कई परियोजनाएं शामिल हैं। इनमें लखनऊ में नया चिकित्सा
विश्वविद्यालय, बलरामपुर में केजीएमयू का सेटेलाइट सेंटर, कानपुर के डीएवी
डिग्री कॉलेज को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में डवलप करने के साथ आगरा के
बटेश्वर में स्मारक की स्थापना शामिल हैं। ये चारों ही स्थान अटलजी से
जुड़े हैं।
10 निवेश प्रोजेक्ट पर प्रोत्साहन को मंजूरी
योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद नई
औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2017 को मंजूरी दी थी। इसके तहत
निवेश करने वाले उद्यमियों ने सरकार के सामने 10 प्रोजेक्ट का कार्य पूरा
होने का हवाला देते हुए नियमानुसार रियायतें व सुविधाएं देने का आवेदन किया
था। औद्योगिक विकास विभाग ने करीब 3000 करोड़ रुपये से जुड़े निवेश
प्रोजेक्ट पर रियायतें व सुविधाएं देने से जुड़ा प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा
था, जिसे मंजूरी दे दी गई है।
प्रसंस्कृत तिल निर्यात प्रोत्साहन योजना पर मुहर
कृषि विभाग ने प्रदेश से प्रसंस्कृत तिल के
निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए उप्र. प्रसंस्कृत तिल निर्यात
प्रोत्साहन योजना तैयार की है। यह योजना 2018 से 2023 तक के लिए प्रस्तावित
है। इस योजना को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दी। सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो के
(समूह क और समूह ख के आर्थिक और प्राविधिक पद) सेवा नियमावली-1993 में
संशोधन के प्रस्ताव पर भी कैबिनेट की मुहर लग गई है।