हाईकोर्ट के निर्देश पर फिर बदलाव, शिक्षक भर्ती की पुरानी व्यवस्था बहाल

इलाहाबाद (जेएनएन)। शासन ने बेसिक शिक्षकों की लिखित परीक्षा पास करने के लिए विभिन्न वर्गों के लिए निर्धारित न्यूनतम अंक प्रतिशत में हाईकोर्ट के निर्देश पर फिर बदलाव करते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी है। लिखित परीक्षा का परिणाम इसी के अनुरूप बनना शुरू हो गया है।

योगी सरकार ने इम्तिहान के चंद दिन पहले शिक्षामित्रों व अन्य अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है। उल्लेखनीय है कि सामान्य व पिछड़ा वर्ग को 33 फीसद और अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति अभ्यर्थी 30 फीसद अंक पाकर परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रावधान किया गया था। परीक्षा के ऐन मौके पर बदलाव को हाईकोर्ट ने नहीं माना ऐसे में उत्तीर्ण प्रतिशत अंकों का पुराना शासनादेश फिर बहाल हो गया है। दरअसल एक में सही प्रश्नों की संख्या बढ़ी तो दूसरे में परीक्षा में पास होने के लिए विभिन्न वर्गों के लिए निर्धारित अंक प्रतिशत बढ़ रहे हैं। इससे टीईटी में सफल अभ्यर्थी बढ़ंगे लेकिन भर्ती परीक्षा में सफल होने वालों की संख्या कम हो जाएगी।
आवेदन बाद अंक बदलने को चुनौती

अभ्यर्थियों ने लिखित परीक्षा के उत्तीर्ण प्रतिशत अंक बदलने को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उनका कहना था कि भर्ती के नियमों के अनुरूप आवेदन हुए। परीक्षा के पांच दिन पहले एकाएक उत्तीर्ण प्रतिशत के अंकों में बदलाव करना गलत है। हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को जारी आदेश में 21 मई के शासनादेश को खारिज कर दिया। साथ ही सरकार से इस संबंध में हलफनामा देने को कहा। 31 जुलाई को परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव ने भर्ती का परिणाम जारी करने के संबंध में शासन से मार्गदर्शन मांगा। शासन के विशेष सचिव देव प्रताप सिंह ने अब नौ जनवरी के उत्तीर्ण प्रतिशत को बहाल करने और परीक्षा नियामक सचिव को हाईकोर्ट में हलफनामा देने का आदेश दिया है।
एक सप्ताह में रिजल्ट 

परीक्षा नियामक प्राधिकारी सचिव डॉ. सुत्ता सिंह ने बताया कि शासन का आदेश मिलते ही तय अंकों के अनुरूप रिजल्ट बन रहा है। उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच भी कराई गई है। एक सप्ताह के भीतर रिजल्ट घोषित करने की तैयारी है।
यह था मामला

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में सहायक अध्यापक भर्ती की लिखित परीक्षा 27 मई को हुई थी। इसके लिए नौ जनवरी को जारी शासनादेश में कहा गया था कि सामान्य व पिछड़ा वर्ग अभ्यर्थी के लिए परीक्षा उत्तीर्ण करने को 67/150 यानी 45 फीसद या अधिक अंक जरूरी होंगे। वहीं अनुसूचित जाति/जनजाति के अभ्यर्थी को परीक्षा पास करने के लिए 60/150 यानी 40 फीसद या अधिक अंक पाना होगा। शिक्षामित्र व अन्य अभ्यर्थी इस उत्तीर्ण प्रतिशत का विरोध कर रहे थे, क्योंकि उन्हें शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि टीईटी का सफलता प्रतिशत परेशान कर रहा था। ज्ञात हो कि टीईटी 2017 में महज 11 फीसद अभ्यर्थी उत्तीर्ण हो सके थे। अभ्यर्थियों का कहना था कि यह परीक्षा ओएमआर शीट पर नहीं हो रही है, अति लघु उत्तरीय प्रश्नों पर आधारित यह परीक्षा अनूठी है। इसलिए उत्तीर्ण अंक घटाया जाए।
21 मई को हुआ बदलाव

लिखित परीक्षा को पास करने के लिए अंकों में बदलाव करने के बारे में दूसरा शासनादेश 21 मई को जारी किया गया। इसके तहत सामान्य व पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी 49/150 यानि 33 फीसद और अनुसूचित जाति व जनजाति के अभ्यर्थी 45/150 यानि 30 फीसद या उससे अधिक अंक पाकर उत्तीर्ण हो सकेंगे।
टीईटी में बढ़े, भर्ती में घटेंगे सफल अभ्यर्थी
अजीब संयोग है परिषदीय स्कूलों की शिक्षक भर्ती की दो परीक्षाएं हुईं और दोनों के प्रकरण हाईकोर्ट तक पहुंचे। एक में सही प्रश्नों की संख्या बढ़ी तो दूसरे में परीक्षा में पास होने के लिए विभिन्न वर्गों के लिए निर्धारित अंक प्रतिशत बढ़ रहे हैं। इससे जहां टीईटी में सफल अभ्यर्थियों की तादाद बढ़ गई थी, वहीं भर्ती परीक्षा में सफल होने वालों की संख्या घटना तय है। बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए अब परीक्षाएं उत्तीर्ण करना अनिवार्य है। पहली शिक्षक पात्रता परीक्षा यानी टीईटी और दूसरी भर्ती की लिखित परीक्षा। शीर्ष कोर्ट के आदेश पर शिक्षामित्रों को अवसर देने के लिए बेसिक विभाग ने दोनों परीक्षाएं करायीं। टीईटी 2017 का परिणाम के बाद अभ्यर्थियों ने प्रश्नों के गलत जवाब को लेकर उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। एकल बेंच ने याचिका स्वीकार करके रिजल्ट संशोधित करने का निर्देश दिया। ऐसे में 12 मार्च को प्रस्तावित लिखित परीक्षा टाल दी गई।
संशोधित रिजल्ट से 4446 अभ्यर्थी और उत्तीर्ण 

सरकार ने इस निर्णय को बड़ी पीठ में चुनौती दी। कोर्ट ने प्रश्नों का परीक्षण कराने के बाद सिर्फ दो प्रश्नों के अंक सभी अभ्यर्थियों को देने का निर्देश दिया। संशोधित रिजल्ट से 4446 अभ्यर्थी और टीईटी उत्तीर्ण हो गए। उनसे आवेदन मांगा तो सात हजार ने पंजीकरण कराया और 5004 ने आवेदन किया। यह प्रकरण बाद में शीर्ष कोर्ट तक पहुंचा लेकिन, वहां खारिज हो गया। सहायक अध्यापक भर्ती 2018 के लिए नौ जनवरी को शासनादेश जारी हुआ। इसमें उत्तीर्ण प्रतिशत तय हुआ। जिसे बाद में सरकार ने परीक्षा से कुछ दिन पहले बदलकर और कम कर दिया। यह मामला फिर हाईकोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने अभ्यर्थियों की दलील सही पाकर दूसरे आदेश को खारिज कर दिया जिससे उत्तीर्ण प्रतिशत अब बढ़ गया है। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय इन दिनों रिजल्ट तैयार करा रहा है लेकिन, बढ़े उत्तीर्ण प्रतिशत से सफल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या घटना तय माना जा रहा है, क्योंकि अब सफल होने वाले अंकों में बड़ा फासला हो गया है।