बेसिक शिक्षा विभाग में एक बार फिर फर्जी शिक्षामित्रों का हुआ भंडाफोड़, बस्ती में फर्जी प्रमाण पत्रों से हथियाई नौकरी, 26 शिक्षामित्र कार्यमुक्त

बेसिक शिक्षा विभाग में एक बार फिर फर्जी शिक्षामित्रों का भंडाफोड़ हुआ है। कूटरचित प्रमाण पत्रों पर नौकरी कर रहे जिले के 26 शिक्षामित्रों को सेवा से पृथक कर दिया गया है। इससे महकमे में सनसनी फैल गई है। हालांकि इन शिक्षामित्रों पर वर्ष 2015 से ही की तलवार लटक रही थी।

पर इन्हें नौकरी से निकाले जाने में तीन साल लग गए। हुआ यह कि वर्ष 2015 में प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों का समायोजन सहायक शिक्षक के रूप में करने का निर्णय लिया। शासनादेश जारी हुआ कि सभी शिक्षामित्रों के शैक्षिक प्रमाण पत्रों का फिर से सत्यापन कराया जाए। विभाग ने सत्यापन में पाया कि जिले में दो दर्जन से अधिक शिक्षामित्रों के प्रमाण पत्र फर्जी एवं कूटरचित हैं। लेकिन इस पर शिक्षामित्रों ने आपत्ति लगा दी थी और दोबारा सत्यापन कराने का आवेदन दिया। विभाग ने जब दोबारा सत्यापन कराया तो 26 शिक्षामित्रों के शैक्षिक योग्यता के प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए। इसके बाद भी संबंधित शिक्षामित्रों के विरुद्ध नहीं हो पाई। उनकी फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी गई। मामला उजागर नहीं होने दिया गया। जिससे यह शिक्षामित्र नौकरी में बने रहे। तीन साल बाद उनके खिलाफ हुई। विभाग ने इन शिक्षामित्रों को नौकरी से निकाल दिया।

ग्राम शिक्षा समिति स्तर से हुआ था चयन: लगभग डेढ़ दशक पहले शिक्षामित्रों का चयन ग्राम शिक्षा समिति द्वारा मेरिट के आधार पर किया गया था। इसमें तमाम शातिर किस्म के लोग फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त कर नौकरी हथिया लिए थे। उस समय विभाग द्वारा कराए गए प्रमाण पत्रों के सत्यापन में भी खेल हुआ था। तमाम शिकायतों के बाद भी फर्जी शिक्षामित्र बने रहे। वर्ष 2015 में जब शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया तो इस प्रक्रिया में शैक्षिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन जरूरी हो गया। यहीं फर्जी अंकपत्रों पर नौकरी करने वाले शिक्षामित्र फंस गए।
>>वर्ष 2015 में समायोजन के बाद सत्यापन में खुली थी पोल

>>प्रमाण पत्रों के दोबारा सत्यापन के बाद अब हुई फर्जी अंकपत्र पर शिक्षामित्र की नौकरी कर रहे 26 लोगों को विभाग ने निष्कासित कर दिया। इनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों का संबंधित बोर्ड से दो बार सत्यापन पूर्व में कराया जा चुका है। जिसमें इनके प्रमाण पत्र फर्जी होने की रिपोर्ट आई है। मामला जब संज्ञान में आया तो के लिए तत्काल पहल हुई। अरुण कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बस्ती