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ग्राम शिक्षा समिति स्तर से हुआ था चयन: लगभग डेढ़ दशक पहले शिक्षामित्रों का चयन ग्राम शिक्षा समिति द्वारा मेरिट के आधार पर किया गया था। इसमें तमाम शातिर किस्म के लोग फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त कर नौकरी हथिया लिए थे। उस समय विभाग द्वारा कराए गए प्रमाण पत्रों के सत्यापन में भी खेल हुआ था। तमाम शिकायतों के बाद भी फर्जी शिक्षामित्र बने रहे। वर्ष 2015 में जब शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के रूप में समायोजित किया गया तो इस प्रक्रिया में शैक्षिक प्रमाण पत्रों का सत्यापन जरूरी हो गया। यहीं फर्जी अंकपत्रों पर नौकरी करने वाले शिक्षामित्र फंस गए।
>>वर्ष 2015 में समायोजन के बाद सत्यापन में खुली थी पोल
>>प्रमाण पत्रों के दोबारा सत्यापन के बाद अब हुई फर्जी अंकपत्र पर शिक्षामित्र की नौकरी कर रहे 26 लोगों को विभाग ने निष्कासित कर दिया। इनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों का संबंधित बोर्ड से दो बार सत्यापन पूर्व में कराया जा चुका है। जिसमें इनके प्रमाण पत्र फर्जी होने की रिपोर्ट आई है। मामला जब संज्ञान में आया तो के लिए तत्काल पहल हुई। अरुण कुमार, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बस्ती
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