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EXCLUSIVE: प्रतियोगी परीक्षाओं में हाइटेक मुन्ना भाइयों का गैंग, इस तरह से करते हैं फर्जीवाड़ा

नई दिल्ली (जेएनएन)। आधुनिक युग में प्रतियोगी परीक्षाओं का तरीका भी हाईटेक हो चुका है। परीक्षार्थियों की सुविधा और पूरी प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए एक तरफ जहां सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं नकल माफियाओं के मुन्ना भाई हर बैरियर को तोड़ने में कामयाब हो रहे हैं।
दसवीं की स्कूल परीक्षा हो या एमबीबीएस या सिविल सर्विस परीक्षा, बात जब कंपटीशन में ज्यादा नंबर लाने की है तो मुन्ना भाई कोई न कोई रास्ता तलाश ही ले रहे हैं।


शायद यही वजह है कि देश में प्रतिवर्ष लगभग 17 मिलियन (170 लाख) लोग स्कूल व कॉलेज की परीक्षा पास कर बेरोजगारों की भीड़ में शामिल होते हैं। इनमें से मात्र 5.5 मिलियन (50 लाख) लोगों को ही नौकरी मिल पाती है। आज हम आपको ऐसी ही कुछ हाईटेक परीक्षाओं और उनमें परीक्षा देने वाले मुन्ना भाईयों और उनके फर्जीवाड़े के तौर-तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं।

फरवरी में केवल बिहार के 1000 मुन्ना भाई पकड़े गए भारत में प्रतियोगी या प्रवेश परीक्षाओं में नकल कोई नाई बात नहीं है। देश के विभिन्न राज्यों में नकल माफियाओं का संगठित गिरोह सक्रिय है, जो कई वर्षों से सफलता से काम कर रहे हैं। अकेले बिहार की बात करें तो देश के सबसे गरीब राज्यों में शुमार इस प्रदेश के 1000 मुन्ना भाई केवल फरवरी-2018 के महीने में विभिन्न परीक्षाओं में पकड़े जा चुके हैं।


चर्चा में रहे हैं बिहार के टॉपर
वर्ष 2015 में बिहार के एक स्कूल की पांच मंजिला बिल्डिंग पर लटके हुए लोगों की फोटो और तस्वीर काफी चर्चा में रही थी। दीवार से चिपके हुए ये वो लोग थे जो अंदर बैठे परीक्षार्थियों को खुलेआम नकल करा रहे थे। पिछले साल बिहार में 42 साल के एक व्यक्ति का स्कूली परीक्षा में टॉप करना भी सुर्खियों में रहा था। वर्ष 2016 में बिहार की एक टॉपर भी काफी चर्चा में रही थी, जिसने एक टीवी इंटरव्यू में पॉलिटिकल साइंस को खाना पकाने की पढ़ाई बताया था। नकल माफियों से बचने के लिए बिहार सरकार ने इस वर्ष सभी स्कूली परीक्षा रूम में सीसीटीवी कैमरे लगाने के साथ परीक्षार्थियों के जूते और मोजे परीक्षा कक्ष के बाहर उतरवाने के निर्देश दिए थे।

इसी साल दिल्ली में दसवीं और 12वीं का पेपर हुआ था लीक
इसी वर्ष दिल्ली में 10वीं और 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा के पेपर लीक होने का मामला सामने आया था। पेपर परीक्षा से लगभग 90 मिनट पहले व्हाट्सएप पर लीक हुआ था। लिहाजा सीबीएसइ को अप्रैल माह में दोबारा परीक्षाएं करानी पड़ी थीं। अंतिम क्षणों में पेपर लीक होने की वजह से बहुत से छात्रों और उनके अभिभावकों ने पेपर पाने के लिए मुंह बोले दाम दिए।

कोचिंग माफिया बड़ा जरिया हैं
पूर्व में हुई तमात जांचों में नकल माफियाओं के तार कोचिंग माफियाओं से भी जुड़े मिले हैं। कोचिंग माफिया अपनी कोचिंग चमकाने के लिए और छात्रों से ज्यादा से ज्यादा कमाई करने के चक्कर में पेपर लीक कराते हैं। कई बार यही छात्र या उसके परिजन का नकल माफिया से संपर्क कराते हैं। दिल्ली की ऐसी ही एक मां ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनका बेटा पढ़ाई में बहुत कमजोर था।
पिछले साल उसने परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले एक कोचिंग ज्वॉइन की। उस कोचिंग के टीचर ने ही उनका संपर्क एक नकल माफिया से कराया। उसने परीक्षा से ठीक पहले उनके बेटे को अर्थशास्त्र और गणित परीक्षा के सवाल जवाब सहित भेज दिए। इसके लिए उन्होंने नकल माफिया को 60 हजार रुपये दिए। महिला के अनुसार वह पहले से जानती थीं कि उनका बेटा पढ़ाई में कमजोर है और वह नहीं चाहती थी कि वह फेल हो या उसका साल बर्बाद हो।
इंदौर में एक सप्ताह में पकड़े गए तीन मुन्ना भाई
मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में पिछले एक सप्ताह में ही तीन मुन्ना भाई पकड़े जा चुके हैं। ये रुपयों के लालच में नकल माफिया के जरिए असली आवेदक के स्थान पर परीक्षा देने आए थे। तीनों बिहार के हैं। पूरे रैकेट का खुलासा करने के लिए इंदौर पुलिस इन दिनों बिहार की खाक छान रही है। जांच में इंदौर पुलिस को पता चला है कि पकड़े गए गिरोह के सदस्य रेलवे भर्ती, बैंक पीओ और पुलिस भर्तीय जैसे सरकारी नौकरियों में मोटी रकम लेकर फर्जी परीक्षा देते हैं। एक विषय की फर्जी परीक्षा देने के लिए इन मुन्ना भाईयों को 10 से 20 हजार रुपये मिलते हैं।

सेना भर्ती घोटाले में नौ मुन्नाभाई गिरफ्तार
24 जुलाई 2018 को दिल्ली कैंट में आयोजित सेना भर्ती शारीरिक परीक्षा में भी सेना ने नौ मुन्ना भाईयो को गिरफ्तार किया था। ये सभी आरोपी दूसरे आवेदकों की जगह शारीरिक परीक्षा देने आए थे। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद सेना ने सभी नौ मुन्ना भाईयों को दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया था। साथ ही मामले में उन नौ आवेदकों के खिलाफ भी एफआइआर कराई गई थी, जिनकी जगह ये मुन्ना भाई परीक्षा देने पहुंचे थे। इन आवदेकों ने भर्ती परीक्षा के बाकी चरण पास कर लिए थे और शारीरिक परीक्षा अंतिम चरण था।
चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने रिश्वत लेकर दे दिए ज्यादा नंबर
इसी महीने दो अगस्त को चन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर समेत दस फैकल्टी सदस्यों को डायरेक्टरेट ऑफ विजिलेंस एंड एंटी करप्शन की टीम ने गिरफ्तार किया गया था। इन पर आरोप था कि इन्होंने वर्ष 2017 की सेमेस्टर परीक्षा में कुछ छात्रों से 10,000 रुपये रिश्वत लेकर उन्हें ज्यादा नंबर दे दिए हैं। इस मामले में मुख्य आरोपी यूनिवर्सिटी का परीक्षा नियंत्रक (प्रोफेसर) था। आरोपियों में यूनिवर्सिटी से संबद्ध कई इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षकों का भी नाम शामिल है।
यूपी बोर्ड परीक्षा में भी फर्जीवाड़ा
मार्च 2018 में आयोजित हुईं यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में भी नकल माफियाओं के सक्रिय होने का मामला सामने आया था। मामले में लखनऊ के डीआइओएस ने 13 स्कूलों को नोटिस जारी किया था। दरअसल इस स्कूलों पर आरोप है कि इन्होंने विद्यार्थियों की उपस्थिति से ज्यादा पंजीकरण करा रखा है। बहुत से फार्म के प्रवेश पत्र में दर्ज जन्मतिथि और आधार कार्ड पर दर्ज जन्मतिथि में भी अंतर पाया गया था। डीआईओएस की जांच में पाया गया था कि कई अभ्यर्थी अपनी आयु कम दर्ज करवाने के लिए दोबारा परीक्षा में शामिल हुए थे। इसके पीछे नकल माफियाओं का हाथ होने की भी आशंका थी।
पुलिस भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर रहे तीन गिरफ्तार
जून 2018 में उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में पुलिस की सीधी भर्ती के लिए चल रही लिखित परीक्षा के दौरान तीन ऐसे फर्जी अभ्यर्थियों को पकड़ा गया था जो किन्हीं और के नाम पर परीक्षा दे रहे थे। तीनों बिहार के भिन्न-भिन्न जनपदों के निवासी हैं। पुलिस ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। उन अभ्यर्थियों के खिलाफ भी कार्यवाही की जा रही है जिन्होंने अपने प्रवेश पत्र व पहचान पत्र आदि देकर इन मुन्ना भाईयों को अपने स्थान पर परीक्षा देने भेजा था। जांच में पुलिस को पता चला था कि बिहार के नकल माफिया ने पुलिस भर्ती परीक्षा के लिए 12-14 मुन्ना भाई भेजे थे।
हाई कोर्ट की प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने वाले चार गिरफ्तार
नवंबर 2017 में यूपी एसटीएफ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा 12 नवंबर 2017 को आयोजित कराई गई समूह सी एवं डी की परीक्षा में फर्जीवाड़ा कर मूल अभ्यर्थी के स्थान पर परीक्षा में बैठने जा रहे एक गिरोह के 4 सदस्यों को  गिरफ्तार किया था। इनके पास से प्रवेश पत्र एवं फर्जी आधार कार्ड और दस्तावेज बरामद हुए थे।
SSC परीक्षा में जालसाजी में 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज
मार्च 2018 में कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) परीक्षा में धांधली का मामला सामने आया था। इस केस में सीबीआई ने 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इन पर आरोप था कि इन्होंने डमी कैंडिडेट बिठाकर आयकर विभाग में स्टेनाग्राफर और मल्टी टॉस्किंग स्टाफ (एमटीएस) के पद के लिए आयोजित परीक्षा दिलाई। यह परीक्षा 2012 से 2014 के बीच में आयोजित की गई थीं।
सीबीआई को जानकारी मिली थी कि आयकर विभाग नागपुर में दो स्टेनोग्राफर और दस एमटीएस कर्मचारियों ने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल की है। तफ्तीश के दौरान पता चला कि इन लोगों ने इलाहाबाद, मुंबई और नागपुर में आयोजित परीक्षा के दौरान अपने स्थान पर डमी उम्मीदवारों को बैठाया था। इतना ही नहीं इन लोगों ने अपने हुलिये से मिलते जुलते चेहरे के फर्जी लोगों को परीक्षा में बैठाया था। एसएससी परीक्षा में ये फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद अन्य आवेदकों ने काफी धरना-प्रदर्शन किया था।
शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़े में गिरफ्तार हुए थे 50 आरोपी

उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UPPSC) द्वारा सहायक अध्यापक प्रशिक्षित स्नातक (एलटी ग्रेड) परीक्षा का आयोजन 29 जुलाई 2018 रविवार को राज्य के 1760 परीक्षा केंद्रों पर किया गया था। परीक्षा में पेपर लीक करने वाले और धांधली करने वाले वाले गिरोह काफी सक्रीय रहे थे। यूपी एसटीएफ ने नौकरी दिलाने वाले फर्जी गैंग और इसमें शामिल 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में नकल माफिया गिरोह का सरगना, सदस्य, सॉल्वर और आवेदक भी शामिल थे।
इनके पास से 25 एडमिट कार्ड, 38 प्रश्न पत्र, 4 आधार कार्ड, 43 मोबाइल फोन और 84,850 रुपये कैश बरामद किया था। पूछताछ में पता चला था कि गिरफ्तार आरोपियों ने उम्मीदवारों से 2 लाख रुपये एडवांस और बाकि अमाउंट का पोस्ट डेटेड चेक लिया था। एसटीएफ ने बताया था कि सभी सॉल्वर बिहार से बुलाए गए थे। उन्हें एक परीक्षा के लिए 25 हजार रुपये देना तय था। उम्मीदवारो से पास कराने के लिए 14-14 लाख रुपये में डील पक्की हुई थी।
ऐसे फर्जीवाड़ा करते हैं नकल माफिया
- उम्मीदवारों के एडमिट कार्ड और आधार कार्ड को स्कैन कर उसमें फोटो बदल दिया जाता है। कंप्यूटर साफ्टवेयर की मदद से कैंडिडेट और साल्वर की फोटो मिक्स करके एक फोटो बनाई जाती है ताकि दोनों का चेहरा एक सा लगे।
- परीक्षा केन्द्र में सेटिंग कर नकल का इंतजाम कराते हैं।
- प्रश्न पत्र आउट कराना सबसे चर्चित तरीका है।
- आवेदक के चेहरे से मिलते जुलते सॉल्वर को बैठाया जाता है। इसके लिए सॉल्वर का एक फर्जी पहचान पत्र आवेदक के नाम का बनवाया जाता है।
- ब्लूटुथ से बोलकर नकल कराने के भी कई मामले सामने आ चुके हैं।
- परीक्षा की कॉपी बदलवाना भी एक पुख्ता तरीका है। इसके लिए परीक्षा केन्द्र से सेटिंग करनी पड़ती है।
- कंप्यूटराइज परीक्षा के दौरान नकल के लिए सिस्टम या सर्वर तक हैक कर लिया जाता है। हालांकि ये बहुत मुश्किल है। - कंप्यूटराइज परीक्षा केन्द्र से सेटिंग कर भी नकल कराई जाती है।
सॉल्वर गैंग पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की तैयारी

अभी तक नकल माफिया या सॉल्वर को सामान्य धोखाधड़ी की धाराओं में गिरफ्तार किया जाता है। ऐसे में उन्हें जल्द जमानत मिल जाती है। जमानत पर छूटने के बाद आरोपी फिर से इसी गोरखधंधे में लग जाते हैं। यही वजह है कि गैंग बनाकर फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपियों पर अब यूपी पुलिस गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी में है।

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