प्रदेश सरकार सूबे में साफ-सफाई व कचरा प्रबंधन के लिए ‘अंबिकापुर मॉडल’
अपनाने जा रही है। इसके तहत एक लाख से कम आबादी वाले शहरों में स्वयं
सहायता समूह बनाकर महिला सफाई कर्मी रखी जाएंगी। पहले चरण में 34 हजार
महिला सफाई कर्मियों को रखने की योजना है।
जब तक यह समूह अपने पैरों पर
खड़े नहीं होंगे तब तक सरकार इनकी मदद करेगी। इन्हें पांच हजार रुपये व
कूड़े से होने वाली आमदनी में हिस्सा दिया जाएगा। सरकार प्रत्येक 200 घरों
में एक महिला सफाई कर्मी रखेगी।1वर्तमान में प्रदेश में 15500 टन प्रति दिन
कूड़ा निकलता है। इसमें से मात्र 4615 टन प्रति दिन कूड़ा ही निस्तारित हो
पाता है। प्रदेश में कुल 12007 वार्ड हैं इनमें से केवल 7413 वार्डो के
घरों से ही कूड़ा उठता है। यानी 4594 वार्ड ऐसे हैं जहां से डोर-टू-डोर
कूड़ा नहीं उठता है। इनमें ज्यादातर छोटे शहर हैं। इन शहरों के लिए सरकार
ने छत्तीसगढ़ के ‘अंबिकापुर मॉडल’ को अपनाने का निर्णय लिया है। इसमें
महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाकर घरों से कूड़ा उठवाया जाएगा।1नगर विकास
विभाग के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि पहले चरण में 34 हजार
महिला सफाई कर्मी रखी जाएंगी। इन्हें एक-डेढ़ साल तक स्वच्छ भारत मिशन से
पांच हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। साथ ही इन्हें कूड़े से होने वाली
आमदनी में भी हिस्सा दिया जाएगा। महिला स्वयं सहायता समूह घरों से कूड़ा
उठाने के लिए 50 से 100 रुपये महीने का यूजर चार्ज भी लेंगी। एक-डेढ़ साल
बाद नगरीय निकाय व समूह आर्थिक रूप से समृद्ध हो जाएंगे। महिला स्वयं
सहायता समूह को राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से भी जोड़ा जाएगा। इसके इनकी
आमदनी और बढ़ जाएगी।