इलाहाबाद (जेएनएन)। शिक्षक बनने के लिए हजारों अभ्यर्थियों को भर्ती के
दौरान बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। अभ्यर्थी व उनके अभिभावकों की जेबें खाली
करने में हर सरकार का रवैया एक जैसा ही रहा है।
सपा शासनकाल में परिषद की
72825 शिक्षक भर्ती में अभ्यर्थियों को हर जिले के लिए आवेदन शुल्क देना
था, अब योगी सरकार 68500 शिक्षक भर्ती की स्कैन कॉपी देने के लिए दो हजार
रुपये का डिमांड ड्राफ्ट प्रति अभ्यर्थी ले रही है। कॉपियां जांचने में
गलती कोई और कर रहा है और आर्थिक दंड अभ्यर्थियों को चुकाना पड़ रहा है।
बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक स्कूलों में 72825 शिक्षकों की भर्ती के
लिए 2011 में विज्ञापन जारी हुआ। इसके लिए 2012 में आवेदन लिया गया। नियम
बना कि सामान्य वर्ग का अभ्यर्थी जितने जिलों में आवेदन करेगा, प्रति जिला
500 रुपये का ड्राफ्ट देना होगा, जबकि आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी प्रति जिला
200 रुपये का ड्राफ्ट लगाएगा। उस समय एक-एक अभ्यर्थी ने औसतन 35 से 40
जिलों में आवेदन किया, ताकि हर हाल में वह शिक्षक बन सके। इसके लिए उन्हें
खासा धन खर्च करना पड़ा। लंबे समय तक यह धन जिलों में फंसा रहा और अभ्यर्थी
इसे वापस करने की मांग करते रहे। बाद में सपा सरकार ने इसे लौटाने का आदेश
जरूर किया लेकिन, अब तक उस पर अमल नहीं हो सका है।
योगी सरकार की पहली शिक्षक भर्ती में हर अभ्यर्थी ने तय परीक्षा शुल्क
का समय पर भुगतान किया। परिणाम आने के बाद गड़बडिय़ों के तमाम आरोप लगे। ऐसे
में अभ्यर्थियों ने भर्ती के शासनादेश में निहित प्रावधान के अनुरूप स्कैन
कॉपी पाने के लिए आवेदन किया। इसमें हर अभ्यर्थी को परीक्षा शुल्क से कई
गुना अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है। अभ्यर्थी को कॉपी पाने के लिए दो हजार
रुपये का डिमांड ड्राफ्ट देना है। अब तक करीब पांच हजार से अधिक आवेदन
स्कैन कॉपी के लिए हो चुके हैं, भले ही उनमें से कुछ को ही कॉपी मिल सकी
है। बाकी को सितंबर माह के अंत तक कॉपी देने का वादा किया गया है।
अभ्यर्थियों का कहना है कि गलती परीक्षा संस्था है और आर्थिक दंड उनसे
वसूला जा रहा है।
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