नौ जिलों में राज्य पुरस्कार पाने को योग्य शिक्षक नहीं: बेसिक शिक्षा निदेशक ने बीएसए से मांगा स्पष्टीकरण, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की गुणवत्ता सुधार में रुचि नहीं ले रहे

इलाहाबाद : सख्त निर्देशों के बाद भी बेसिक शिक्षा अधिकारियों की कार्यशैली बदलने का नाम नहीं ले रही है। बीएसए न केवल वरिष्ठ अफसरों को सूचनाएं देने में हीलाहवाली कर रहे हैं, बल्कि उनके जिले में अच्छा कार्य करने वालों को भी आगे लाने को भी तत्पर नहीं है।
यही वजह है कि राज्य शिक्षक पुरस्कार 2017 के लिए प्रदेश के नौ बीएसए ने एक भी शिक्षक का नाम नहीं सुझाया। बेसिक शिक्षा निदेशक डॉ. सर्वेद्र विक्रम बहादुर सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेकर सभी से जवाब तलब किया है।

राज्य शिक्षक पुरस्कार पाना हर शिक्षक के लिए गौरव की बात होती है। साथ ही उस जिले का भी प्रदेश भर में नाम होता है, जहां के शिक्षक पुरस्कार पाते हैं। आमतौर पर यह पुरस्कार पाने के लिए शिक्षक व अधिकारी मिलकर प्रयास करते हैं, लेकिन जालौन, कौशांबी, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मथुरा, मुरादाबाद, रामपुर, सिद्धार्थनगर व सीतापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने राज्य शिक्षक पुरस्कार 2017 पाने के लिए कोई रुचि नहीं दिखाई। तय समय में उन्होंने अपने जिले के किसी शिक्षक नाम इसके लिए प्रस्तावित ही नहीं किया, जबकि बेसिक शिक्षा निदेशक कार्यालय से लगातार सभी जिलों को पत्र भेजे गए और दूरभाष पर भी अवगत कराया गया।1निदेशक डॉ. सिंह ने नौ जिलों के बीएसए को अब पत्र भेजकर कहा है कि यह प्रतीत होता है कि आपके जिले में ऐसा कोई शिक्षक कार्यरत ही नहीं है, जिनका कार्य उल्लेखनीय अथवा उनका कार्य उत्कृष्ट रहा हो। इससे यह भी साबित होता है कि आप सभी जिले के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की गुणवत्ता सुधार के लिए उपाय किए जाने में आप रुचि नहीं दिखा रहे हैं। आपका कार्य शासन की मंशा के अनुरूप नहीं हो रहा है। उन्होंने भेजे गए पत्र में यह भी कहा कि यह स्थिति अत्यंत खेदजनक है। इसका स्पष्टीकरण 17 सितंबर तक ईमेल पर उपलब्ध कराएं। इस पत्र से संबंधित जिलों में हड़कंप मचा है.