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शिक्षक भर्ती घोटाला: पूरी बेदर्दी से तोड़े गए परीक्षा के नियम

इलाहाबाद [धर्मेश अवस्थी]। प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की पहली सबसे बड़ी भर्ती परीक्षा सहायक अध्यापकों की थी। परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 शिक्षकों की भर्ती, प्रक्रिया के लिहाज से अनूठी शिक्षक भर्ती। इसमें जितने उम्दा नियम तय हुए, उतनी ही बेदर्दी से उन्हें तोड़ा गया।
यह साबित करने के लिए उस अनुसूचित जाति की सोनिका का नाम लें, जिसकी कॉपी ही बदल गई या अंबेडकर नगर के अंकित वर्मा की दास्तां लिखें जिसे रिजल्ट में 22 अंक मिले और उत्तरपुस्तिका में 122 अंक दर्ज थे। या फिर उन मोहम्मद साहून व मीना देवी का जिक्र करें जो परीक्षा में बैठे बिना ही उत्तीर्ण हो गए।
सहायक अध्यापक भर्ती की खामियों की लिस्ट बहुत लंबी है। वहीं, शिक्षक बनने को आतुर अभ्यर्थियों की लंबी फेहरिस्त भी है, जिन्होंने रात-दिन मेहनत करके पढ़ाई की व पूरे मनोयोग से इम्तिहान दिया लेकिन, रिजल्ट ने उनके सारे सपने बिखेर दिए। परीक्षा संस्था कार्यालय पर जुटने वाली भीड़ के चेहरे पर आक्रोश और दिल का दर्द साफ पढ़े जा सकते थे। छटपटाहट की वजह यही थी कि उन्हें बताया गया कि अब स्क्रूटनी और कॉपियों की दोबारा जांच नहीं हो सकती। एक दिन बाद साफ हुआ कि परीक्षा शुल्क से कई गुना अधिक का डिमांड ड्राफ्ट देकर कॉपियां देख सकते हैं।

युवाओं ने किसी तरह दो हजार रुपये जुटाकर बड़ी संख्या में दावेदारी की, जो पैसे का इंतजाम न कर पाए वह प्रत्यावेदन देकर ही जांच की मांग उठाते रहे। इतने पर भी उन्हें कॉपी नहीं दिखाई गई तो कोर्ट का सहारा लिया गया। अब तक जितने मामले सामने आए हैं वह सब कोर्ट के आदेश पर कॉपियां पाने वाले हैं, सामान्य अभ्यर्थी अब भी कॉपी मिलने की राह देख रहे हैं। माना जा रहा है कि बाकी कॉपियों में दफन बड़े राज आगे खुलेंगे।
परीक्षा परिणाम की खामियों के बीच भर्ती के लिए चयन में मनमानी शैली अपनाई गई। 68500 शिक्षक भर्ती के शासनादेश को दरकिनार करके परीक्षा में सफल 41556 अभ्यर्थियों को ही चयन का आधार बनाया गया। इससे दूसरा झटका परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 6127 अभ्यर्थियों को लगा। बवाल मचने पर मुख्यमंत्री ने खुद प्रकरण का संज्ञान लिया, तब चयन मानक दुरुस्त हुआ। दो चयन सूची बनने से जिला आवंटन गड़बड़ा गया। अधिक मेरिट वाले दूर के जिले में व कम अंक पाने वालों को अपना गृह जिला मिल गया।


इससे पहले सीएम के हस्तक्षेप पर भर्ती की लिखित परीक्षा हुई, इम्तिहान में सबको साथ लेने के लिए उत्तीर्ण प्रतिशत कम किया गया। हालांकि कोर्ट ने उसे नहीं माना। ऐसे ही परीक्षा में उत्तरकुंजी जारी करने, हर अभ्यर्थी को कार्बन कॉपी मुहैया कराने जैसे इंतजाम रिजल्ट और चयन सूची की भेंट चढ़ गए। अब नियमों से खेलने वाले अफसरों को चुनकर कार्रवाई हुई है। जिस तरह से उच्च स्तरीय कमेटी बनी है उसकी जांच रिपोर्ट में अभी कई और के फंसने का अंदेशा है।

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