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भर्ती संस्थाओं की एजेंसियां निशाने पर: सहायक अध्यापकों की भर्ती में परीक्षा और परिणाम जारी हो गया लेकिन, अब रिजल्ट की ढेरों खामियां

इलाहाबाद : इसे संयोग की कहेंगे कि इन दिनों अधिकांश भर्ती संस्था एजेंसियों की कार्यशैली पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। कोई परीक्षा नहीं करा पा रहा है तो कहीं पेपर लीक हुआ है और जहां ये दोनों कार्य किसी तरह पूरे हुए, वहां परीक्षा परिणाम की खामियां सामने आ रही हैं।
भर्ती संस्थान एजेंसियों के चयन को लेकर घेरे में हैं, इसके बाद भी एजेंसियों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो सकी है।1बदलते दौर में प्रतियोगी परीक्षाओं में नई तकनीक से समय आदि जरूर कम लग रहा है लेकिन, पूरी प्रक्रिया को सकुशल अंजाम देना उतना ही चुनौतीपूर्ण है। उप्र लोकसेवा आयोग यानी यूपीपीएससी में पीसीएस 2017 की मुख्य परीक्षा में एक केंद्र पर गलत प्रश्नपत्र बांटने का मामला बीते जून में ही सामने आ चुका है। यूपीपीएससी ने प्रिंटिंग प्रेस को डिबार करने के साथ ही उसका भुगतान रोका है। साथ ही अन्य परीक्षाओं का परिणाम तैयार करने में पूरा एहतियात बरता जा रहा है। 1इसी तरह से कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) ने सीजीएल 2016 से ऑनलाइन परीक्षा कराना शुरू किया और इसके लिए एजेंसी से करार हुआ। इसी परीक्षा का टियर तीन बीते फरवरी में हुआ और पेपर लीक होने का आरोप लगा। मामले की सीबीआइ जांच तक हुई है। उसके बाद से एजेंसी का करार आगे नहीं बढ़ाया गया और लगभग तीन माह से परीक्षा कराने की प्रक्रिया एक तरह से ठप चल रही है।अधीनस्थ चयन आयोग लखनऊ में पिछले दिनों ही पेपर लीक होने का मामला सामने आया है। इसी तरह बेसिक शिक्षा परिषद के सहायक अध्यापकों की भर्ती में परीक्षा और परिणाम जारी हो गया लेकिन, अब रिजल्ट की ढेरों खामियां रह-रहकर सामने आ रही हैं। 31 अगस्त को हाईकोर्ट में सोनिका देवी की कॉपी बदल जाने का मामला सामने आते ही तय हो गया था कि इसमें बार कोडिंग की बड़ी खामी है, उसके बाद भी अफसरों ने अब तक उस पर कार्रवाई नहीं की है, बल्कि उसी एजेंसी से सारे परिणाम का नए सिरे से मिलान कराने की तैयारी है। माना जा रहा है कि इस मामले में अब शासन ही जांच एजेंसी पर कड़ी कार्रवाई करेगा।

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