शिक्षामित्रों को भले ही बेसिक शिक्षा विभाग सहायक अध्यापक नहीं मान रहा
हो, पर जनशक्ति निर्धारण में उसे शिक्षक के तौर पर गिना जा रहा है।
हाईकोर्ट ने दो अलग-अलग मामलों में कहा है कि शिक्षामित्रों को तैनाती देने
के लिए शिक्षकों को नहीं हटाया जा सकता।
हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षामित्र पैराटीचर हैं और उन्हें सहायक
अध्यापक के सृजित पद पर तैनाती नहीं दी गई है। लिहाजा उसे शिक्षक के तौर पर
गिनना गलत है। दरअसल, सरकार ने शिक्षामित्रों को उनके मौलिक तैनाती वाले
स्कूलों में वापसी का विकल्प दिया है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि यदि वहां
शिक्षक ज्यादा हों तो उन्हें हटाया जाए।
हाईकोर्ट ने कहा है कि शिक्षकों की गिनती करते समय उसमें शिक्षामित्रों
को नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि वे संविदा पर नियुक्त हैं और सुप्रीम कोर्ट
ने उनका समायोजन निरस्त कर दिया है। ऐसे में शिक्षामित्रों को उनके मूल
पदों पर तैनाती देने में सहायक अध्यापक को नहीं हटाया जा सकता।
शासनादेश के मुताबिक, यदि शिक्षामित्र की तैनाती वाले स्कूल में अध्यापक
ज्यादा हो रहे हैं तो कनिष्ठ अध्यापक का समायोजन दूसरे स्कूल में होगा
लेकिन शिक्षामित्रों को वहां तैनाती जरूर दी जाएगी। उधर हाईकोर्ट ने कहा है
कि शिक्षामित्र को शिक्षक मानना बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली,
1981 का उल्लंघन हैं। शिक्षामित्रों का सहायक अध्यापक के पद पर समायोजन
सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।
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