बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति मामले में जिलाधिकारियों से मांगा गया जांच का ब्योरा, जुलाई में बनाई गई थी कमिटी

लखनऊ : बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्ति हो गए फर्जी शिक्षकों की ठंडी पड़ी जांच को तेज करने की तैयारी है। अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को अब इस मामले में की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी शुक्रवार को बेसिक शिक्षा विभाग की बैठक में ऐसे मामलों को सख्ती से निपटने के लिए कहा था।


जुलाई में मथुरा में बड़े पैमाने पर बेसिक शिक्षा विभाग में अवैध ढंग से शिक्षकों की नियुक्ति का भंडाफोड़ एसटीएफ ने किया था। इसी बीच आगरा विश्वविद्यालय से बीएड की 4000 से अधिक फर्जी मार्कशीट जारी होने और उस पर शिक्षक बनने का मामला भी सामने आया था। इसको देखते हुए अपर मुख्य सचिव ने 7 जिलों के जिलाधिकारियों को कमिटी बनाकर सभी नियुक्तियों की जांच करने को कहा था। इस बीच फर्जीवाड़े का दायरा दूसरे जिलों तक पहुंचने के भी इनपुट मिले हैं। इसको देखते हुए वर्ष 2011 से बेसिक शिक्षा विभाग में हुई सहायक शिक्षक की सभी भर्तियों में फर्जीवाड़े की जांच कराने का फैसला लिया गया। 20 जुलाई को इस संदर्भ में सभी जिलों को आदेश जारी किया गया और खुद जिलाधिकारी को इस जांच की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी दी गई। हालांकि, कमिटी को एक महीने में रिपोर्ट देनी थी लेकिन करीब तीन महीने बाद भी रिपोर्ट न आने पर शासन ने इस पर सख्त रुख अपनाया है।

मांगी गई कार्रवाई की पूरी जानकारी : 2011 के बाद 1.57 लाख पदों पर शिक्षकों की भर्तियां हुई हैं। शासन के आदेश के बाद कई जिलों ने कमिटी बनाकर कार्रवाई भी शुरू कर दी है। मथुरा में 150 से अधिक शिक्षक बर्खास्त किए जा चुके हैं। बहराइच में भी 29 शिक्षक एक बार में ही बर्खास्त किए गए थे। बाकी जिलों का भी ब्योरा मांगा गया है। इसमें चिह्नित किए गए फर्जी शिक्षक, कुल दर्ज मुकदमे, जेल भेजे गए फर्जी शिक्षक, वेतन वसूली, चिह्नित किए गए कर्मचारी/दलाल और इस मामले में की गई एफआईआर का ब्योरा मांगा गया है।