कम पैसों में गुज़ारा करने के लिए सोच-समझकर योजना बनानी पड़ती है। यीशु ने इस बात पर ज़ोर देते हुए पूछा: “तुममें से ऐसा कौन है जो एक बुर्ज बनाना चाहता हो और पहले बैठकर इसमें लगनेवाले खर्च का हिसाब न लगाए, ताकि देख सके कि उसे पूरा करने के लिए उसके पास काफी पैसा है कि नहीं?”
(लूका 14:28, 29) इस सिद्धांत को लागू करते हुए अगर एक बजट बनाया जाए, तो आप भी अपने “खर्च का हिसाब” लगा सकते हैं, ताकि उतने ही पैर पसारें जितनी लंबी चादर। इस सलाह को कैसे लागू किया जा सकता है? इसे आज़माकर देखिए:
जब आप अपनी कमाई घर लाते हैं, तो पहले से तय कर लीजिए कि किस चीज़ के लिए आप कितना पैसा खर्च करेंगे और उसके हिसाब से पैसे को अलग-अलग हिस्सों में बाँट दीजिए, ताकि आपकी आज की और भविष्य की ज़रूरतें पूरी हो सकें। (पेज 8 पर दिया बक्स देखिए।) जब आप तय हिसाब से पैसे खर्च करते हैं तो आप देख पाते हैं कि पैसा किन चीज़ों में खर्च हो रहा है और कितना पैसा गैर-ज़रूरी चीज़ों में जा रहा है। इससे आपको यह पता करने में मदद मिलेगी कि आप कहाँ बचत कर सकते हैं।
अपनी ज़रूरत के हिसाब से बजट बनाने के लिए आगे दिए सुझावों को लागू कीजिए।
खरीदारी करें समझदारी से
जब राऊल की नौकरी छूट गयी तब उसकी पत्नी बरथा ने खरीदारी करने का तरीका बदल दिया। वह कहती है, “मैं डिस्काउंट कूपन की तलाश करती ताकि मुझे सामान पर छूट मिले। साथ ही मैं दुकानों में ऐसी चीज़ों पर नज़र रखती जिनमें एक-के-साथ-एक मुफ्त हो।” नीचे बचत के और भी तरीके दिए गए हैं:
● वे सब्ज़ियाँ और सामान खरीदिए जो सस्ती हों।
● पैकेट या डिब्बाबंद खाना खरीदने के बजाय, ज़रूरत की सारी चीज़ें खरीदकर घर पर खाना बनाइए।
● मौसमी चीज़ों को या काम आनेवाली उन चीज़ों को ज़्यादा मात्रा में खरीदिए जिन पर छूट मिल रही हो।
● सामान थोक में खरीदिए, मगर जल्दी खराब होनेवाली चीज़ों को ज़्यादा दिन तक मत रखिए।
● कपड़ों पर खर्चा कम करने के लिए उन दुकानों से कपड़े खरीदिए जहाँ इस्तेमाल किए (सेकंड हैंड) कपड़े बेचे जाते हैं।
● ऐसी जगहों से सामान खरीदिए जहाँ वे सस्ते मिलते हैं, मगर ध्यान रखिए कि जितनी बचत होगी उससे ज़्यादा खर्चा आने-जाने में न हो जाए।
● बार-बार खरीदारी करने से दूर रहिए।*
लिखकर रखिए
कपिल कहता है, “हमें एक बजट बनाने की ज़रूरत थी, इसलिए मैंने लिख लिया कि हमें कौन-से बिल तुरंत चुकाने हैं और महीने के बाकी दिनों के लिए हमें कितने पैसों की ज़रूरत होगी।” उसकी पत्नी आकांक्षा कहती है, “बाज़ार जाने पर मुझे पता होता था कि मैं कितना खर्च कर सकती हूँ। कभी-कभी मैं बच्चों या घर के लिए कुछ खरीदना चाहती थी पर जब मैं अपने बजट पर नज़र डालती तो सोचती, ‘अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं इसलिए हमें अगले महीने तक इंतज़ार करना पड़ेगा।’ सबकुछ लिखकर रखने से वाकई मुझे काफी मदद मिली!”
खरीदने से पहले सोचिए
खुद से ये सवाल पूछने की आदत डालिए: ‘क्या मुझे सचमुच इसकी ज़रूरत है? क्या पुराना सामान वाकई खराब हो गया है या मैं बस नयी चीज़ चाहता हूँ?’ अगर आप किसी चीज़ को बहुत कम इस्तेमाल करेंगे तो क्या उसे किराए पर लेना काफी होगा? या फिर अगर आपको लगता है कि आपको उसकी अकसर ज़रूरत पड़ेगी तो क्या पुराने (सेकंड हैंड) सामान से आपका काम चल सकता है?
ऊपर दिए सुझावों में से कुछ शायद आपको ज़्यादा खास न लगें, लेकिन अगर आप सारे तरीके आज़माएँगे तो आप देखेंगे कि उनसे बहुत फर्क पड़ेगा! दरअसल बात यह है कि अगर आप छोटी-छोटी चीज़ों में बचत करने की आदत डालें, तो आप बड़े-बड़े खर्चों में भी बचत करने की सोचेंगे।
नए-नए तरीके ढूँढ़िए
गैर-ज़रूरी चीज़ों पर खर्चा कम करने के लिए समझ से काम लीजिए और नए-नए तरीके ढूँढ़िए। मिसाल के लिए आकांक्षा बताती है: “हमारे पास दो कार थीं मगर जल्द ही हमने एक बेच दी। सब एक ही कार में जाते या अगर दूसरे लोग उसी तरफ जा रहे होते जहाँ हमें जाना होता, तो हम उनकी गाड़ी में चले जाते थे। पेट्रोल बचाने के लिए हमने सोचा कि एक बार में हम ज़्यादा-से-ज़्यादा काम निपटाएँगे। हमने तय किया कि हम सिर्फ ज़रूरत की चीज़ों पर पैसे खर्च करेंगे।” नीचे बचत के कुछ और तरीके दिए गए हैं:
● बगीचे में खुद सब्ज़ियाँ उगाइए।
● उपकरणों का इस्तेमाल करते वक्त निर्माता के निर्देशनों का पालन कीजिए, ताकि वे ज़्यादा लंबे समय तक चलते रहें।
● घर आने के बाद अपने कपड़े तुरंत बदलने की आदत डालिए, इससे आपके कपड़े लंबे समय तक नए बने रहेंगे।
खुद को दूसरों से अलग मत कीजिए!
कई लोग जिनकी नौकरी छूट जाती है, वे अलग-थलग रहने लगते हैं। मगर कपिल ने ऐसा नहीं किया! उसने देखा कि उसका परिवार, यहाँ तक कि उसके बड़े बच्चे भी उसकी हालत समझते हैं और उसकी मदद करने के लिए तैयार हैं। वह कहता है, “हमने एक-दूसरे के साथ सुख-दुख बाँटना सीखा और इस तरह हम एक-दूसरे के काफी करीब आ गए। हम सभी को इस बात का एहसास था कि ‘इस मुश्किल घड़ी में हमें एक-दूसरे का साथ देना है।’”
कपिल को एक और जगह से हिम्मत मिली। वह नियमित तौर पर यहोवा के साक्षियों के राज-घर में जाया करता था और वहाँ उसे संगी मसीहियों से बहुत हिम्मत मिलती थी। वह कहता है, “हर मसीही सभा के अंत में मुझे हमेशा काफी हौसला मिला। सभी लोग मेरे साथ अच्छी तरह पेश आते और मेरी परवाह करते थे। उनकी मदद और हौसला-अफज़ाई की वजह से हमें महसूस हुआ कि हम अकेले नहीं हैं।”—यूहन्ना 13:35.
विश्वास से मिलनेवाले फायदे
जब लोगों को नौकरी से निकाल दिया जाता है, तो वे निराश हो जाते हैं और उन्हें लगाता है कि मालिकों ने उनके साथ धोखा किया है। बेरोज़गारी की वजह से लाखों लोग ऐसा महसूस करते हैं। राऊल जिसका ज़िक्र पहले भी किया गया है, उसे अचानक दो बार नौकरी से निकाल दिया गया। एक बार उसके अपने देश पेरू में और दूसरी बार न्यू यॉर्क शहर में। दूसरी बार नौकरी से निकाले जाने पर उसने कहा, “आज की दुनिया में किसी भी चीज़ की कोई गारंटी नहीं।” कई महीनों तक नौकरी ढूँढ़ने की उसकी सारी कोशिशें बेकार गयीं। किस बात ने उसे इस हालात का सामना करने में मदद दी? राऊल ने बताया, “मेरा परमेश्वर के साथ एक करीबी रिश्ता था और मुझे एहसास हुआ कि सच्ची सुरक्षा के लिए मुझे सिर्फ उस पर भरोसा रखना है।”
राऊल एक यहोवा का साक्षी है और बाइबल का अध्ययन करने के ज़रिए वह स्वर्ग में रहनेवाले परमेश्वर पर मज़बूत विश्वास पैदा कर पाया, जो यह वादा करता है: “मैं तुझे कभी न छोड़ूंगा, न ही कभी त्यागूंगा।” (इब्रानियों 13:5) हालात बहुत मुश्किल थे। राऊल कहता है, “हम हमेशा अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करते थे और वह हमें जो भी देता उसी में हमने खुश रहना सीखा।” राऊल की पत्नी बरथा कहती है: “मैं कभी-कभी बहुत परेशान हो जाती और सोचती कि इन्हें कभी नौकरी मिलेगी भी या नहीं। पर हमने देखा कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब देता है और हमारी हर दिन की ज़रूरतें पूरी करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, हालाँकि हमारे पास पहले जितना नहीं था, मगर हमारी ज़िंदगी पहले से ज़्यादा सादगी-भरी थी।”
कपिल भी एक यहोवा का साक्षी है, इसलिए उसने बाइबल की सलाह के मुताबिक अपने हालात का सामना किया। वह कहता है, “कभी-कभी हमें लगता है कि अगर हमारे पास अच्छी नौकरी, ओहदा या बैंक में ढेर सारा पैसा हो, तभी हम सुरक्षित हैं। मगर मैंने सीखा कि सही मायने में सुरक्षा हमें सिर्फ यहोवा परमेश्वर दे सकता है। और यह तभी मुमकिन है जब उसके साथ हमारी अच्छी दोस्ती हो।”* (g10-E 07)
[फुटनोट]
एक अध्ययन के मुताबिक करीब 60 प्रतिशत चीज़ें बिना पहले से योजना बनाए खरीदी जाती हैं।
पैसों का सोच-समझकर इस्तेमाल करने के बारे में ज़्यादा जानने के लिए जनवरी-मार्च, 2010 कीप्रहरीदुर्ग के पेज 18-20 देखिए।
[पेज 9 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]
“हम हमेशा अपनी बुनियादी ज़रूरतों के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करते थे और वह हमें जो भी देता उसी में हमने खुश रहना सीखा”
[पेज ८ पर बक्स/ चार्ट]
बजट कैसे बनाएँ
(1) महीने के ज़रूरी खर्चों को लिख लीजिए। एक महीने में खाने, मकान (किराया या किश्त), बिजली, पानी, गैस, गाड़ी और ऐसी ही दूसरी ज़रूरी चीज़ों पर कितना खर्चा होता है, उसका पूरा हिसाब रखिए। जो पैसे आपको साल में एक बार चुकाने पड़ते हैं, उन्हें 12 से भाग कीजिए ताकि यह पता चले कि हर महीने उनके लिए कितना पैसा अलग रखना चाहिए।
(2) खर्च को अलग-अलग वर्गों में बाँटिए। जैसे कि खाने, घर, गाड़ी, आने-जाने और बाकी चीज़ों का खर्च।
(3) देखिए कि आपकी जमा-पूँजी में से हर महीने, हर वर्ग में कितने पैसे खर्च होंगे। “हिसाब” लगाइए कि जिन बिलों का भुगतान साल में एक बार किया जाता है, उनके लिए आपको हर महीने कितने पैसे अलग रखने चाहिए।
(4) घर के सभी सदस्यों की कुल आमदनी लिख लीजिए। उसमें से टैक्स वगैरह के पैसे घटा दीजिए, फिर उसकी तुलना कुल खर्च से कीजिए।
(5) एक महीने में हर वर्ग में कितना खर्चा होगा उसके पैसे अलग रखिए। अगर आप नकद रुपए इस्तेमाल करते हैं, तो एक आसान तरीका है कि आप हर वर्ग के लिए एक अलग लिफाफा बनाएँ। फिर समय-समय पर लिफाफे में तय खर्च के हिसाब से पैसे रख दीजिए।
सावधानी: अगर आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो इसके इस्तेमाल में एहतियात बरतिए! कई लोगों का बजट गड़बड़ा जाता है, क्योंकि उनके सामने ‘अभी खरीदो, बाद में चुकाओ’ का लालच रहता है।
[चार्ट]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
मासिक आमदनी
मासिक वेतन रु..... दूसरे ज़रिए रु
घर के दूसरे
लोगों का मासिक वेतन रु ..... कुल आमदनी
रु ......
बजट के हिसाब से असल में
हर महीने का खर्च हर महीने का खर्च
रु..... किराया या किश्त रु.....
रु बीमा/टैक्स रु.....
रु बिजली, पानी, गैस रु.....
रु गाड़ी रु.....
रु मनोरंजन/यात्रा रु.....
रु फोन रु.....
रु खाना रु.....
रु दूसरे खर्च रु.....
रु
कुल अनुमानित खर्च कुल असल खर्च
रु रु
आमदनी और खर्च की तुलना
कुल मासिक आमदनी रु.....
घटाइए– बची रकम
मासिक खर्च रु रु