दो टके की जुबान बराबर / दो टके का इंसान -- जो टीईटी अभ्यर्थी/अभ्यार्थिनी केवल मौखिक रूप से / फ़ोन से / सोशल मीडिया
से मात्र और मात्र शब्द चित्रण करता है / जानकारी लेता है लेकिन जमीनी
स्तर पर किसी तरह का कोई सहयोग नहीं करता है हालाँकि ऐसा इंसान अपनी ऐसी
नीचता पर गर्व महसूस करता है जैसे काला कौवा गन्दगी पर चोंच मारकर | ऐसे
लोग जिन्दा शरीर में सड़े-गले जमीर के धनी होते हैं |
• औसत टके की जुबान / एवरेज मेन --जो अपनी जिमीदारी व जागरूक व्यक्तित्व का परिचय देते हुए मानसिक , शारीरिक व आर्थिक तीनो रूपों में से कम से कम दो रूपों में सहयोग अवश्य करता है | Good Personality
• लाख टके की जुबान / लाख टके का इंसान --जो अपने साथ-साथ सबके लिए मानसिक शारीरिक व आर्थिक तीनो रूपों में जमीनी सहयोग करते हुए जी जान लगा देता है / देती है | Best Personality
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
• औसत टके की जुबान / एवरेज मेन --जो अपनी जिमीदारी व जागरूक व्यक्तित्व का परिचय देते हुए मानसिक , शारीरिक व आर्थिक तीनो रूपों में से कम से कम दो रूपों में सहयोग अवश्य करता है | Good Personality
• लाख टके की जुबान / लाख टके का इंसान --जो अपने साथ-साथ सबके लिए मानसिक शारीरिक व आर्थिक तीनो रूपों में जमीनी सहयोग करते हुए जी जान लगा देता है / देती है | Best Personality
“ जो सबके साथ होगा वही मेरे साथ होगा |”
ऐसी सोच के लोगों के लिए शब्द कोष में इनके संबोधन के लिए शब्द नहीं मिल रहा है , ऐसा लगता है ऐसे लोगों के पूरे पीड़ी दर पीड़ी से genes में डिफेक्ट चला आ रहा है और आगे भी ऐसे लोगों के बच्चे genes डिफेक्ट से पीड़ित ही रहेंगे |
नोट: लेकिन कितनी भी बुराई हो इंसान में कभी भी किसी भी वक्त कोई भी बात उन्हें कर्तव्य का पालन कराने के लिए जागरूक बना सकती है |
यह कहानी भी आज अगर टीईटी अभ्यर्थियों को जागरूक न बना सके तो समझाना कि मुर्दे भी कहीं न कहीं ऐसे टीईटी पास अभ्यर्थियों से बेहतर हैं --
सौ बच्चों की संख्या के प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बच्चों से कहा कि यह एक ड्रम रखा है सभी बच्चे अपने – अपने घर से एक-एक लौटा दूध लायेंगे और इस ड्रम को दूध से भरेंगे जिससे खीर बनाकर सबको स्वादिष्ट खीर खिलाई जाएगी | एक बच्चे ने सोचा सभी तो लौटा भर-भरकर दूध लायेंगे तो मैं एक लौटा दूध न ले जाकर लौटे में खली पानी ले जाकर ड्रम में दाल दूंगा इससे किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा और न ही फर्क पड़ेगा और मेरी बचत भी हो जाएगी , दुसरे ने भी ये ही सोचा और किया , तीसरे ने भी , चौथे ने भी ................ मात्र पांच बच्चों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए पांच लौटा दूध ड्रम में डाला और ९५ लौटा ड्रम में पानी पड़ा, ऐसे में खीर बनेगी क्या ? स्वादिष्ट खीर चखेंगे क्या ? बच्चों की ऐसी सोच व कृत्य से पूरे खीर भोज / मिशन / परिणाम पूरी तरह असफल हो गया |
क्या लगता है टीईटी अभ्यर्थियों को प्राइमरी टीचर रुपी स्वादिष्ट व सुखद परिणाम मिलेगा या आपकी प्राइमरी बच्चों जैसी सोप्च व कृत्य से पूरी असफलता के मुहाने पर आकर खड़े हो गए हो ?
बच्चे माफ़ किये जा सकते हैं लेकिन आप अपने आप को भावी शिक्षक के रूप में देख रहे हो आपकी उम्र है , थोड़ी समझ भी है फिर हरकतें इस कहानी के प्राइमरी बच्चों जैसी क्यूँ ?
२५ फ़रवरी को एक सीनियर वकील खड़ा करने के लिए संगठन के पास फंडिंग कि व्यवस्था नहीं हो पा रही है , अगर दो दिन में आप लोगों ने आर्थिक सहयोग नहीं किया तो आपको अपने कु-कृत्यों से दुष्परिणाम देखने को मिल सकता है, तब पीटते रहना अपना सर |
तीन फ़रवरी लखनऊ मीटिंग के बाद से ५०-५५ हजार के आस-पास आया है जिसमे से एओआर की फीस व डाक्यूमेंट्स के लिए ही पर्याप्त नहीं हैं तो सीनियर वकील क्या खड़ा हो पायेगा ?
टीम के द्वारा तैयार कि गयी आईए कल मीटिंग में हिमाँशु राणा जी के द्वारा ट्रांसलेट भी कर दी गयी है और सभी ने माना है कि उत्तर-प्रदेश सरकार का असली भयावह रूप टीईटी पास अभ्यर्थियों के समक्ष हमारी ही आईए में दिखाया जा रहा है और कुछ लोगों के साथ टीम कल एओआर साहब से मिल भी आई है | अमित पवन जी सुप्रीम-कोर्ट के गोल्ड मेडलिस्ट एओआर में से हैं जो की खुद भी बिहार भरती में नागेश्वर राओ जी के साथ अपीयर हुए थे |
खैर अंत में बस इतना कहूँगा कि अब आप लोग ही अपने कु-कृत्यों व सु-कृत्यों से सुखद व दुखद परिणाम के लिए जिम्मेदार होंगे |
सुखद परिणाम के लिए हर कोई आर्थिक सहयोग करे |
मेरा ये मेसज सभी तक शेयर कर दें अग्रिम धन्यवाद |
ऐसी सोच के लोगों के लिए शब्द कोष में इनके संबोधन के लिए शब्द नहीं मिल रहा है , ऐसा लगता है ऐसे लोगों के पूरे पीड़ी दर पीड़ी से genes में डिफेक्ट चला आ रहा है और आगे भी ऐसे लोगों के बच्चे genes डिफेक्ट से पीड़ित ही रहेंगे |
नोट: लेकिन कितनी भी बुराई हो इंसान में कभी भी किसी भी वक्त कोई भी बात उन्हें कर्तव्य का पालन कराने के लिए जागरूक बना सकती है |
यह कहानी भी आज अगर टीईटी अभ्यर्थियों को जागरूक न बना सके तो समझाना कि मुर्दे भी कहीं न कहीं ऐसे टीईटी पास अभ्यर्थियों से बेहतर हैं --
सौ बच्चों की संख्या के प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक ने बच्चों से कहा कि यह एक ड्रम रखा है सभी बच्चे अपने – अपने घर से एक-एक लौटा दूध लायेंगे और इस ड्रम को दूध से भरेंगे जिससे खीर बनाकर सबको स्वादिष्ट खीर खिलाई जाएगी | एक बच्चे ने सोचा सभी तो लौटा भर-भरकर दूध लायेंगे तो मैं एक लौटा दूध न ले जाकर लौटे में खली पानी ले जाकर ड्रम में दाल दूंगा इससे किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा और न ही फर्क पड़ेगा और मेरी बचत भी हो जाएगी , दुसरे ने भी ये ही सोचा और किया , तीसरे ने भी , चौथे ने भी ................ मात्र पांच बच्चों ने अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए पांच लौटा दूध ड्रम में डाला और ९५ लौटा ड्रम में पानी पड़ा, ऐसे में खीर बनेगी क्या ? स्वादिष्ट खीर चखेंगे क्या ? बच्चों की ऐसी सोच व कृत्य से पूरे खीर भोज / मिशन / परिणाम पूरी तरह असफल हो गया |
क्या लगता है टीईटी अभ्यर्थियों को प्राइमरी टीचर रुपी स्वादिष्ट व सुखद परिणाम मिलेगा या आपकी प्राइमरी बच्चों जैसी सोप्च व कृत्य से पूरी असफलता के मुहाने पर आकर खड़े हो गए हो ?
बच्चे माफ़ किये जा सकते हैं लेकिन आप अपने आप को भावी शिक्षक के रूप में देख रहे हो आपकी उम्र है , थोड़ी समझ भी है फिर हरकतें इस कहानी के प्राइमरी बच्चों जैसी क्यूँ ?
२५ फ़रवरी को एक सीनियर वकील खड़ा करने के लिए संगठन के पास फंडिंग कि व्यवस्था नहीं हो पा रही है , अगर दो दिन में आप लोगों ने आर्थिक सहयोग नहीं किया तो आपको अपने कु-कृत्यों से दुष्परिणाम देखने को मिल सकता है, तब पीटते रहना अपना सर |
तीन फ़रवरी लखनऊ मीटिंग के बाद से ५०-५५ हजार के आस-पास आया है जिसमे से एओआर की फीस व डाक्यूमेंट्स के लिए ही पर्याप्त नहीं हैं तो सीनियर वकील क्या खड़ा हो पायेगा ?
टीम के द्वारा तैयार कि गयी आईए कल मीटिंग में हिमाँशु राणा जी के द्वारा ट्रांसलेट भी कर दी गयी है और सभी ने माना है कि उत्तर-प्रदेश सरकार का असली भयावह रूप टीईटी पास अभ्यर्थियों के समक्ष हमारी ही आईए में दिखाया जा रहा है और कुछ लोगों के साथ टीम कल एओआर साहब से मिल भी आई है | अमित पवन जी सुप्रीम-कोर्ट के गोल्ड मेडलिस्ट एओआर में से हैं जो की खुद भी बिहार भरती में नागेश्वर राओ जी के साथ अपीयर हुए थे |
खैर अंत में बस इतना कहूँगा कि अब आप लोग ही अपने कु-कृत्यों व सु-कृत्यों से सुखद व दुखद परिणाम के लिए जिम्मेदार होंगे |
सुखद परिणाम के लिए हर कोई आर्थिक सहयोग करे |
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