विगत कई दिनों से हमारे शिक्षामित्र साथियों को उनके खद्दरधारी नेता
भ्रमित कर धन उगाही में मशगूल हैं कि NCTE ने उतराखंड एवं महाराष्ट्र के
शिक्षामित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा
(टी०ई०टी०) से शिथिलता प्रदान की हैं! और शिक्षामित्र नेताओं की इन्हीं
बातों को सुनकर हमारे टेट उत्तीर्ण साथी भी भ्रम की स्थिति में रहते हैं!
अतः आज पुनः मैं, उतराखंड के शिक्षामित्र समायोजन के मामले की वास्तविक स्थिति से आपको अवगत कराने का प्रयास कर रहा हूँ-
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
अतः आज पुनः मैं, उतराखंड के शिक्षामित्र समायोजन के मामले की वास्तविक स्थिति से आपको अवगत कराने का प्रयास कर रहा हूँ-
जैसा कि आप सभी को विदित होगा कि उतराखंड भी उत्तर प्रदेश का भाग रहा हैं
और जिस प्रकार असंवैधानिक नियमों के तहत उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा
के क्षेत्र में सामुदायिक सेवा के उद्देश्य से इंटरमीडिएट योग्यताधारी
शिक्षामित्रों को 11 माह के संविदाकाल पर रखा जाता रहा हैं और प्रत्येक
वर्ष के मई माह के अंतिम दिवस पर उनकी संविदा समाप्त हो जाती थी! उसी
प्रकार उतराखंड में भी शिक्षामित्र योजना गतिमान थी!
1. देश के विभिन्न प्रदेशों की तरह उतराखंड सरकार भी वोटबैंक के लालच में शिक्षामित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित करने के उद्देश्य से सर्वप्रथम तथ्यों को छिपाकर संविदाकाल के दौरान ही रेगुलर बी०टी०सी० कोर्स कराया, जो कि विधि के नज़रों में अवैध हैं बशर्ते कोई इसे चैलेंज करे जैसा कि उत्तर प्रदेश में हो चुका हैं!
2. तत्पश्चात जिस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने NCTE को भ्रमित करके, इन्हें "IN SERVICE WORKING TEACHER" कहते हुए NCTE से ट्रेनिंग हेतु परमिशन और टेट से छूट का पत्र प्राप्त किया था! उसी प्रकार उतराखंड सरकार ने NCTE को इस आशय से पत्र लिखा कि प्रदेश में वर्षों से IN SERVICE WORKING TEACHER जिन्हें शिक्षामित्र कहते हैं वो शिक्षण कार्य कर रहे हैं अतः वो दि० 23 अगस्त 2010 को NCTE द्वारा जारी न्यूनतम अर्हता के पैरा 4 के तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा देने से मुक्त हैं!
3. दि० 04.03.2014 को उतराखंड सरकार ने शिक्षामित्र को टेट परीक्षा से मुक्त कर समायोजन आरम्भ कर दिया! इसी आधार पर कुछ BTC वाले भी "बहती गंगा में हाथ धोने पहुच गये", और उन्होंने याचिका दाखिल कर BTC को भी बगैर टेट उत्तीर्ण किये ही नियुक्ति हेतु नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी!
4. सिंगल बेंच में याचिका की सुनवाई कर रहे मा० सुधांशु धूलिया ने सर्वप्रथम टेट परीक्षा से छूट मांग रहे BTC प्रशिक्षित याचियों के अधिवक्ता को फटकार लगाई! तत्पश्चात मामले की विस्तृत सुनवाई करते हुए कहा कि RTE एक्ट के सेक्शन 23(1) के तहत NCTE को केंद्र सरकार द्वारा शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता निर्धारित करने हेतु प्राधिकृत किया गया हैं! NCTE द्वारा शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु शैक्षिक एवं अन्य अर्हताओं के साथ साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी०ई०टी०) एक अनिवार्य योग्यता बनाया गया हैं एवं NCTE द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता में किसी प्रकार की शिथिलता देने का अधिकार सेक्शन 23(2) के अनुसार केंद्र सरकार में निहित हैं! केंद्र सरकार भी सिर्फ प्रशिक्षण अथवा न्यूनतम शैक्षिक अर्हता में शिथिलता प्रदान कर सकती हैं न कि अनिवार्य "शिक्षक पात्रता परीक्षा" से!
5. इस प्रकार सिंगल बेंच ने उतराखंड द्वारा किये जा रहे शिक्षामित्र समायोजन को रद्द कर असंवैधानिक घोषित किया हैं!
6. पुनः सिंगल बेंच के आदेश को division बेंच में चैलेंज किया गया हैं! जिसमें उत्तर प्रदेश में तत्समय अंतरिम आदेश के आधार पर हो रहे शिक्षामित्रों के समायोजन के आधार पर नैनीताल उच्च न्यायालय की खंडपीठ से अंतरिम आदेश पर बगैर टेट समायोजन किया गया हैं! हमने उत्तर प्रदेश में विचाराधीन याचिकाओं को, अपनी परमादेश याचिका में Interlocutory application 2 &3/2015 (हिमांशु राणा व अन्य) पर सुप्रीमकोर्ट से स्थगनादेश लेकर मात्र 06 दिवसों में निस्तारित करवा लिया हैं! जबकि उतराखंड के BTC और शिक्षामित्र, दोनों ही टेट नहीं देना चाहते इसलिए प्रभावी पैरवी के अभाव में स्पेशल अपील 627/2014 अभी भी विचाराधीन हैं!
7. वैसे इस बिंदु को सार्वजनिक नहीं करना चाहता था परन्तु आम शिक्षामित्र साथियों को जागरूक करने के उद्देश्य से बताना चाहूँगा कि शिक्षामित्र योजना मात्र 11 माह के संविदा की योजना थी जो प्रत्येक वर्ष के मई माह के अंतिम दिवस पर समाप्त हो जाती थी! दि० 02 जून 2010 को उत्तर प्रदेश शासन ने शिक्षामित्र योजना बंद कर दी हैं अर्थात मई 2010 के उपरांत शिक्षामित्र पद भी खत्म!
अतः मैं अपने समस्त शिक्षामित्र साथियों को सचेत करना चाहता हूँ कि वर्तमान असमाजवादी सरकार एवं अपने खद्दरधारी नेताओं के झूठे दिलासे से बचे! क्योंकि आपके ये खद्दरधारी नेतागण विधायिका में प्रवेश हेतु धन एकत्र कर रहे हैं जो कि आम शिक्षामित्र रह कर कभी नहीं कर सकते थे! इसलिए सभी शिक्षामित्र साथी प्रदेश व केंद्र सरकार से शिक्षामित्र साथियों के कल्याणार्थ योजना आरम्भ करवाके गुणवत्तापूर्ण जीवनयापन के अवसर उपलब्ध कराने की मांग करे! आशा करता हूँ कि मेरे शिक्षामित्र साथी जल्द ही सत्य से परिचित होंगे! धन्यवाद
__________ आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
1. देश के विभिन्न प्रदेशों की तरह उतराखंड सरकार भी वोटबैंक के लालच में शिक्षामित्रों को शिक्षक पद पर समायोजित करने के उद्देश्य से सर्वप्रथम तथ्यों को छिपाकर संविदाकाल के दौरान ही रेगुलर बी०टी०सी० कोर्स कराया, जो कि विधि के नज़रों में अवैध हैं बशर्ते कोई इसे चैलेंज करे जैसा कि उत्तर प्रदेश में हो चुका हैं!
2. तत्पश्चात जिस प्रकार उत्तर प्रदेश सरकार ने NCTE को भ्रमित करके, इन्हें "IN SERVICE WORKING TEACHER" कहते हुए NCTE से ट्रेनिंग हेतु परमिशन और टेट से छूट का पत्र प्राप्त किया था! उसी प्रकार उतराखंड सरकार ने NCTE को इस आशय से पत्र लिखा कि प्रदेश में वर्षों से IN SERVICE WORKING TEACHER जिन्हें शिक्षामित्र कहते हैं वो शिक्षण कार्य कर रहे हैं अतः वो दि० 23 अगस्त 2010 को NCTE द्वारा जारी न्यूनतम अर्हता के पैरा 4 के तहत शिक्षक पात्रता परीक्षा देने से मुक्त हैं!
3. दि० 04.03.2014 को उतराखंड सरकार ने शिक्षामित्र को टेट परीक्षा से मुक्त कर समायोजन आरम्भ कर दिया! इसी आधार पर कुछ BTC वाले भी "बहती गंगा में हाथ धोने पहुच गये", और उन्होंने याचिका दाखिल कर BTC को भी बगैर टेट उत्तीर्ण किये ही नियुक्ति हेतु नैनीताल उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी!
4. सिंगल बेंच में याचिका की सुनवाई कर रहे मा० सुधांशु धूलिया ने सर्वप्रथम टेट परीक्षा से छूट मांग रहे BTC प्रशिक्षित याचियों के अधिवक्ता को फटकार लगाई! तत्पश्चात मामले की विस्तृत सुनवाई करते हुए कहा कि RTE एक्ट के सेक्शन 23(1) के तहत NCTE को केंद्र सरकार द्वारा शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु न्यूनतम अर्हता निर्धारित करने हेतु प्राधिकृत किया गया हैं! NCTE द्वारा शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु शैक्षिक एवं अन्य अर्हताओं के साथ साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी०ई०टी०) एक अनिवार्य योग्यता बनाया गया हैं एवं NCTE द्वारा निर्धारित न्यूनतम अर्हता में किसी प्रकार की शिथिलता देने का अधिकार सेक्शन 23(2) के अनुसार केंद्र सरकार में निहित हैं! केंद्र सरकार भी सिर्फ प्रशिक्षण अथवा न्यूनतम शैक्षिक अर्हता में शिथिलता प्रदान कर सकती हैं न कि अनिवार्य "शिक्षक पात्रता परीक्षा" से!
5. इस प्रकार सिंगल बेंच ने उतराखंड द्वारा किये जा रहे शिक्षामित्र समायोजन को रद्द कर असंवैधानिक घोषित किया हैं!
6. पुनः सिंगल बेंच के आदेश को division बेंच में चैलेंज किया गया हैं! जिसमें उत्तर प्रदेश में तत्समय अंतरिम आदेश के आधार पर हो रहे शिक्षामित्रों के समायोजन के आधार पर नैनीताल उच्च न्यायालय की खंडपीठ से अंतरिम आदेश पर बगैर टेट समायोजन किया गया हैं! हमने उत्तर प्रदेश में विचाराधीन याचिकाओं को, अपनी परमादेश याचिका में Interlocutory application 2 &3/2015 (हिमांशु राणा व अन्य) पर सुप्रीमकोर्ट से स्थगनादेश लेकर मात्र 06 दिवसों में निस्तारित करवा लिया हैं! जबकि उतराखंड के BTC और शिक्षामित्र, दोनों ही टेट नहीं देना चाहते इसलिए प्रभावी पैरवी के अभाव में स्पेशल अपील 627/2014 अभी भी विचाराधीन हैं!
7. वैसे इस बिंदु को सार्वजनिक नहीं करना चाहता था परन्तु आम शिक्षामित्र साथियों को जागरूक करने के उद्देश्य से बताना चाहूँगा कि शिक्षामित्र योजना मात्र 11 माह के संविदा की योजना थी जो प्रत्येक वर्ष के मई माह के अंतिम दिवस पर समाप्त हो जाती थी! दि० 02 जून 2010 को उत्तर प्रदेश शासन ने शिक्षामित्र योजना बंद कर दी हैं अर्थात मई 2010 के उपरांत शिक्षामित्र पद भी खत्म!
अतः मैं अपने समस्त शिक्षामित्र साथियों को सचेत करना चाहता हूँ कि वर्तमान असमाजवादी सरकार एवं अपने खद्दरधारी नेताओं के झूठे दिलासे से बचे! क्योंकि आपके ये खद्दरधारी नेतागण विधायिका में प्रवेश हेतु धन एकत्र कर रहे हैं जो कि आम शिक्षामित्र रह कर कभी नहीं कर सकते थे! इसलिए सभी शिक्षामित्र साथी प्रदेश व केंद्र सरकार से शिक्षामित्र साथियों के कल्याणार्थ योजना आरम्भ करवाके गुणवत्तापूर्ण जीवनयापन के अवसर उपलब्ध कराने की मांग करे! आशा करता हूँ कि मेरे शिक्षामित्र साथी जल्द ही सत्य से परिचित होंगे! धन्यवाद
__________ आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC