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शिक्षामित्रों को राहत के लिए ये कदम उठाएगी सरकार : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

यूपी सरकार का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने जो जवाब दिया है, उससे शिक्षामित्रों का कोई भला होने वाला नहीं है। इसलिए शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए एनसीटीई को दोबारा चिट्ठी लिखी जाएगी और उन्हें टीईटी से छूट दिलाने की मांग की जाएगी।

एनसीटीई के सदस्य सचिव जुगलाल सिंह के पत्र मुख्य सचिव आलोक रंजन ने बुधवार को बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ लंबी मंत्रणा की। सूत्रों की मानें तो बेसिक शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि एनसीटीई के पत्र से शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

क्या होगा चिट्ठी में
सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार एनसीटीई के चेयरमैन को पत्र लिखकर बताएगी कि 25 अगस्त 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट देने से सूबे में सहायक अध्यापक बने 1.37 लाख व प्रशिक्षणरत शिक्षामित्रों को कोई फायदा नहीं हो रहा है।

- शिक्षामित्रों को संविदा पर नियुक्त किया गया है और वे बेहतर ढंग से बच्चों को पढ़ा रहे हैं।

- यूपी सरकार ने 3 जनवरी 2011 को पत्र भेजकर एनसीटीई से अनुमति लेकर ही स्नातक पास शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा से दो वर्षीय बीटीसी प्रशिक्षण दिया था। इसमें सफल होने वालों को ही सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया था।
शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए यूपी सरकार एनसीटीई की अधिसूचना ही बदलवाना चाहती है। उसकी कोशिश है कि एनसीटीई की टीईटी से छूट वाली अधिसूचना में ही शिक्षामित्रों के लिए भी प्रावधान जोड़ दिया।

दरअसल, एनसीटीई ने मुख्य सचिव को जो जवाब भेजा है उसमें 23 अगस्त 2010 को जारी अधिसूचना के प्रस्तर 4 का उल्लेख किया गया है। इस प्रस्तर में स्पष्ट किया गया है टीईटी से छूट कक्षा एक से पांच के शिक्षा स्नातक (बीएड) योग्यताधारी उन्हीं अध्यापकों को मिलेगी जिन्होंने अधिसूचना जारी होने से पहले एनसीटीई से अनुमोदित छह माह का विशेष बीटीसी पूरा कर लिया है।

भर्ती नियमों के अनुसार 3 सितंबर 2001 से पहले नियुक्त शिक्षकों को ही टीईटी से छूट दी जा सकती है। राज्य सरकार चाहती है कि इसमें ही शिक्षा मित्रों के लिए प्रावधान जोड़कर एनसीटीई संशोधित अधिसूचना जारी कर दे ताकि उनके सहायक अध्यापक बनने का रास्ता साफ हो जाए।

एनसीटीई से अनुरोध किया जाएगा कि जब तक प्रस्तर चार में संशोधन नहीं किया जाएगा, तब तक यूपी के प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके व प्रशिक्षणरत 1.70 लाख शिक्षामित्रों को राहत नहीं मिल सकती है।

छात्र अनुपात का दिया जाएगा हवाला
शिक्षामित्रों को टीईटी से छूट देने के लिए छात्र-शिक्षक अनुपात का हवाला देते हुए अनुरोध किया जाएगा। शिक्षा मित्र योजना राज्य सरकार ने परिषदीय स्कूलों में निर्धारित मानक के अनुसार शिक्षक छात्र अनुपात को बनाए रखने व बेसिक शिक्षा के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए वर्ष 1999 से लागू की थी।
वहीं, फैजाबाद जिले के शिक्षामित्रों को यदि राज्य सरकार ने सेवारत शिक्षक की श्रेणी में माना तो, यहां तैनात सभी की बल्ले-बल्ले होगी। कारण कि इन सबकी शिक्षा मित्र पर तैनाती 2001 से 2009 के बीच हुई है।

मगर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से लेकर हाईकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट में शिक्षा मित्रों को सेवारत अध्यापक प्रमाणित करना चुनौती होगी। पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षा मित्रों को अपने फैसले में शिक्षक की परिभाषा से इतर केवल संविदा कर्मी कहा है। फिलहाल शिक्षामित्र राज्य सरकार से उम्मीद लगाए हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सही हलफनामा देकर सेवारत शिक्षक माना जाए, ताकि नौकरी पर खतरा न हो।

नौकरी बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी से गुहार लगाने वाले शिक्षामित्रों के मामले में केंद्र सरकार ने बड़ी सफाई से गेंद उत्तर प्रदेश सरकार के पाले में सरका दी है। जिले में पूरे दिन शिक्षा अधिकारियों से लेकर शिक्षा मित्र संगठनों और टीईटी उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा के बीच चर्चाएं गर्म रहीं।

यहां शिक्षा मित्रों को तीन चरणों में दूरस्थ शिक्षामित्र बीटीसी प्रशिक्षण के जरिए शिक्षक पद पर समायोजन की रणनीति अमल में लाई गई थी। पहले चरण में 797 शिक्षा मित्रों का प्रशिक्षण वर्ष 2011-12 व 2012-13 में पूरा करा अगस्त 2014 में नियुक्ति पत्र दिए गए। फिर दूसरे चरण में 1195 शिक्षा मित्रों को वर्ष 2012-13 व 2013-14 में बीटीसी प्रशिक्षण कराकर एक मई 2015 से सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किया गया।  
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