शिक्षामित्रों को नहीं मिलेगी सैलरी , शासन ने नहीं दिए आदेश : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

समायोजन निरस्त होने के बाद शासन ने भी हाथ खड़े कर दिए , बरेली के 3,400 शिक्षामित्र भी हैं शामिल
BAREILLY: बेसिक शिक्षा के परिषदीय स्कूलों में सहायक अध्यापक पद पर समायोजित किए गए शिक्षामित्रों की सैलरी फंस चुकी है। सैलरी मिलने की उम्मीद खत्म होती जा रही है। हाईकोर्ट द्वारा समायोजन निरस्त करने के बाद शासन ने भी अब इस संबंध में हाथ खड़े कर दिए हैं।
नाम न बताने के शर्त पर कुछ शिक्षामित्रों व उनके नेताओं ने बताया कि शासन भी सैलरी को लेकर कोई डिसीजन नहीं ले पाया है। केवल आश्वासन ही दिया है, लेकिन अभी तक इसको लेकर अधिकारियों को स्पष्ट आदेश जारी नहीं किए हैं। नेताओं और अधिकारियों की मानें तो अब यह मुद्दा प्रदेश सरकार के बस की नहीं रही। केंद्र सरकार ही इसका कोई हल निकाल सकती है.
टीईटी से मिली थी छूट
प्रदेश सरकार ने प्रदेश के 1.74 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर समायोजित करने का आदेश जारी किया था। इसके तहत शिक्षामित्रों को टीईटी की छूट प्रदान की गई और पत्राचार के माध्यम से उनकी ट्रेनिंग कराई गई। ट्रेनिंग के पश्चात करीब प्रदेश के 1.24 लाख शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित किया गया। जिसमें बरेली के 3,400 शिक्षामित्र भी शामिल हैं। गत 11 सितम्बर को हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध करार देते हुए इसे रद कर दिया था। तभी से शिक्षामित्रों के पद और सैलरी को लेकर मामला फंसा हुआ है। इसको लेकर प्रदेश भर के शिक्षामित्र आंदोलन पर हैं.
किस मद में जारी करें सैलरी
न केवल क्षेत्रीय शिक्षा विभाग बल्कि शासन में भी यह मसला फंस गया है कि शिक्षामित्रों को वेतन किस मद में दिया जाए। यदि उन्हें शिक्षामित्र के रूप में दिया जाता है तो उनको पूर्व की भांति मानदेय करीब 3,500 रुपए निर्गत करना पड़ेगा। यदि सहायक अध्यापक की सैलरी देनी होगी तो करीब 30,000 रुपए वेतन देना पड़ेगा। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों को तो सैलरी तो फंसी ही मानदेय भी नहीं मिला है.
शासन ने नहीं दिए आदेश
कुछ शिक्षामित्रों के नेता और शिक्षामित्रों की मानें तो शासन ने अभी तक सहायक शिक्षक पद की सैलरी देने का आदेश नहीं दिया है। यही वजह है कि क्षेत्रीय शिक्षा विभाग भी सैलरी नहीं दे रहा है। नेताओं की मानें तो शासन हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद किसी भी नतीजे पर नहीं आया है। सारा दारोमदार अब केंद्र सरकार पर टिका है। प्रदेश सरकार केंद्र सरकार के सामने पैरवी कर रही है। ताकि एनसीटीई के नियमों में संशोधन किया जा सके। उससे पहले शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक की सैलरी देना प्रदेश सकार के गली की फांस बन जाएगी.

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