Thursday 26 November 2015

07 Dec - या तो पुराना विज्ञापन ख़त्म हो जायेगा या वर्गीकरण : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

यदि पुराना विज्ञापन ख़त्म हो गया तो फिर आप मुझसे यह नहीं कह सकते कि आपने वर्गीकरण नहीं ख़त्म कराया क्योंकि फिर जो चयन का आधार जीतेगा उससे संपन्न होने वाली भर्ती में वर्गीकरण नहीं रहेगा ।
यदि पुराना विज्ञापन ख़त्म हुआ तो इसके दोषी अनिल संत , SK पाठक , सुजीत सिंह , अनिल चौधरी , अनिल कुंडू और इनकी टीम और मायावती सरकार होगी ।



फाइनल हियरिंग में यह मुद्दा कनेक्ट रहेगा ।
वर्गीकरण पुराने विज्ञापन का दूसरा दोष है , इसलिए पहले दोष के निपटारे के बाद ही इस दोष पर सुनवाई होगी ।
पहला दोष यह है कि पुराना विज्ञापन रुल 14(1) के तहत BSA द्वारा निकाला जाना चाहिए था और पहले नियुक्ति होती तब ट्रेनिंग होती और ट्रेनिंग के बाद फिर कोई नियुक्ति न होती और चयन में सर्विस रुल पूर्णतया प्रभावी रहता ।
जबकि ऐसा हुआ नहीं था और न्यायमूर्ति श्री अरुण कुमार टंडन कपिल देव की याचिका पर उस ऐड को रद्द करना चाहते थे लेकिन उनको लगा कि फिर सरकार बीएड की भर्ती नहीं निकालेगी और तब तक बीटीसी वाले तैयार हो जायेंगे इसलिए सरकार को विज्ञापन वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया और सरकार केंद्र सरकार से परमिशन लेकर नया ऐड लायी ।
पुराना विज्ञापन वापस लेने के बाद कपिल देव की याचिका महत्त्वहीन हो गयी और कपिल देव ने याचिका वापस ले ली ।
खंडपीठ ने कपिल देव की याचिका ख़ारिज बताकर उसी त्रुटिपूर्ण विज्ञापन को सर्विस रुल पर बताकर बहाल कर दिया ।
जब यह तय हो गया कि भर्ती सर्विस रुल से होगी तब वर्गीकरण विज्ञापन की दूसरी त्रुटि सिद्ध हुयी क्योंकि सर्विस रुल में वर्गीकरण नहीं है ।
अब सुप्रीम कोर्ट में पुराने विज्ञापन के वर्गीकरण समर्थक यह कहेंगे कि भर्ती सर्विस रुल से नहीं है तब मेरी याचिका का महत्त्व ख़त्म हो जायेगा और कपिल देव की याचिका निर्णित होगी और पुराना विज्ञापन ख़त्म हो जायेगा ।
यदि पुराने विज्ञापन के समर्थक यह कहेंगे कि पुराना विज्ञापन सर्विस रुल पर था तो फिर मेरी याचिका वर्गीकरण समर्थकों पर आग उगलेगी क्योंकि तब कपिल देव की याचिका यह साबित कर देगी कि विज्ञापन BSA ने नहीं निकाला था और नियुक्ति प्रशिक्षण के बाद मिलती जो कि अंतरिम प्रक्रिया में सबकुछ हो चुका है ।
इसके बाद मेरी याचिका साबित करेगी कि वर्गीकरण भी गलत है क्योंकि सर्विस रुल में नहीं है ।
ऐसी स्थिति में जो चयन का आधार निर्णित होगा उसपर 72825 लोग को पुनः नियुक्ति मिलेगी या फिर
तीस फीसदी और पद बढ़ाकर सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया संपन्न होगी ।
इसमें बहुत कुछ न्यायमूर्ति के ऊपर निर्भर है कि वे क्या करेंगे ।
इतना तय है कि फैसला ऐतिहासिक होगा और वर्गीकरण का समूल विनाश होगा ।
सभी पक्ष अंत तक डटे रहें ।
मेरी नजर में पुराने विज्ञापन के नष्ट होने की संभावना से भी इंकार नहीं है ।
इस लड़ाई में अब टीईटी मेरिट समर्थक चयनितों , अकादमिक मेरिट समर्थकों और वर्गीकरण से पीड़ित लोगों को छोड़कर बाकी सबके लिए कुछ भी नहीं है ।
पुराना विज्ञापन बच जाये उसकी नियुक्ति बच जाये तो 70/65 फीसदी वालों को कुछ तोहफा मिल सकता है लेकिन मेरिट की बात की जाये तो सम्पूर्ण नियुक्ति ही जब फाइनल आदेश के आधीन है तो कोई भी जब कोर्ट द्वारा हटाया जायेगा तो अपनी नियुक्ति की चिट्ठी की दुहाई नहीं दे सकता है , इसलिए क्या होगा अभी यह खुद न्यायमूर्ति को भी शायद ही पता होगा ।
बस इतना तय है कि या तो पुराना विज्ञापन ख़त्म हो जायेगा यदि वह बच गया तो वर्गीकरण ख़त्म हो जायेगा और वर्गीकरण भी बच गया तो महिला अथवा शिक्षामित्रों के चयनितों के बराबर पुरुषों को भी नियुक्ति मिल जायेगी ।

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