लखनऊ। अखिलेश सरकार ने बेसिक और सहायता प्राप्त माध्यमिक
स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए स्टेट एजुकेशन ट्रिब्युनल के
गठन का फैसला किया है। रिटायर्ड जज को इसका चेयरमैन बनाया जाएगा। इसको लेकर
प्रमुख सचिव (माध्यमिक शिक्षा) की अध्यक्षता में गुरुवार को बैठक हुई।
इसमें शिक्षा विभाग के अफसरों के साथ ट्रिब्युनल के अधिकार क्षेत्र और
नियम-कायदों का मसौदा तैयार करने के लिए मंथन किया गया। तय हुआ कि यह
ड्राफ्ट जल्द ही तैयार कर लिया जाए, ताकि मौजूदा सरकार के बचे कार्यकाल में
ही ट्रिब्युनल वजूद में आ सके।
बेसिक और माध्यमिक स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों के
सेवा संबंधी तमाम मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इतना ही
नहीं, इनकी संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। इससे अदालतों पर तो भार बढ़
ही रहा है, विभागीय अधिकारियों का भी काफी समय इसमें लग जाता है।
फिलवक्त विभाग से सेवा संबंधी मामलों में कोई मतभेद होने पर
शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों के पास अदालत जाने के सिवाय कोई चारा
नहीं होता। इसलिए राज्य सरकार ने स्टेट एजुकेशन ट्रिब्युनल गठित करने की
योजना बनाई। इसके अधिकार क्षेत्र में बेसिक और सहायता प्राप्त माध्यमिक
स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारी आएंगे। राजकीय इंटर कॉलेजों को इससे बाहर
रखा गया है।
इसके गठन संबंधी कार्यवाहियों की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव
(माध्यमिक शिक्षा) जितेंद्र कुमार को दी गई है। कुमार ने गुरुवार को अपने
कार्यालय में बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ
इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया। तय हुआ कि जल्द ही ड्राफ्ट तैयार करके इसे
परीक्षण के लिए न्याय, कार्मिक और वित्त विभाग को भेज दिया जाए।
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