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मा० मुख्यमंत्री जी के समाजवाद का सच , वोटबैंक के लालच में पनपा शिक्षामित्र मोह और बीएड टेट बेरोजगारों पर लाठीचार्ज : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

आज सुबह-सुबह मा० मुख्यमंत्री जी के समाजवाद का सच देखने को मिला! वोटबैंक के लालच में पनपा शिक्षामित्र मोह और बीएड टेट बेरोजगारों पर लाठीचार्ज कर की जा रही उपेक्षा का प्रत्यक्ष दर्शन हुवा!
हमेशा से अपने बेरोजगार साथियों से कहता रहा हूँ कि आप बीएड टेट बेरोजगारों को राजनैतिक दलों से न तो पिछले 5 वर्षों से कुछ हासिल हुवा हैं और न ही निकट भविष्य में सम्भावना हैं!
आज तक जो भी सफलता अर्जित की गयी हैं वह सिर्फ व सिर्फ न्यायालय के विधिसम्मत निर्णय से ही प्राप्त हुयी हैं! न भाजपा,न बासपा न कांग्रेस और न ही किसी अन्य दल से कोई अपेक्षा की जा सकती हैं! फिलहाल हमारा मामला सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं जिसमें किसी भी दल का राजनैतिक हस्तक्षेप भी संभव नहीं हैं! इसलिए नेताओं के कार्यालय में जा कर फेसबुक पर फोटो चिपकाने वालें नेताओं से अनुरोध हैं कि बेरोजगारों को बरगलाने का कार्य बंद करके अब केस की तैयारी पर अपना फोकस करें!

विगत कुछ दिनों में याची बनाने के कार्यक्रम से प्रदेश के लगभग सभी जिलासंगठन व प्रदेश संगठन आर्थिक रूप से काफी सशक्त हो चुके हैं! धन आते ही लोगों में नौकरी की अपेक्षा नेतागीरी का उबाल आने लगा! लोगों ने अनेक मुद्दों व अन्य मिथ्या आरोप-प्रत्यारोप के माध्यम से दर्जनों गुटों का निर्माण कर याची बनाओ अभियान में मशगूल हो गये! लम्बे-चौड़े दिवास्वप्न दिखाए गये! लेकिन अनुच्छेद 32 के तहत दि० 10 अप्रैल 2015 को दाखिल परमादेश याचिका167/2015, 21 जुलाई को उसपर प्रमुख सचिव द्वारा दाखिल 3 लाख रिक्तियों का ब्यौरा, हमारी ia 2 & 3 पर दि 6 जुलाई को शिक्षामित्र समायोजन पर न्यायालय का स्थगनादेश व दि० 7 दिसम्बर को लगभग 1100 याचियों का अंतरिम आदेश के तहत प्रदत नियुक्ति के अलावा प्रदेश में विभिन्न मुद्दों को लेकर उभरे नेतागण और उनके सभी वरिष्टतम अधिवक्ता निष्प्रभावी ही सिद्ध हुयें हैं! 7 दिसम्बर के बाद से पूर्वांचल से पश्चिमांचल तक, बुंदेलखंड से अवध तक दर्जनों दलों ने जन्म लिया परन्तु बेरोजगारों के मुख्य उद्देश्य अर्थात नियुक्ति पर न्यायालय में कोई करिश्मा नहीं कर पाए! सिर्फ लोगों की भावनाओं को मिथ्या तथ्यों से भड़काकर धनार्जन किया! आखिर कहाँ गयी 97/105 की याचिका? कहाँ गया महिला वर्गीकरण? कहाँ गया शिक्षामित्र प्रशिक्षण की याचिका? कहाँ गये अचयनित-चयनित करने वाले?

बीएड बेरोजगार अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों में हैं, नियोक्ता(सरकार),शिक्षामित्र, बीटीसी....सब आपके विरोध में हैं! नेतागणों यह सर्वोच्च न्यायालय हैं यहाँ सिर्फ लोगों से पैसा लेकर ia दाखिल कर नौकरी नहीं पाओगे! सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना विधि के प्रश्नों के निस्तारण हेतु हुयी हैं, आगामी सुनवाई में अब न्यायालय वही करने जा रहा हैं! अतः अब अगर आप वास्तव में बेरोजगारों के हितों के प्रति गंभीर हैं तो न्यायालय द्वारा दि० 02 नवम्बर 2015 को निर्धारित किये गए विधि के प्रश्नों सहित निम्न बिन्दुवों का तार्किक एवं विधिक जवाब खोजने पर ध्यान दीजिये! अन्यथा नौकरी भूल जाइये!
1. शिक्षामित्रों का शिक्षक पद पर किये गये समायोजन की संवैधानिक वैधता?
2. शिक्षामित्रों के प्रशिक्षण की वैधता?
3. शिक्षक रिक्तियों की उपलब्धता?
4. बीटीसी प्रशिक्षित के होते हुए उक्त रिक्तियों पर स्वयं की अर्हता सिद्ध करना?
5. यदि उक्त बिन्दुओं का तार्किक जवाब खोज ले गये तो इन लाखों रिक्तियों पर तत्काल नियुक्ति कराने की विधिसम्मत प्रक्रिया का सुझाव?

प्रदेश भर से धनार्जन करके सिर्फ ia दाखिल कर नेतागीरी चमकाने में व्यस्त नेताओ से अनुरोध हैं कि पोस्ट को सकारात्मक रूप से पढ़े और प्रश्नों के निस्तारण पर गंभीरतापूर्वक विचार करें! सब कुछ अधिवक्ता पर डाल कर इतिश्री न समझे वरिष्ठतम से वरिष्टतम अधिवक्ता ऐसे केस को सिर्फ 60 मिनट समय ही दे सकता हैं! जितना समय पैरवीकार अपने केस को दे सकता हैं उतना कभी भी कोई अधिवक्ता नहीं देगा!

अतः बेरोजगारों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध पैरवीकारों और उनके चीलू-पीलूओ से अनुरोध हैं अब बेहूदा राजनीति को बंद करके केस की मेरिट और विधिक प्रश्नों के तार्किक जवाब खोजने पर अपना समय लगायें! अन्यथा शिक्षक नौकरी को भूल कर आत्महत्या करने पर मजबूर हो जाओगे! धन्यवाद
________आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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