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Breaking - शिक्षामित्रों का समायोजन राज्य का नीतिगत निर्णय : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

पिछली पोस्ट में हमने बताया कि हमने शिक्षामित्रों से सम्बंधित सैकड़ों मुकदमो का अध्ययन किया। जिन में अगस्त 2013 तक के मुकद्मो में शिक्षामित्रों की 2 जून 2010 तक की स्थिति की ही व्याख्या पाई गई। आज हम आप के समक्ष कुछ ऐसे मुकदमों की चर्चा करेंगे जो हमारे भविष्य का रास्ता निर्धारित करते हैं।
सब से पहले हम उस फैसले की चर्चा करेंगे जो 12 सितम्बर 2015 के  फैसले से 6 माह पहले सीजे डॉ डी वाई चंद्रचूर्ण महोदय ने निस्तारित किया था और अपने फैसले में लिखा कि "शिक्षामित्र योजना 2 जून 2010 को बंद हो गई है।"
✍🏼यहाँ से आप का भविष्य खुलता है और विपक्षियों के मुंह बंद होते जो ये कहते घूमते हैं कि शिक्षामित्र संविदा कर्मी हैं।
ज़ाहिर है कि योजना समाप्त तो संविदा की शर्तें समाप्त।।
आइये अब हम अपनी बात को सिद्ध करें।

⚖सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने अपने फैसलो में राज्य के नीतिगत निर्णय को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
कुछ उल्लेखनीय मुकदमों में प्रीमियम ग्रेनाइट बनाम स्टेट ऑफ़ तमिलनाडु,
सुप्रीम कोर्ट केस।
श्री सीताराम शुगर कंपनी बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट केस।
एकता शक्ति फाउंडेशन बनाम एनसीटी दिल्ली, सुप्रीमकोर्ट केस
आशिफ हमीद बनाम स्टेट ऑफ़ जे एन्ड के
एमपी आयल एक्सट्रैक्शन बनाम स्टेट ऑफ़ मध्यप्रदेश, सुप्रीम कोर्ट केस....
आदि केसेस में सुपरीम कोर्ट ने साफ़ साफ़ कहा है कि:-

⚖"अंतत: यह राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अच्छी शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार प्रदान करने के लिए है, नीति फ्रेम करे या उसे संशोधित करे और ऐसा करना प्रासंगिक और स्वीकार्य सामग्री का आधार है। राज्य का ऐसा निर्णय लेना राज्य की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। नीतिगत मामलों के संबंध में राज्य सरकार के निर्णय में अदालतों के अपने विचार विकल्प नहीं है।"
बात यही ख़त्म नहीं होती बल्कि सुप्रीम कोर्ट अपने एक दूसरे फैसले में लिखता है:-
"मात्र सरकार कीे त्रुटियाँ  हमारे न्यायिक समीक्षा के अधीन नहीं हैं।"

✍🏼आखिर में हम सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले में दिए गए शब्दों को सामने रखते हैं:-
"न्यायिक जांच के दायरे का सवाल तब पैदा होता है और ये यहीं तक सीमित है जब सरकार द्वारा उठाया गया कदम या निर्णय किसी भी वैधानिक प्रावधानों के खिलाफ है या नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है या संविधान के प्रावधानों का विरोध करता है।"

शिक्षामित्र मामले में ऐसा कही नहीं हुआ है। जिन बिन्दुओ को विधि विरुद्ध साबित किया जा रहा है वे हम सुप्रीम कोर्ट में विधि सम्मत साबित करने को कटिबद्ध हैं।
★आजीविका और मान सम्मान से कोई समझौता नहीं।। शेष.......कल।

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