दिल्ली, प्रेट्र : ज्यादा से ज्यादा लोग नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) से जुड़ें, इसे प्रोत्साहित करने के लिए पेंशन नियामक पीएफआरडीए ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उसने इस योजना में न्यूनतम वार्षिक अंशदान को उल्लेखनीय रूप से घटा दिया है। इसे कम करके एक हजार रुपये किया गया है।
एनपीएस के टियर-वन खातों को सक्रिय रखने के लिए अब तक हर वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) में कम से कम छह हजार रुपये का योगदान अनिवार्य था। एनपीएस का गठन दो श्रेणियों में किया गया है। टियर-वन और टियर-टू। पहला स्थायी सेवानिवृत्ति खाता है जिसमें पहले पैसा नहीं निकाला जा सकता है। इस खाते में राशि जमा की जाती है और फिर इसे अंशदाता के विकल्प के आधार पर निवेश किया जाता है। टियर-टू खातों के मामले में स्वैच्छिक निकासी की सुविधा मिलती है। यह एक बचत खाता भी है। इस श्रेणी की पेंशन योजना में वर्ष के अंत में न्यूनतम 2,000 रुपये के बैलेंस और सालाना 250 रुपये के वार्षिक अंशदान की अनिवार्यता थी। इसे अब खत्म कर दिया गया है। 1पीएफआरडीए ने एक बार के लिए लागू निर्णय के तहत ऐसे सभी मौजूदा पेंशन खातों को खोलने का भी फैसला किया है जिनमें अंशदाता न्यूनतम योगदान और बैलेंस की जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं। इस निर्णय के बाद सभी अंशदाता जिनके खाते बंद कर दिए गए थे, वे अब एनपीएस खातों में योगदान कर सकते हैं।1पीएफआरडीए ने इस संबंध में एक सकरुलर जारी किया है। इसके मुताबिक, गैर-संगठित क्षेत्र सहित समाज के हर वर्ग के लिए एनपीएस तक पहुंच को प्रोत्साहित करने की खातिर न्यूनतम योगदान की अनिवार्यता घटाने का फैसला किया गया है। एनपीएस टियर-टू बचत खातों में ज्यादा रिटर्न हासिल करने की क्षमता है। 1एनपीएस के तहत पेंशन अंशदाताओं की ओर से किए जाने वाले योगदान, निहित अवधि और इस दौरान रिटर्न पर निर्भर करती है। सरकार चाहती है कि लोग अधिक संख्या में इस स्कीम से जुड़ें। एनपीएस के अंशदाताओं की संख्या 1.30 करोड़ से ज्यादा है। इसके पास 1.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एयूएम यानी असेट अंडर मैनेजमेंट हैं।
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एनपीएस के टियर-वन खातों को सक्रिय रखने के लिए अब तक हर वित्त वर्ष (अप्रैल-मार्च) में कम से कम छह हजार रुपये का योगदान अनिवार्य था। एनपीएस का गठन दो श्रेणियों में किया गया है। टियर-वन और टियर-टू। पहला स्थायी सेवानिवृत्ति खाता है जिसमें पहले पैसा नहीं निकाला जा सकता है। इस खाते में राशि जमा की जाती है और फिर इसे अंशदाता के विकल्प के आधार पर निवेश किया जाता है। टियर-टू खातों के मामले में स्वैच्छिक निकासी की सुविधा मिलती है। यह एक बचत खाता भी है। इस श्रेणी की पेंशन योजना में वर्ष के अंत में न्यूनतम 2,000 रुपये के बैलेंस और सालाना 250 रुपये के वार्षिक अंशदान की अनिवार्यता थी। इसे अब खत्म कर दिया गया है। 1पीएफआरडीए ने एक बार के लिए लागू निर्णय के तहत ऐसे सभी मौजूदा पेंशन खातों को खोलने का भी फैसला किया है जिनमें अंशदाता न्यूनतम योगदान और बैलेंस की जरूरतों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं। इस निर्णय के बाद सभी अंशदाता जिनके खाते बंद कर दिए गए थे, वे अब एनपीएस खातों में योगदान कर सकते हैं।1पीएफआरडीए ने इस संबंध में एक सकरुलर जारी किया है। इसके मुताबिक, गैर-संगठित क्षेत्र सहित समाज के हर वर्ग के लिए एनपीएस तक पहुंच को प्रोत्साहित करने की खातिर न्यूनतम योगदान की अनिवार्यता घटाने का फैसला किया गया है। एनपीएस टियर-टू बचत खातों में ज्यादा रिटर्न हासिल करने की क्षमता है। 1एनपीएस के तहत पेंशन अंशदाताओं की ओर से किए जाने वाले योगदान, निहित अवधि और इस दौरान रिटर्न पर निर्भर करती है। सरकार चाहती है कि लोग अधिक संख्या में इस स्कीम से जुड़ें। एनपीएस के अंशदाताओं की संख्या 1.30 करोड़ से ज्यादा है। इसके पास 1.37 लाख करोड़ रुपये से अधिक के एयूएम यानी असेट अंडर मैनेजमेंट हैं।
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