कौशाम्बी. सरकार
द्वारा समय-समय पर चलाये गए 'स्कूल चलो अभियान' का असर ही कहा जाएगा कि
तेजी से पढ़ाई के प्रति लोग जागरूक हो रहें है लेकिन विभागीय अधिकारियों की
संजीदगी न दिखाने के कारण उतनी ही तेजी से शिक्षा का व्यवसायीकरण भी हो
रहा है। बेहतर शिक्षा के लालच में अभिभावक गुमराह हो कर अपने बच्चों को ऐसे
स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं जो शासन के मानकों को पूरा नहीं करते या
फिर शासन से किसी तरह की मान्यता लिए हुए हैं।
वहीं
सूत्रों की माने तो इन विद्यालयों को ऐसे मान्यता नहीं मिल गई है इसमें
विभागीय अधिकारियों की बहुत बड़ी भूमिका थी। पिछड़ेपन का दंश झेल रहे
कौशाम्बी जैसे छोटे जिले में भी ऐसे सैकड़ों स्कूल खुले हैं जो शासनादेश की
धज्जियां उड़ा रहे हैं। खुद बेसिक शिक्षा विभाग ने जिले में 119 ऐसे स्कूलों
को चिन्हित किया है जो शासन द्वारा निर्धारित मानकों को कहीं से भी पूरा
नहीं करते। इन स्कूलों के खिलाफ विभाग जोकार्रवाईकर रहा है वह कछुआ की चाल
से भी धीमी हैं। शिक्षा सत्र शुरू हुए महीने भर होने को है लेकिन बेसिक
शिक्षा विभाग ने अभी तक महज छह गैर मानक वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई को
अंजाम दिया है।
शासन स्तर से बेसिक शिक्षा के लिए
संचालित स्कूलों के लिए एक मानक निर्धारित किया गया है। जिसमे पांचवी तक के
स्कूलों के लिए पांच पक्के कमरे जिनमे कक्षाएं चलेगी और कार्यालय के लिए
एक पक्का कमरा होना चाहिए। इसके आलावा छात्र/छात्राओं के लिए शौचालय की भी
समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। खेल के मैदान के बिना भी मानक पूरा नहीं होता।
यूं तो जिले में तक के लगभग दो सौ वित्तविहीन मान्यता प्राप्त स्कूल है
लेकिन इनमे से 119 स्कूल शासन से निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर रहे हैं
।
कुछ दिन पहले शासन ने
ऐसे स्कूलों को चिन्हित कर उनके खिलाफकार्रवाईके लिए जिले के बेसिक शिक्षा
अधिकारी को निर्देशित किया। इस पर कौशाम्बी के बीएसए ने जांच के बाद 119
गैर मानक वाले स्कूलों को नोटिस भेज व्यवस्था सुधरने को कहा है। बीएसए डी
एस यादव ने जांच में छह ऐसे स्कूलों के खिलाफकार्रवाईभी किया है जो मानकों
को सही तरह से पूरा भी नहीं कर पा रहे थे।
बीएसए
भले ही कार्रवाई करने का दावा करते हैं लेकिन जिले में बेसिक शिक्षा का
हाल बहुत ही बदतर स्थिति में है। जिले के ग्रामीण इलाकों में अभी भी
दुकानों के अंदर आठ बाई आठ के कमरों में अप्रशिक्षित शिक्षक बचकन को पढ़ते
हैं लेकिन इतना सब होंने के बाद भी गैर मानक विद्यालयों को दी गई नोटिस किस
फाइल में दबकर रह गई है ये पता लगाना सबसे मुश्किल हो गया है।
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