रामपुर। समाज में गुरु को क्यों ऊंचा स्थान मिला है, ये किसी से छिपा नहीं है। उसका काम सिर्फ बच्चों को शिक्षा देना ही नहीं है, बल्कि समाज को भी दिशा देकर आगे बढ़ना सिखाना है, इसलिए हमारे समाज में हमेशा गुरु को सर्वोपरि ही माना गया है।
हालांकि, बदलते दौर में चंद लोगों के एेसे किस्से और घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे कभी-कभी विश्वास भी डगमगा गया है। फिर भी आज एेसे शिक्षक मौजूद हैं, जिनको हम सलाम करते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं एेसे ही शिक्षक की कहानी, जिसने वाकई अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभार्इ।
मैनपुरी निवासी शिक्षक मुनीश कुमार ने ऐसी ही इबारत रामपुर जनपद में एक प्राथमिक विद्यालय में लिखी। उन्होंने अपनी लगन से पूरे गांव की किस्मत बदल दी। जब उसका ट्रांसफर हुआ तो सिर्फ स्कूल के बच्चे ही नहीं बल्कि पूरा गांव भी फूट-फूट कर रो पड़ा। दरअसल, मैनपुरी निवासी मुनीश कुमार की तैनाती रामपुर में शाहाबाद ब्लाॅक के गांव परोता में हुई थी।
सन् 2015 में प्रोमोशन पाकर रामपुर के पनोता गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में वह प्रधानाचार्य बन गए। जब मुनीश इस स्कूल में पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। स्कूल की बिल्डिंग भी सही नहीं थी। गांव वाले अपने बच्चों को यहां पढ़ाना नहीं चाहते थे। खुद बच्चे भी इस स्कूल में नहीं पढ़ना चाहते थे।
बच्चों को स्कूल में लाने का लिया संकल्प
यहां के हालात देखकर मुनीश ने बच्चों को स्कूल तक लाने का संकल्प लिया आैर जुट गए अपने अभियान में। पहले उन्होंने गांव में अभिभावकों से बातचीत कर उन्हें समझाया। इसके बाद स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी। फिर उन्होंने खुद के प्रयास और गांव वालों के सहयोग से स्कूल का नक्शा ही बदल दिया।
rampur teacher
जनपद में टाॅप 2 में आया बदहाल स्कूल
उनके आैर गांव वालों के प्रयास से देखते ही देखते ये बदहाल स्कूल जनपद में टॉप टू में शामिल हो गया। गांव वाले भी मुनीश के इतने मुरीद हो गए की पढ़ाई के अलावा गांव के अन्य कार्यों में उनकी सलाह लेने लगे।
गृह जनपद में हो गया तबादला
हाल में तबादला नीति लागू होने के बाद मुनीश का तबादला उनके गृह जनपद में हो गया। बस फिर क्या था जब विद्यालय में उनका विदाई समारोह हुआ तो स्कूल के बच्चों के साथ खुद मुनीश व गांव वाले भी गमगीन हो गए। हर कोई यही कह रहा था कि मास्टर साहब यहीं रहो। इस दौरान बैंड बाजे के साथ उन्हें भावभीनी विदार्इ दी गर्इ।
मुनीश ने मांगी गुरुदक्षिणा
वहीं, जाते-जाते मुनीश ने सभी से गुरुदक्षिण मांगी कि गांव में जो पढ़ाई के लिए माहौल बना है, उसे अब वे लगातार जारी रखेंगे। ग्रामीण रामदयाल का कहना है कि मास्टर साहब ने अपने प्रयास से इस गांव की तकदीर बदल दी। वरना हम तो अपने बच्चाें को स्कूल भेजते ही नहीं थे। उनके प्रयास ही सब मुमकिन हो सका है। अब तो हमारे बच्चों का पढ़ने में मन लगता है। वे बड़े अफसर बनना चाहते हैं। वहीं, गांव के ही निवासी मोहन का कहना है कि सब मास्टर साहब की कृपा है, जो हमारे बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। अब तो स्कूल भी ठीक हो गया है। हम अपने बच्चों को खूब पढ़ाएंगे।
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हालांकि, बदलते दौर में चंद लोगों के एेसे किस्से और घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे कभी-कभी विश्वास भी डगमगा गया है। फिर भी आज एेसे शिक्षक मौजूद हैं, जिनको हम सलाम करते हैं। हम आपको बताने जा रहे हैं एेसे ही शिक्षक की कहानी, जिसने वाकई अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभार्इ।
मैनपुरी निवासी शिक्षक मुनीश कुमार ने ऐसी ही इबारत रामपुर जनपद में एक प्राथमिक विद्यालय में लिखी। उन्होंने अपनी लगन से पूरे गांव की किस्मत बदल दी। जब उसका ट्रांसफर हुआ तो सिर्फ स्कूल के बच्चे ही नहीं बल्कि पूरा गांव भी फूट-फूट कर रो पड़ा। दरअसल, मैनपुरी निवासी मुनीश कुमार की तैनाती रामपुर में शाहाबाद ब्लाॅक के गांव परोता में हुई थी।
सन् 2015 में प्रोमोशन पाकर रामपुर के पनोता गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय में वह प्रधानाचार्य बन गए। जब मुनीश इस स्कूल में पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। स्कूल की बिल्डिंग भी सही नहीं थी। गांव वाले अपने बच्चों को यहां पढ़ाना नहीं चाहते थे। खुद बच्चे भी इस स्कूल में नहीं पढ़ना चाहते थे।
बच्चों को स्कूल में लाने का लिया संकल्प
यहां के हालात देखकर मुनीश ने बच्चों को स्कूल तक लाने का संकल्प लिया आैर जुट गए अपने अभियान में। पहले उन्होंने गांव में अभिभावकों से बातचीत कर उन्हें समझाया। इसके बाद स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ी। फिर उन्होंने खुद के प्रयास और गांव वालों के सहयोग से स्कूल का नक्शा ही बदल दिया।
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जनपद में टाॅप 2 में आया बदहाल स्कूल
उनके आैर गांव वालों के प्रयास से देखते ही देखते ये बदहाल स्कूल जनपद में टॉप टू में शामिल हो गया। गांव वाले भी मुनीश के इतने मुरीद हो गए की पढ़ाई के अलावा गांव के अन्य कार्यों में उनकी सलाह लेने लगे।
गृह जनपद में हो गया तबादला
हाल में तबादला नीति लागू होने के बाद मुनीश का तबादला उनके गृह जनपद में हो गया। बस फिर क्या था जब विद्यालय में उनका विदाई समारोह हुआ तो स्कूल के बच्चों के साथ खुद मुनीश व गांव वाले भी गमगीन हो गए। हर कोई यही कह रहा था कि मास्टर साहब यहीं रहो। इस दौरान बैंड बाजे के साथ उन्हें भावभीनी विदार्इ दी गर्इ।
मुनीश ने मांगी गुरुदक्षिणा
वहीं, जाते-जाते मुनीश ने सभी से गुरुदक्षिण मांगी कि गांव में जो पढ़ाई के लिए माहौल बना है, उसे अब वे लगातार जारी रखेंगे। ग्रामीण रामदयाल का कहना है कि मास्टर साहब ने अपने प्रयास से इस गांव की तकदीर बदल दी। वरना हम तो अपने बच्चाें को स्कूल भेजते ही नहीं थे। उनके प्रयास ही सब मुमकिन हो सका है। अब तो हमारे बच्चों का पढ़ने में मन लगता है। वे बड़े अफसर बनना चाहते हैं। वहीं, गांव के ही निवासी मोहन का कहना है कि सब मास्टर साहब की कृपा है, जो हमारे बच्चे स्कूल जाने लगे हैं। अब तो स्कूल भी ठीक हो गया है। हम अपने बच्चों को खूब पढ़ाएंगे।
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