नई दिल्ली.योग
को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बड़ी पहल की है। जो
छात्र योग विषय मेंग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट हैं वे नेशनल एलिजिबिलिटी
टेस्ट (नेट) NET दे सकेंगे। अभी तक इस विषय में पढ़ाई करने वाले नेट की
परीक्षा नहीं दे पाते हैं।
अगले साल से परीक्षा देने की अनुमति
हाल
में हुईयूजीसी की एक अहम बैठक में इस बाबत अंतिम मुहर लगी है। सूत्रों के
अनुसार, योग की पढ़ाने करने वाले छात्रों कोसाल 2017 सेपरीक्षा में बैठने
की अनुमति मिलेगी। इस संबंध में जल्द ही यूूजीसी एक नोटिफिकेशन जारी करेगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग गुरु
डॉ.एचआर नागेंद्र के नेतृत्व में एक कमिटी गठित की गई थी। इसकी सिफारिश पर
यह कदम उठाया गया है। ज्ञात हो कि विश्वविद्यालयों में योग के विभाग तेजी
से खोले जा रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि योग के योग्य शिक्षकों की भारी
कमी है। इसका कारण योग में पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को नेट में बैठने की
अनुमति न मिलना है। योग में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वालों की संख्या करीब
पांच से छह हजार है।
50 विश्वविद्यालयों ने की है मांग
इस
कमेटी ने देशभर के विश्वविद्यालय से पूछा था कि क्या योग की पढ़ाई को भी
नेट के दायरे में लाना चाहिए या नहीं? इस सवाल पर 50 विश्वविद्यालयों ने
योग को नेट में शामिल करने की मांग की। इन्होंने यूजीसी को प्रस्ताव भेजे।
इसमें कहा गया कि योग में ग्रेजुएशन व पोस्ट ग्रेजुएशन करने वालों को यदि
नेट का टेस्ट देने की अनुमति मिलती है तो इससे योग के लिए बेहतर माहौल
बनेगा। एक अधिकारी ने कहा कि इससे दो फायदे होंगे। पहला, हर विश्वविद्यालय
में योग की कक्षाएं बढ़ेंगी। दूसरा, छात्र पहले के मुकाबले ज्यादा दिलचस्पी
लेंगे।
क्या है नेट
किसी
भी विषय का शिक्षक बनने के लिए नेट की परीक्षा देनी जरूरी है। इसमें सफल
होने पर शिक्षक बनने के लिए योग्य माना जाता है। इसमें ओब्जेक्टिव सवाल
पूछे जाते हैं। अच्छे नंबर पाने वालों को शोध के लिए जूनियर रिसर्च फेलोशिप
भी मिलती है। यही नहीं, इसके स्कोर के अाधार पर कई पीएसयू कंपनियां भी
नौकरी देती हैं।
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