गाजीपुर: जब कोई शिक्षक अच्छे हो तो उनकी विदाई में विद्यार्थियों का रोना लाजिमी है, लेकिन क्या आपने कभी ये सुना है कि किसी शिक्षक के विदाई समारोह में ना सिर्फ स्कूल के बच्चे, बल्कि पूरा गांव और खुद टीचर भी फूट फूट कर रोया हो। ये कहानी है एक ऐसे शिक्षक की, जिसने अपने कर्मों से पूरे गांव के लोगों की आंखों को नम कर दिया।
दरअशल में, ये मामला उत्तर प्रदेश के गरीब गाजीपुर
जिले में बभनौली के एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक मुनीश यादव और उनके
छात्रों का है जहां पढ़ाई की दृष्टि से अत्यंत दुर्गम इलाका होने के कारण
कोई भी शिक्षक यहां आने से हाय-तौबा करता था। गांव में शिक्षा की स्थिति
बदहाल थी। बच्चे अपने मां-बाप के काम-काज में हाथ बंटाया करते थे।
साल
2009 में मैनपुरी के रहने वाले मुनीश यादव की तैनाती जब यहां हुई तो स्कूल
की हालत बेहद खराब थी। 6 साल की कड़ी मेहनत से उन्होंने स्कूल को बेहतर
बना दिया। नतीजा यह हुआ कि गांव के लोग अवनीश को अपने बेटे की तरह मानने
लगे। क्या सुबह, क्या शाम, अवनीश ने बभनौली में शिक्षा के बल पर ग्रामीणों
की तकदीर बदलने का जो अभियान शुरू किया, वो लगातार आगे बढ़ता चला गया।
उन्होंने स्कूल के बच्चों को इतना मेधावी बना दिया कि उनके सामने प्राइवेट
स्कूल बच्चे भी पीछे होने लगे।
इस बीच गांव में
एक ऐसी खबर आई जिसने सभी की आखों में आसूं ला दिए। सरकार की तबादला नीति आई
जिसमें मुनीश यादव का तबादला हो गया। जब अवनीश की विदाई हो रही थी, जब
स्कूल छोड़कर जाने लगे तब सारे स्कूल के बच्चे फूट फूट कर रोने लगे। गांव
के लोग भी खूब रोए। इस दौरान खुद मुनीश भी रो पड़े। सभी बच्चे एक स्वर में
बोल रहे थे- मास्टर साहब आप हमें छोड़ कर मत जाओ, हम बहुत रोयेंगे। बच्चों
ने मिड डे मील नहीं खाया। बाद में समझाने बुझाने पर बच्चों ने अपने प्रिय
गुरू को ढेर सारी मालाएं पहना कर विदाई दी।
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