72825 शिक्षकों भर्ती में टीईटी के अंकों में हेराफेरी का मामला: जालसाज बरकरार लाभार्थी फरार

यूपी बोर्ड के अभिलेखों में हेराफेरी के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी तक फेल होने वाले परीक्षार्थियों को उत्तीर्ण करने की ही शिकायतें मिल रही थी, लेकिन क्षेत्रीय कार्यालय में परीक्षार्थियों के बजाए बाहरी लोगों का नाम अभिलेखों में दर्ज किए जाने का राजफाश हुआ है।
इसका लाभ जिनको मिला वह फरार हो गए हैं, जबकि हेराफेरी को अंजाम देने वाले अब भी डटे हैं, चार महीने से चल रही कवायद के बाद भी उनके चेहरों से पर्दा उठना अभी बाकी है।
1माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड के अभिलेखों में हेराफेरी करके सरकारी नौकरी हथियाने में मदद करने वालों का पूरा रैकेट सक्रिय है। इस गिरोह ने पहले 72825 शिक्षकों भर्ती में टीईटी के अंकों में हेराफेरी कराई और अब हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के अभिलेखों में जालसाजी कराई है। प्राथमिक विद्यालय शिक्षक के अभिलेख सत्यापन में बीते जुलाई में हेराफेरी पकड़ में आई, क्योंकि रिकार्डो में उसका नाम तक बदल दिया गया था। जब इस मामले की छानबीन हुई तो परत दर परत प्रकरण खुलता गया। जालसाजों की करतूत देखकर अफसर भी हैरान रह गए, क्योंकि अभिलेखों में पुराने अनुक्रमांक को छोड़कर सब कुछ बदल दिया गया था। समय रहते यह पकड़ में न आता तो सही अभ्यर्थियों को ही गलत माना जाता, क्योंकि इलाहाबाद के जिन विद्यालयों के रिकार्ड बदले गए हैं वह भी जालसाजों के मददगार बने हैं इसीलिए कुछ विद्यालयों से जब पुराने रिकॉर्ड मांगे गए तो उनका जवाब था कि वह खो गए हैं। हालांकि कुछ अन्य स्कूलों ने रिकॉर्ड मुहैया कराया उसी के आधार पर गड़बड़ी की पुष्टि हुई। क्षेत्रीय कार्यालय ने यह पाया कि फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग राजकीय कालेजों की एलटी ग्रेड परीक्षा में किया गया है।
उनमें से सात अभ्यर्थी इलाहाबाद में ही तैनात रहे हैं, वह भी जांच-पड़ताल की भनक लगते ही कालेजों से गायब हो गए हैं, क्योंकि क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव ने संयुक्त शिक्षा निदेशक के जरिए उन्हें बुलवाया था, लेकिन जवाब मिला कि वह बेमियादी अवकाश पर हैं। 1अब 18 अक्टूबर को जेडी इलाहाबाद ने उन्हें बुलाया है यदि वह नहीं उपस्थित होते हैं तब अगला कदम उठाया जाएगा। 1तैयारी है कि उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज की जाए। वहीं परिषद सचिव ने इस मामले में शिक्षा निदेशक माध्यमिक को अवगत कराया गया था, वहां से यह निर्देश मिला है कि पहले इसकी जांच की जाए कि जालसाजी कब हुई है, तभी संबंधित लिपिक व अन्य चिन्हित हो सकेंगे। ऐसे में क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव एवं मुख्यालय के उप सचिव की अगुवाई में जांच कमेटी गठित करने की तैयारी है।
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