LDC सीधी भर्ती 2013: हज़ारों युवाओं के लिए आई खुशखबरी, सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये महत्वपूर्ण आदेश
शीर्ष अदालत ने कहा कि वे राज्य सरकार की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।अदालत के इस आदेश के बाद अब एलडीसी सीधी भर्ती की शेष रही करीब 11 हज़ार भर्तियों का रास्ता साफ़ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश हाईकोर्ट के दिए फैसले को चुनौती देने वाली एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वे राज्य सरकार की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। अदालत के इस आदेश के बाद अब एलडीसी सीधी भर्ती की शेष रही करीब 11 हज़ार भर्तियों का रास्ता साफ़ हो गया है।
इस आदेश के बाद अब सरकार में एलडीसी के पदों पर लगे उन तमाम कार्मिकों के नियमितिकरण का रास्ता भी साफ़ हो गया है।
ये था मामला
पंचायती राज विभाग की ओर से वर्ष 2013 में 19 हज़ार 275 पदों पर एलडीसी की सीधी भर्तियां हुई थी। इनमे 7 हज़ार 765 पदों पर नियुक्तियां दे दीं गईं थी। इस भर्ती में मनरेगा, वाटरशेड व स्वच्छता अभियान में काम कर रहे संविदाकर्मियों को 10, 20 एवं 30 बोनस अंक का प्रावधान रखा गया। लेकिन इस बीच भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंक को लेकर चुनौती देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी। याचिकाकर्ता अर्चना शर्मा ने भर्ती में बोनस अंकों पर आपत्ति उठाते हुए इसे समाप्त करने की गुहार लगाई थी।
मामला एकलपीठ से डबल बेंच में गया और अदालत ने सरकार को 5-10-15 के आधार पर भर्तियां करने के आदेश सुना डाले। इस फैसले को लेकर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई।
राहत देने वाला आदेश
''सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सरकारी नौकरी की बाट जोह रहे हज़ारों युवाओं को मौक़ा मिल सकेगा। इस आदेश से सरकार के विभिन्न विभागों में संविदा पर लगे कनिष्ठ लिपिकों के स्थाई होने का रास्ता भी प्रशस्त हो सकेगा। अब सरकार जल्द से जल्द आदेशों के मुताबिक़ बोनस अंक के आधार पर भर्तियां पूरी कर युवाओं को राहत देने का काम करे। ''
- कमलेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन
''सुप्रीम कोर्ट का पटवारी भर्ती परीक्षा के सन्दर्भ में दिए आदेश के ठीक अगले ही दिन एलडीसी सीधी भर्ती को लेकर आदेश हज़ारों युवाओं के लिए खुशखबरी है। ज़ाहिर था कि आरटेट मामले पर शीर्ष अदालत के दिए आदेश के बाद एलडीसी मामले में भी इसी तरह का आदेश आना था। ''
- उपेन यादव, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ
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शीर्ष अदालत ने कहा कि वे राज्य सरकार की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।अदालत के इस आदेश के बाद अब एलडीसी सीधी भर्ती की शेष रही करीब 11 हज़ार भर्तियों का रास्ता साफ़ हो गया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश हाईकोर्ट के दिए फैसले को चुनौती देने वाली एसएलपी पर सुनवाई करते हुए दिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि वे राज्य सरकार की नीतियों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। अदालत के इस आदेश के बाद अब एलडीसी सीधी भर्ती की शेष रही करीब 11 हज़ार भर्तियों का रास्ता साफ़ हो गया है।
इस आदेश के बाद अब सरकार में एलडीसी के पदों पर लगे उन तमाम कार्मिकों के नियमितिकरण का रास्ता भी साफ़ हो गया है।
ये था मामला
पंचायती राज विभाग की ओर से वर्ष 2013 में 19 हज़ार 275 पदों पर एलडीसी की सीधी भर्तियां हुई थी। इनमे 7 हज़ार 765 पदों पर नियुक्तियां दे दीं गईं थी। इस भर्ती में मनरेगा, वाटरशेड व स्वच्छता अभियान में काम कर रहे संविदाकर्मियों को 10, 20 एवं 30 बोनस अंक का प्रावधान रखा गया। लेकिन इस बीच भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंक को लेकर चुनौती देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर हुई थी। याचिकाकर्ता अर्चना शर्मा ने भर्ती में बोनस अंकों पर आपत्ति उठाते हुए इसे समाप्त करने की गुहार लगाई थी।
मामला एकलपीठ से डबल बेंच में गया और अदालत ने सरकार को 5-10-15 के आधार पर भर्तियां करने के आदेश सुना डाले। इस फैसले को लेकर राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई।
राहत देने वाला आदेश
''सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब सरकारी नौकरी की बाट जोह रहे हज़ारों युवाओं को मौक़ा मिल सकेगा। इस आदेश से सरकार के विभिन्न विभागों में संविदा पर लगे कनिष्ठ लिपिकों के स्थाई होने का रास्ता भी प्रशस्त हो सकेगा। अब सरकार जल्द से जल्द आदेशों के मुताबिक़ बोनस अंक के आधार पर भर्तियां पूरी कर युवाओं को राहत देने का काम करे। ''
- कमलेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष, पंचायती राज मंत्रालयिक कर्मचारी संगठन
''सुप्रीम कोर्ट का पटवारी भर्ती परीक्षा के सन्दर्भ में दिए आदेश के ठीक अगले ही दिन एलडीसी सीधी भर्ती को लेकर आदेश हज़ारों युवाओं के लिए खुशखबरी है। ज़ाहिर था कि आरटेट मामले पर शीर्ष अदालत के दिए आदेश के बाद एलडीसी मामले में भी इसी तरह का आदेश आना था। ''
- उपेन यादव, प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ
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