बिहार की तरह बरेली में भी कई रूबी राय , 90 फीसदी अंक लाने वाली छात्राएं नहीं लिख पाईं स्वप्रमाणित

बरेली, मृत्युंजय मिश्रा : बिहार की तरह बरेली में भी कई रूबी राय हैं। इसका उदाहरण शुक्रवार को रानी अवंती बाई महिला डिग्री कालेज में देखने को मिला। इंटरमीडिएट में 90 फीसदी से अधिक अंक लाने वाली छात्राएं स्वप्रमाणित और अंडरटेकिंग नहीं लिख पाईं।
इंटर बायोलॉजीमें 92 फीसदी अंक लाने वाले छात्रा को कोशिका के बारे में मालूम नहीं था और अर्थशास्त्र में 94 नंबर लाने वाली छात्रा अर्थशास्त्री का नाम पूछे जाने पर प्रिंसिपल से लड़ बैठी।दरअसल, अवंतीबाई कॉलेज में छुट्टी के बाद भी शुक्रवार को फार्म जमा हुए। अवंतीबाई कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. ममता बंसल खुद कॉलेज में बैठी रही। इस दौरान उन्होंने अच्छे नंबर पाने वाली छात्राओं की मार्कशीट देखी और कुछ सवाल किए। शुद्ध हिंदी या टूटी फूटी अंग्रेजी बोलने में भीइन छात्राओं के पसीने आ गए। प्रिंसिपल ने बताया कि 90 फीसदी से अधिक अंक होने के बावजूद छात्राओं को अपने विषय की बेसिक जानकारी नहीं थी।वह न हिंदी में ठीक से बात कर पा रहीं थी न ही अंग्रेजी में। 90 फीसदी से अधिक अंक आने पर प्रिंसिपल ने हैरानी जताई तो छात्राओं ने उन्हें चुपचाप एडमिशन करने की नसीहत दे डाली और कालेज से चलती बनीं। छात्राओं के रवैये से प्रिंसिपल व कालेज का बाकी स्टाफ हैरत में है। अब जरा नीचे दिए हुए केस पर नजर डालिए पूरी बात समझ मेंआ जाएगी।केस-01: कॉपी करने में निकली एक्सपर्टइंटर में 90 फीसदी से ज्यादा नंबर लाने वाली दो छात्राओं से प्रिंसिपल ने अपने फार्म और फोटो पर दस्तखत करके स्वप्रमाणित लिखने को कहा। दोनों में से एक भी स्वप्रमाणित ठीक से नहीं लिख पाईं। बाद में शिक्षिका ने कागज पर लिखकर दिया जिसे दोनों ने फार्म पर उतारा। एक कागज पर अंडरटेकिंग लिखने को कहा तो छात्राओं ने वह भी गलत लिख दिया।केस-02: अर्थशास्त्र में जो पढ़ना था, वही पढ़ा हैअवंतीबाई डिग्री कालेज में बीए का फार्म जमा करने आई एक छात्रा के 93 फीसदी नंबर थे। फार्म की चेकिंग के दौरान प्रिंसिपल ने उससे पूछा, अर्थशास्त्र में 94 हैं। तुमने क्या-क्या पढ़ा है। छात्रा ने भन्नाकर जवाब दिया, अब तुम्हें क्या बताएं, जो पढ़ना था वही पढ़ा है। अर्थशास्त्री का नाम पूछने पर जवाब मिला- आज याद नहीं आ रहा कल बता देंगे।केस-03: बायोलॉजी में 90 से अधिक नंबर, कोशिका के बारे में पता नहींबायोलाजी में 90 से अधिक नंबर लाने वाली छात्रा से कोशिका केबारे में पूछा गया तो वह काफी देर तक सोच में डूबी रही। बाद में उसने जवाब दिया, यह तो हमें नहीं मालूम। बायोलाजी से जुड़े कुछ और सवाल पूछने पर वह जवाब देने की बजाय झुंझला गई। छात्रा को उग्र होता देख शिक्षिका ने चुपचाप फार्म लेकर रख लिया और उससे जाने को कह दिया।हैरान रह गईं कॉलेज की प्रिंसिपलअवंतीबाईडिग्री कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. ममता बंसल ने कहा, ‘मैं हैरान हूं। ऐसा कैसे हो सकता है। साइंस में 500 में से 461 नंबर लाने वाली लड़की कोशिका के बारे में कुछ नहीं जानती। अर्थशास्त्र में 94नंबर होने के बावजूद छात्रा को किसी अर्थशास्त्री का नाम याद नहीं था। यह कैसीशिक्षा व्यवस्था है। ऐसे मेंयह कैसे मानाजाए कि छात्राओं ने पढ़कर परीक्षा दी होगी।इंटर पास करने वाली लड़की अगर अंडरटेकिंग और स्वप्रमाणित ठीक से नहीं लिख पाए तो यह समूची शिक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर संकेत है। मैं इस बारे में उच्च शिक्षा अधिकारी और डीएम को भी लिखूंगी।’
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