प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मरीजों के इलाज, दवाओं की खरीद, कार्मिकों की भर्तियों व चिकित्सकों के स्थानांतरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर संबंधित को बख्शा नहीं जाएगा।
108 एंबुलेंस सेवा की नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाए। यदि एंबुलेंस मरीजों तक समय से नहीं पहुंचती है, तो संबंधित की जवाबदेही तय करते हुए उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को बेहतर व निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रति वचनबद्ध है। स्वास्थ्य मंत्री मंगलवार को योजना भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त मंडलीय अपर निदेशकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों तथा चिकित्सा अधीक्षकों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने चिकित्सकों को स्पष्ट रूप से सचेत किया कि वे अपने तैनानी स्थल पर रहना सुनिश्चित करें। अधिकांश चिकित्सकों के तैनाती वाले जनपदों में न रहने से मरीजों का काफी परेशानी हो रही है। गंभीर रोग के मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। उन्होंने प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम को अभियान के रूप में संचालित करने पर बल देते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
तैनाती स्थल पर रहना सुनिश्चित करें चिकित्सक 102 व 108 एंबुलेंस की नियमित रूप से मॉनीटरिंग के निर्देश
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा सेवाओं को अधिक से अधिक बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि प्रदेश के कई चिकित्सालयों में आने वाले गंभीर आकस्मिक मरीजों को बिना देखे ही, अन्यत्र चिकित्सालयों में रेफर कर दिया जाता है। रात्रि में आने वाले मरीजों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने निर्देश दिए कि चिकित्सक इस व्यवस्था में सुधार लाएं तथा बिना उचित कारण मरीजों को रेफर न करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वे जल्द ही प्रदेश के सभी चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण करेंगे। यदि इनमें अस्पताल के उपकरण ठीक हालत में नहीं होने, अस्पतालों में साफ-साफ की व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं, चिकित्सक समय से अस्पताल में नहीं आते आदि शिकायतें मिलती हैं तो संबंधित व्यक्ति के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा, सचिव आलोक कुमार, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पदमाकर सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारीग उपस्थित थे।ऑडिट प्रक्रिया को बनाया जाएगा और अधिक पारदर्शी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय आूडिट प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा। अब किसी भी स्तर पर चिकित्सालयों में लापरवाही, उदासीनता और भ्रष्ट आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके संज्ञान में आया है कि कुछ जनपदों में ओपीडी नियमित रूप संचालित नहीं हो रही है और कतिपय जनपदों में ओपीडी में पहले की भांति मरीज नहीं आ रहे हैं। यह स्थति ठीक नहीं है। संबंधित अधिकारी इस ओर विशेष ध्यान दें तथा ओपीडी को सुचारू रूप से क्रियांवित करना सुनिश्चित किया जाए। उन्हांने कहा कि सभी अस्पतालों में आवश्यक उपकरण उपलब्ध रहने चाहिएए जिन अस्पतालों में उपकरणों की जरूरत है, उसकी सूची तत्काल बनाकर भेजी जाए।
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108 एंबुलेंस सेवा की नियमित रूप से मॉनीटरिंग की जाए। यदि एंबुलेंस मरीजों तक समय से नहीं पहुंचती है, तो संबंधित की जवाबदेही तय करते हुए उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। प्रदेश सरकार आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति को बेहतर व निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रति वचनबद्ध है। स्वास्थ्य मंत्री मंगलवार को योजना भवन में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के समस्त मंडलीय अपर निदेशकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों तथा चिकित्सा अधीक्षकों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने चिकित्सकों को स्पष्ट रूप से सचेत किया कि वे अपने तैनानी स्थल पर रहना सुनिश्चित करें। अधिकांश चिकित्सकों के तैनाती वाले जनपदों में न रहने से मरीजों का काफी परेशानी हो रही है। गंभीर रोग के मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ता है। उन्होंने प्रधान मंत्री सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम को अभियान के रूप में संचालित करने पर बल देते हुए कहा कि इसमें किसी भी प्रकार की कोताही नहीं बरती जानी चाहिए।
तैनाती स्थल पर रहना सुनिश्चित करें चिकित्सक 102 व 108 एंबुलेंस की नियमित रूप से मॉनीटरिंग के निर्देश
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. महेन्द्र सिंह ने कहा कि चिकित्सा सेवाओं को अधिक से अधिक बेहतर बनाना सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि प्रदेश के कई चिकित्सालयों में आने वाले गंभीर आकस्मिक मरीजों को बिना देखे ही, अन्यत्र चिकित्सालयों में रेफर कर दिया जाता है। रात्रि में आने वाले मरीजों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने निर्देश दिए कि चिकित्सक इस व्यवस्था में सुधार लाएं तथा बिना उचित कारण मरीजों को रेफर न करें। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि वे जल्द ही प्रदेश के सभी चिकित्सालयों का औचक निरीक्षण करेंगे। यदि इनमें अस्पताल के उपकरण ठीक हालत में नहीं होने, अस्पतालों में साफ-साफ की व्यवस्था चाक-चौबंद नहीं, चिकित्सक समय से अस्पताल में नहीं आते आदि शिकायतें मिलती हैं तो संबंधित व्यक्ति के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। इस मौके पर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरूण कुमार सिन्हा, सचिव आलोक कुमार, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डॉ. पदमाकर सिंह समेत कई वरिष्ठ अधिकारीग उपस्थित थे।ऑडिट प्रक्रिया को बनाया जाएगा और अधिक पारदर्शी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए विभागीय आूडिट प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाया जाएगा। अब किसी भी स्तर पर चिकित्सालयों में लापरवाही, उदासीनता और भ्रष्ट आचरण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उनके संज्ञान में आया है कि कुछ जनपदों में ओपीडी नियमित रूप संचालित नहीं हो रही है और कतिपय जनपदों में ओपीडी में पहले की भांति मरीज नहीं आ रहे हैं। यह स्थति ठीक नहीं है। संबंधित अधिकारी इस ओर विशेष ध्यान दें तथा ओपीडी को सुचारू रूप से क्रियांवित करना सुनिश्चित किया जाए। उन्हांने कहा कि सभी अस्पतालों में आवश्यक उपकरण उपलब्ध रहने चाहिएए जिन अस्पतालों में उपकरणों की जरूरत है, उसकी सूची तत्काल बनाकर भेजी जाए।
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