लखनऊ. उत्तर प्रदेश के करीब 99 हजार प्राथमिक सहायक शिक्षकों को राहत मिलने के आसार दिख रहे हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्राथमिक सहायक शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) महज क्वालीफाइंग है न कि मेरिट का एकमात्र आधार।
सोमवार को एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामें में कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा-23 (1) को ध्यान में रखते हुए उसने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी पास होना जरूरी है। टीईटी को न्यूनतम योग्यता होने की शर्त यह ध्यान में रखते हुए की गई थी कि शिक्षकों की नियुक्ति का राष्ट्रीय मानक तय हो। यह भी पढ़ें: टीईटी केवल क्वालीफाइंग
एनसीटीई के सदस्य सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया कि टीईटी में 60 फीसदी अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को पास माना जाता है। स्कूल प्रबंधन चाहे तो आरक्षण नीति के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग अभ्यर्थियों को रियायत दे सकता है। नियुक्ति प्रक्रिया में टीईटी अंक को वेटेज दिया जाना चाहिए, हालांकि सिर्फ टीईटी होना किसी भी अभ्यर्थी को नियुत्ति का अधिकार नहीं देता। टीईटी पास होना नियुक्ति की वांछनीय योग्यता में से केवल एक है।
19 मई को सुप्रीम कोर्ट में एनसीटीई की ओर से पेश वकील आशा जी नायर ने न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ के समक्ष कहा था कि प्राथमिक सहायक शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) महज क्वालीफाइंग है न कि मेरिट का एक मात्र आधार। जिसके बाद पीठ ने एनसीटीई को सोमवार तक हलफनामा दायर कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
आपको बता दें कि यह उत्तर प्रदेश के करीब 99 हजार शिक्षकों से जुड़ा मामला है। ये वह शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति टीईटी पास और एकेमिक क्वालिटी प्वाइंट (शैक्षणिक योग्यता के अंक) के आधार पर हुई थी। जिस संशोधित अधिनियम के तहत ये नियुक्तियां हुई थीं, उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और बीते शुक्रवार को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के 12वें, 15वें, 16वें संशोधन, अकादमिक, मेरिट एवं टेट वेटेज पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुनवाई के दौरान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कहा कि चयन की प्रक्रिया को लेकर अलग-अलग विचारधाराएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि कोई मानता है कि एक ही परीक्षा के जरिये अभ्यर्थियों को जांचा-परखा जाए और उसकी नियुक्ति हो। वहीं कोई यह भी मानता है कि दसवीं, बारहवीं और स्नातक के अंक को भी वेटेज मिलना चाहिए। न्यायमूर्ति ललित ने सिविल सर्विसेज का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें नियुक्ति का पैमाना यह नहीं होता कि आपके पास क्या डिग्री है और आपने मैट्रिक, स्नातक या परास्नातक में कितने अंक हासिल किए हैं। यह कठिन परीक्षा होती है और तीन चरणों में होने वाली परीक्षाओं के जरिये अभ्यर्थियों को आंका जाता है।
वहीं इसस पहले पीठ ने 72,825 शिक्षकों भर्ती पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था। उसके बाद सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों पर सुनवाई करने के बुधवार को फैसला सुरक्षित रखा लिया था। संभावना है कि इन सभी पर फैसला जुलाई में कोर्ट खुलने पर आ सकता है। ये मामला उत्तर प्रदेश में 1,72,000 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करने का है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया था, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार व शिक्षामित्र सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैं। अभी तक 1,32,000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं। इस मामले में कानूनी मुद्दा योग्यता मानदंडों को लेकर फंसा है।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
- 35 फर्जी टीईटी अभ्यर्थी प्रशिक्षण ले रहे हैं , दो माह पूर्व प्रमाणपत्र सत्यापन में हुआ खुलासा
- UPTET : कोर्ट का आदेश 10 जून से 15 ज़ून के बीच आयेगा नहीं तो फिर 15 जुलाई का बाद
- यूपी: प्राइमरी-जूनियर के टीचरों के लिए खुशखबरी, जानें क्या
- शिक्षा मित्र समायोजन जीत के कारण बन सकती हैं ये बातें
- आदेश रिजर्व होने के बाद यही सवाल , कि जजमेन्ट क्या होगा ? SC से हाई कोर्ट जैसा ऑर्डर नही होगा
- यदि टेट एक पात्रता है तो 72825 भर्ती अवैध , कारण NCTE गाइडलाइन का पालना न होना
सोमवार को एनसीटीई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामें में कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धारा-23 (1) को ध्यान में रखते हुए उसने 23 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर कहा था कि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए टीईटी पास होना जरूरी है। टीईटी को न्यूनतम योग्यता होने की शर्त यह ध्यान में रखते हुए की गई थी कि शिक्षकों की नियुक्ति का राष्ट्रीय मानक तय हो। यह भी पढ़ें: टीईटी केवल क्वालीफाइंग
एनसीटीई के सदस्य सचिव की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया कि टीईटी में 60 फीसदी अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को पास माना जाता है। स्कूल प्रबंधन चाहे तो आरक्षण नीति के तहत अनुसूचित जाति व जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग अभ्यर्थियों को रियायत दे सकता है। नियुक्ति प्रक्रिया में टीईटी अंक को वेटेज दिया जाना चाहिए, हालांकि सिर्फ टीईटी होना किसी भी अभ्यर्थी को नियुत्ति का अधिकार नहीं देता। टीईटी पास होना नियुक्ति की वांछनीय योग्यता में से केवल एक है।
19 मई को सुप्रीम कोर्ट में एनसीटीई की ओर से पेश वकील आशा जी नायर ने न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ के समक्ष कहा था कि प्राथमिक सहायक शिक्षकों के लिए टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) महज क्वालीफाइंग है न कि मेरिट का एक मात्र आधार। जिसके बाद पीठ ने एनसीटीई को सोमवार तक हलफनामा दायर कर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था।
आपको बता दें कि यह उत्तर प्रदेश के करीब 99 हजार शिक्षकों से जुड़ा मामला है। ये वह शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति टीईटी पास और एकेमिक क्वालिटी प्वाइंट (शैक्षणिक योग्यता के अंक) के आधार पर हुई थी। जिस संशोधित अधिनियम के तहत ये नियुक्तियां हुई थीं, उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और बीते शुक्रवार को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार के 12वें, 15वें, 16वें संशोधन, अकादमिक, मेरिट एवं टेट वेटेज पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सुनवाई के दौरान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति यूयू ललित ने कहा कि चयन की प्रक्रिया को लेकर अलग-अलग विचारधाराएं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि कोई मानता है कि एक ही परीक्षा के जरिये अभ्यर्थियों को जांचा-परखा जाए और उसकी नियुक्ति हो। वहीं कोई यह भी मानता है कि दसवीं, बारहवीं और स्नातक के अंक को भी वेटेज मिलना चाहिए। न्यायमूर्ति ललित ने सिविल सर्विसेज का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें नियुक्ति का पैमाना यह नहीं होता कि आपके पास क्या डिग्री है और आपने मैट्रिक, स्नातक या परास्नातक में कितने अंक हासिल किए हैं। यह कठिन परीक्षा होती है और तीन चरणों में होने वाली परीक्षाओं के जरिये अभ्यर्थियों को आंका जाता है।
वहीं इसस पहले पीठ ने 72,825 शिक्षकों भर्ती पर सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा लिया था। उसके बाद सहायक अध्यापक बने शिक्षामित्रों पर सुनवाई करने के बुधवार को फैसला सुरक्षित रखा लिया था। संभावना है कि इन सभी पर फैसला जुलाई में कोर्ट खुलने पर आ सकता है। ये मामला उत्तर प्रदेश में 1,72,000 शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करने का है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया था, जिसके खिलाफ उत्तर प्रदेश सरकार व शिक्षामित्र सुप्रीमकोर्ट पहुंचे हैं। अभी तक 1,32,000 शिक्षामित्र सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित हो चुके हैं। इस मामले में कानूनी मुद्दा योग्यता मानदंडों को लेकर फंसा है।
- सुप्रीम कोर्ट का फाइनल संभावित आर्डर : त्रिपुरा आर्डर की तरह खुली प्रतियोगिता संभावना 95%
- बड़ी खबर: अब 12 प्रतिशत ही कटेगा पीएफ, जानें आपके वेतन से कितना कटेगा रुपया
- UPTET Case : निराशा और संदेह की दुनिया से आये बाहर , ऑर्डर 15 से 20 जून के भीतर
- 2.57 फिटमेंट फॉर्मूला के आधार शिक्षकों का 7th Pay वेतन देखे
- शिक्षामित्रों की तारीफ में दो शब्द....मैं शिक्षा मित्र हूँ... एक दर्द और बेदना से भरी यह कविता
- 29334 गणित-विज्ञान शिक्षक भर्ती दोबारा शुरू करने के लिए प्रदर्शन, रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द कराने की मांग
- आखिर गाजी इमाम आला ने ही उठाया अवशेष के समायोजन का बीड़ा
- टेट मेरिट विजय की ओर , निर्णय का इंतज़ार करें : यू पी टी ई टी उत्तीर्ण शिक्षक महासंघ
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines