शिक्षामित्रों का समायोजन बिना टेट ही सुरक्षित: संतोष कुशवाहा,कुशीनगर

* शिक्षामित्रों का समायोजन बिना टेट ही सुरक्षित *संतोष कुशवाहा,कुशीनगर।उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की नियुक्ति की प्रकृति 1999 से शुरू की गयी जिसको MHRD के अनुमोदन पर NCTE के दिशा निर्देश पर शिक्षकों के रिक्त पदों के सापेक्ष नियुक्ति किया गया।
पुरे भारत में अलग अलग नामों से अलग अलग प्रदेशों
संविदा के रूप में करीब
6 लाख शिक्षक रखे गए।
जिसकी योग्यता निर्धारित करने की जिम्मेदारी
राज्य सरकार को नियम के अनुसार कहा गया।
पुरे भारत में बहुत से ऐसे राज्य है।
जहाँ आज भी बीटीसी में प्रवेश की योग्यता
इंटरमीडियट है।
और RTE के मानक में भी इंटरमीडियट ही है।
2001 से 2010 तक केंद्र और राज्य के बीच
उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के सबंध में बहुत ही
पत्राचार किया गया है।
जिसमे स्पष्ट है कि हम शिक्षक है।
2009 में rte एक्ट लागू हुआ तो Ncte के तत्कालीन
निदेशक ने सभी राज्यों को पत्र लिखा की
आपके यहाँ जितने भी शिक्षक अप्रशिक्षित है।
उनको आप ट्रेनिंग करा ले वरना ये लोग 2015 के बाद
स्कूलों में शिक्षण कार्य नहीं कर पाएंगे।
इसी पत्र के परिपेक्ष्य में उत्तर प्रदेश में 1 लाख 72 हज़ार
शिक्षामित्रों को दूरस्थ शिक्षा विधि से दो वर्षीय बीटीसी
प्रशिक्षण कराया गया है।
इन सब साक्ष्यों और सबूतों से शिक्षमित्र 2010 से पहले
के कार्यरत शिक्षक की श्रेणी में आते है।
इसलिए उत्तर प्रदेश के 1 लाख 72 हज़ार शिक्षामित्रों पर टेट
लागू ही नहीं होता है।
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शिक्षामित्रों का समायोजन इलाहबाद हाईकोर्ट से रद्द होने का कारण राज्य और संघो की लचर पैरवी का नतीजा था।
आज के परिवेश में अगर शिक्षामित्रों के नेता और टीम
राजनीती छोड़कर सही तरीके से और साक्ष्यों के साथ
सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करे तो शिक्षामित्रों का
समायोजन 100% बच जायेगा।
क्यों की NCTE के चेयरमैन ने साफ शब्दों में कितने बार
कह चुके है।
की शिक्षामित्रों पर टेट लागू ही नहीं होता है।
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