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सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हीरेन पी रावल जी की बहस के बाद शिक्षामित्रों का समायोजन यहाँ से भी निरस्त होने तय

आप सभी साथी यहाँ फेसबुक और व्हाट्सअप के माध्यम से कई साथियों के विचार पड़ते होंगे। सभी अपने अनुसार ही सुप्रीम कोर्ट की करवाई को देखते है वैसे ही प्रदर्शित करते है। बहुत कुछ जानते हुए भी ज्यादातर लोग वही लिखते है जो आप सुनना चाहते है। सही दिशा में कार्य करना, सच लिखना और सच स्वीकार्य करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए होती है।
13नवम्बर 2011 को हुई अध्यापक पात्रता परीक्षा में लगभग 6लाख बीएड अभ्यर्थियों ने भाग लिया था जिसमें से कुल 2लाख 72 अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की थी। जिसके आधार पर मायावती सरकार ने 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक चयन का विज्ञापन 30/11/11 को प्रकाशित किया। नियमतः 2लाख72 हजार बीएड-टेट पास अभ्यर्थियों में से केबल 72,825 ऐसे अभ्यर्थियों का चयन होना चाहिए था जिनके टेट प्राप्तांक अच्छे होते शेष सब बाहर ही रह जाते।
ना ही अध्यापक पात्रता परीक्षा 2011 के आवेदन पत्र में ऐसा कहीं लिखा था कि परीक्षा पास करने वाले सभी का चयन होगा और ना ही विज्ञापन 30/11/11 में किन्तु आज हम वहां खड़े है जहाँ से अधिकतम बीएड/टेट पास साथियों के चयन का मार्ग खुलने जा रहा है। इसके पीछे बहुत लंबी सोच और बहुत लंबा परिश्रम लगा है।
मैं देख रहा हूँ आज आप सभी ने इस लड़ाई को सिर्फ चयनित और अचयनित, मेरे याची उसके याची, सिविल अपील के याची, शिक्षामित्र के याची, सर्विस रूल के याची, दूसरे विज्ञापन के याची, याची लाभ पाये याची, याची लाभ से वंचित याची तक की लड़ाई तक सीमित कर दिया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की अंतिम सुनवाई में वहाँ उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा ही नही अपितु पुरे भारत वर्ष के सर्व शिक्षा अभियान का भविष्य निर्धारित होने जा रहा है।
वस्तुतः सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ एक मामला था कि क्या शिक्षक भर्ती के चयन आधार को चलती प्रक्रिया में बदला जा सकता है..??? इसका सीधा सा जबाब था नही। लेकिन इलाहाबाद हाइकोर्ट की सिंगल बैंच से लेकर लार्जर बैंच तक और फिर सुप्रीम कोर्ट में माननीय दत्तू साहब से दीपक मिश्रा जी तक और अंत में ऐ के गोयल जी व् यू यू ललित जी तक सभी न्यायधीश आज यह निर्धारित करने बैठे है कि "क्या किसी राज्य सरकार को इतना अधिकार है कि वह नियमों को ताक पर रखकर जो चाहे वह कर सकती है..????"
दोस्तों, यदि हम आज की तारीख में स्वयं को देखें तो आज हमारे टेट अंकपत्र की वैद्यता समाप्त हो चुकी है। बीएड वालों को जो छूट दी गयी थी वह भी 31मार्च14 को समाप्त हो चुकी है फिर भी हम कोर्ट में मजबूती से खड़े हुए है आखिर कैसे..??? सिर्फ फेसबुक पोस्ट से..???? अचानक उठ खड़े हुए मुद्दों से..???? नही, दोस्तों।
आज यहाँ आपको मैं स्पस्ट कर दूँ कि फाइनल आर्गुमेंट में टेट मोर्चा की तरफ से हमारी परमादेश याचिका WP244 नोटिस में आई है और इस पर बहस के साथ रिटेन सब्मिसन भी जमा हुआ है। हमने इसके माध्यम से कोर्ट को अवगत कराया है कि "RTE एक्ट 09 के लागू होने के बाद NCTE ने 23अगस्त2010 को शिक्षक चयन हेतु न्यूनतम योग्यता निर्धारित की जिसमें शिक्षकों की भारी मात्रा में कमी को देखते हुए बीएड पास अभ्यर्थियों को 1जनवरी2012 तक छूट दी गयी ताकि सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत बालक-बालिकाओं को गुणवत्ता परक शिक्षा को जल्द से जल्द मुहैया कराया जा सके। जब उक्त तिथि शिक्षकों की कमी को दूर नही किया जा सका तो बीएड हेतु रिलेक्सेसन को 31मार्च 2014 तक बड़ा दिया गया लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस तिथि तक भी बीएड/टेट योग्य अभ्यर्थियों का ध्यान नही दिया। जबकि उत्तर प्रदेश के कैबिनेट ने 14फरबरी 2014 को यह स्वीकार्य किया गया है कि प्रदेश में RTE एक्ट के पालन हेतु 4लाख86 हजार शिक्षकों की आवश्यकता है और सिर्फ 1लाख77 हजार शिक्षक ही कार्यरत है और 3लाख शिक्षकों की कमी है। सरकार द्वारा जानबूझकर 31मार्च 2014 की समय सीमा पार की गयी, जोकि कानूनन योग्य अभ्यर्थियों की हत्या समान थी। ततपश्चात शिक्षकों की भारी कमी दिखाकर अयोग्य शिक्षामित्रों का समायोजन 30मई2014 से प्रारम्भ किया गया।"
हाइकोर्ट से डी बाई चन्द्रचूड़ जी के आदेश और सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट हीरेन पी रावल जी की बहस के बाद शिक्षामित्रों का समायोजन यहाँ से भी निरस्त होने तय है व् उन्होंने अंत में इस शानदार बहस ने बीएड टेट साथियों का पूरा लोकस बना दिया है। अब हमारा कार्य सिर्फ अंत तक खड़े रहना है और वहां विपक्षी द्वारा उठाये जाने वाले नए नए बहनों का जबाब देना है शेष आपकी नियुक्ति का तरीका कोन सा होगा इसका निर्धारण भी कोर्ट ही करेगा। हाँ इतना आस्वस्त तो मैं आपको कर सकता हूँ कि आपको किसी भी प्रकार की अब कोई टेट परीक्षा नही देनी होगी और यदि किसी IA को ही लाभ मिलता है तो जितनी भी IA फाइल हुईं है सभी को लाभ मिलेगा। ऐसा नही है कि कोर्ट आर्डर नोट हुई हमारी एकमात्र IA5 को ही मिलेगा। शेष फेसबुक से लेकर सुप्रीम कोर्ट के मीडिया ग्राउंड तक संघर्ष करने वालों से सावधान रहें।
अंत में आप सभी से सिर्फ इतना ही कहूँगा कि "यह न्यायिक लड़ाई आपके लिए रोजगार पाने की लड़ाई होगी, किसी के लिए अर्थलाभ या राजनीती हेतु होगी लेकिन मेरी नजर में यह अयोग्य-योग्यता की लड़ाई है, हठधर्मी सरकारों के विरुद्ध न्यायपाने की लड़ाई है, यह मात्र रोजगार प्राप्ति हेतु नही यह बीएड/टेट पास के सम्मान की लड़ाई है।
जिसे हम जीतकर ही रहेंगे।
सत्यमेव जयते सर्वदा
संघर्ष के प्रथम दिवस से आपके साथ
आपका मयंक तिवारी
बीएड/टेट उत्तीर्ण संघर्ष मोर्चा
उत्तर प्रदेश
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