साजिश तो बीएड और TET अभ्यर्थीयो के खिलाफ की गयी
गंदी राजनीति का शिकार तो बीएड TET वालो को बनाया गया
प्रदेशों की प्राथमिक शिक्षा की बत्तर हालत को देखते हुए NCTE का गठन हुआ और शैक्षिक हालतों के विश्लेषण मे पाया गया कि देश में शैक्षिक स्थिति काम चलाऊ परिपाटी पर घिसट रही हैं
फलस्वरूप देश के सक्षम विद्वानों, विधि-मर्मज्ञो, बाल मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाशास्त्रियों, मंत्रीयो, तथा तमाम बुद्धिजीवियों के विचार मंथन से RTE "राइट टू एजुकेशन " की कल्पना साकार हुई । और देश की संसद ने RTE एक्ट 09 लागू कर दिया जिसमें बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा तथा शैक्षिक वातावरण का प्रावधान है इसी मे प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की बात भी है
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्रशिक्षित BTC युवाओं की कमी के कारण बीएड को प्राईमरी में विशेष मौका दिया गया ध्यान रहे ये मौका शिक्षामित्रो को किसी भी प्रकार नही दिया गया बल्कि अयोग्यों को रोकने के लिए कड़े नियम लागू कर दिये गये जिसमें
TET पास करना
स्नातक होना
प्रशिक्षण प्राप्त करना
समस्त रिक्तियां जल्द से जल्द हालत में पूर्ण करनी थी जिस कारण समयसीमा भी लागू कर दी गयी
यानी कि केंद्रीय संस्थाओ ने अप्रत्यक्ष रूप से तय कर दिया था कि शिक्षामित्र जैसे अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बन सकते लेकिन यही से शुरू हो गयी राजनीति बीएड धारियों को लगभग चार लाख पदों में सिर्फ 72825 थमा कर उनको कोर्ट में उलझा दिया गया और समयसीमा खत्म होने का इंतजार किया गया यही से शिक्षामित्रो के लिए अवैध रास्ते का निर्माण किया गया और सीधा समायोजन घर घर नियुक्ति पत्र बाट कर किया गया
बेचारा बीएड बेरोजगार लुटा भी सडकों पर पिटा भी और तो और प्रशासन के तुगलकी फरमानो पर घनचक्कर बना भी
अधिकांश बीएड धारियों को तो पता ही नहीं है कि उनके लिए मात्र 72825 पद नहीं वरन् RTE एक्ट के मानकों के अनुसार समस्त रिक्त पद थे
बीएड को नहीं मिला फिर भी ये पद शिक्षामित्रो के लिए नियमानुसार तो कतई नहीं थे सरकार इन पदो को विधि अनुसार बीटीसी इत्यादी से भर सकती थी
लेकिन गंदी राजनीति का मर्म यही था कि जबरदस्ती शिक्षामित्रो को लाया गया ।
यदि बीएड बेरोजगारों को कोर्ट में फसाया न गया होता तो बीएड धारक 72825 मे ही संतुष्ट भी हो जाते
क्योंकि एकजुटता और अधिकारो के बजाय सदैव राजनीति से दूर रहकर अपने घर संसार मे दबकर संतुष्टि बना लेना कोई बीएड धारियों से सीखे
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
गंदी राजनीति का शिकार तो बीएड TET वालो को बनाया गया
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फलस्वरूप देश के सक्षम विद्वानों, विधि-मर्मज्ञो, बाल मनोवैज्ञानिकों, शिक्षाशास्त्रियों, मंत्रीयो, तथा तमाम बुद्धिजीवियों के विचार मंथन से RTE "राइट टू एजुकेशन " की कल्पना साकार हुई । और देश की संसद ने RTE एक्ट 09 लागू कर दिया जिसमें बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा तथा शैक्षिक वातावरण का प्रावधान है इसी मे प्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति की बात भी है
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में प्रशिक्षित BTC युवाओं की कमी के कारण बीएड को प्राईमरी में विशेष मौका दिया गया ध्यान रहे ये मौका शिक्षामित्रो को किसी भी प्रकार नही दिया गया बल्कि अयोग्यों को रोकने के लिए कड़े नियम लागू कर दिये गये जिसमें
TET पास करना
स्नातक होना
प्रशिक्षण प्राप्त करना
समस्त रिक्तियां जल्द से जल्द हालत में पूर्ण करनी थी जिस कारण समयसीमा भी लागू कर दी गयी
यानी कि केंद्रीय संस्थाओ ने अप्रत्यक्ष रूप से तय कर दिया था कि शिक्षामित्र जैसे अभ्यर्थी शिक्षक नहीं बन सकते लेकिन यही से शुरू हो गयी राजनीति बीएड धारियों को लगभग चार लाख पदों में सिर्फ 72825 थमा कर उनको कोर्ट में उलझा दिया गया और समयसीमा खत्म होने का इंतजार किया गया यही से शिक्षामित्रो के लिए अवैध रास्ते का निर्माण किया गया और सीधा समायोजन घर घर नियुक्ति पत्र बाट कर किया गया
बेचारा बीएड बेरोजगार लुटा भी सडकों पर पिटा भी और तो और प्रशासन के तुगलकी फरमानो पर घनचक्कर बना भी
अधिकांश बीएड धारियों को तो पता ही नहीं है कि उनके लिए मात्र 72825 पद नहीं वरन् RTE एक्ट के मानकों के अनुसार समस्त रिक्त पद थे
बीएड को नहीं मिला फिर भी ये पद शिक्षामित्रो के लिए नियमानुसार तो कतई नहीं थे सरकार इन पदो को विधि अनुसार बीटीसी इत्यादी से भर सकती थी
लेकिन गंदी राजनीति का मर्म यही था कि जबरदस्ती शिक्षामित्रो को लाया गया ।
यदि बीएड बेरोजगारों को कोर्ट में फसाया न गया होता तो बीएड धारक 72825 मे ही संतुष्ट भी हो जाते
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