महात्त्वपूर्व विषय : उत्तर प्रदेश शिक्षक भर्ती ।
शिक्षामित्र: उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों की संख्या लगभग 1.72 लाख है जिसमे कि 1.37 लाख शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर समायोजित हैं ।
मामला सुप्रीम कोर्ट में अब सिर्फ एक घंटे की बहस तक अवशेष है , मामला निष्पक्ष रूप से सरकार व शिक्षामित्रों के पक्ष में नही है ।
एक बार खुली कोर्ट में इनको बचने का अवसर दिया लेकिन शिक्षामित्र उस अवसर को भुना नही सके ।
जब खुली कोर्ट में टीईटी की वकील वी मोहना ने कहा कि 72825 शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों को कोटा दिया गया है जो कि गलत है तो शिक्षामित्रों को मुद्दा उठाना चाहिए था कि 72825 भर्ती सर्विस रूल से है और सर्विस रूल में शिक्षामित्रों के लिए कोटा का कोई प्राविधान नही है तो फिर क्यो दिया गया उसी तरह शिक्षामित्रों का समायोजन भी वैध है , मगर महालक्ष्मी पॉवनी ने कहा कि वे बीएड शिक्षामित्र हैं और इस तरह से शिक्षामित्र विवाद को मृत संजीवनी पी चुकी 72825 की भर्ती से लिंक करने का अवसर गंवा दिया ।
अब मात्र अंतिम समय शिक्षामित्र यही प्रयास करें कि दिनांक 30 नवंबर 2011 का 72825 का विज्ञापन सर्विस रूल के तहत नही आया था , उसपर दिनांक 4 जनवरी 2012 को स्टे लगा दिनांक 31 अगस्त 2012 को उत्तर प्रदेश सरकार ने उक्त भर्ती को रद्द कर दिया, उसके विरुद्ध पड़ी याचिकाओं को विज्ञापन रद्द होने के बाद कोर्ट ने निष्क्रिय बता दिया , खंडपीठ ने सहायक अध्यापक का विज्ञापन बताकर बहाल किया तो सुप्रीम कोर्ट उसे सहायक अध्यापक की भर्ती बताकर पूर्ण करवा डाली जबकि सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्णतया नियम व नियमावली विरुद्ध हुई है, रिजर्वेशन एक्ट भी फॉलो नही हुआ ।
इसके अतिरिक्त सरकार शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रथम शासनादेश जारी होने के पूर्व के सभी टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों को नौकरी देकर शिक्षामित्रों को बचा सकती है , परंतु सरकार शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए तीन लाख रिक्ति बता रही थी और टीईटी पास को रखने की बात पर बता रही है कि उसके पास पद ही नही है ।
इस प्रकार शिक्षामित्र समूह में कूटनीतिक सोच का अभाव एवं सरकार की अस्पष्ट नीति के कारण शिक्षामित्रों पर संकट के बादल बरकरार हैं।
अकादमिक भर्ती 99132 :
उक्त समुदाय को स्वयं को बचाने के लिए सबसे पहले जस्टिस श्री DB भोसले के उक्त आदेश का हवाला देकर स्वयं को अदालत में फ्रंट पर लाना होगा कि उनकी नियुक्ति भी CA 4347-4375/14 के फैसले के आधीन है , अतः उनको भी CA के अंतिम निर्णय के डिक्टेट करने के पूर्व सुना जाए, यदि उनको सुने बगैर CA खारिज हुई तो उनका अहित होगा।
यदि CA 4347-4375/14 खारिज हुई तो 99132 का नियुक्ति पत्र स्वतः निरस्त मान लिया जाएगा ।
याची इशू :
याचियों को कोर्ट में अब बताना होगा कि जस्टिस श्री दीपक मिश्रा और जस्टिस श्री यूयू ललित की पीठ ने दिनांक 17 दिसंबर 2014 को टीईटी में 105/97 अंक और 97 अंक तक के आरक्षित न मिलने पर दिनांक 25 फरवरी 2015 को आरक्षित टीईटी में 90 अंक तक पाने वालों को उत्तर प्रदेश रिजर्वेशन पालिसी को फॉलो करते हुए 72825 पदों के सापेक्ष नियुक्ति देने का आदेश किया था मगर सरकार ने काउंसलिंग तो करा दी मगर रिजर्वेशन एक्ट फॉलो नही किया जिसके उपरांत 97 अंक के ऊपर के आरक्षित और 105 अंक के ऊपर के जनरल कैंडिडेट आज भी नियुक्ति पत्र से दूर हैं तो 42 भाग में बांटकर बनाई गई लिस्ट में कई समूह के लोग 105 और न्यूनतम 90 अंक पाकर भी नियुक्त हो गये हैं जो कि रिजर्वेशन एक्ट और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16(4) का उलंघन है ।
यदि याची अदालत में ऐसा नही कहते हैं तो उनको कुछ भी नही मिलने वाला है ।
नया विज्ञापन बीएड :
इनको कोर्ट में यह साबित करना होगा कि टीईटी मात्र एक पात्रता परीक्षा है , प्रदेश में आज भी 1.30 लाख टीईटी उत्तीर्ण बीएड बेरोजगार अचयनित हैं , उनका 7 दिसंबर 2012 का विज्ञापन आज भी विचाराधीन है ।
उसकी जगह पर जो भर्ती कर दी गयी वह पूर्णतया अवैध है, उसका विज्ञापन निरस्त है , जिस वजह के आधार पर खंडपीठ ने उसे बहाल किया वह वजह भी आधारहीन साबित हो चुकी है लेकिन अदालत यदि पूर्व की भर्ती को न निरस्त करना चाहे तो टीईटी की गाइडलाइन 9 ब की व्याख्या के बाद नई विज्ञप्ति को निर्णीत चयन के आधार के सापेक्ष पूर्ण कराए ।
बिलो क्राइटेरिया अचयनित:
उक्त लोग कोर्ट को बताएं कि टीईटी की मिनिमम पात्रता 60/55 फीसदी है ,उनका चयन 72825 में हो सकता था मगर मेरिट में आने के बावजूद भी उनको रोक दिया गया है क्योंकि कोर्ट ने एक तरफ याचियों को तो 105/90 से कम अंक वालों , आवेदन न करने वालों को भी नियुक्ति पत्र दिलवा दिया है तो दूसरी तरफ मेरिट में आने वाले लोग यदि 105/90 अंक से कम के लोग हैं तो उनको बाहर रखा गया है ।
841 नियुक्त याची:
ऐसे नियुक्त याची जिनका अंक 105/90 अंक से ऊपर है तो विरोध होने पर कोर्ट को बताएं कि उनकी काउंसलिंग हुई है बगैर सर्विस रूल और रिजर्वेशन एक्ट फॉलो किये उनको बाहर किया जा रहा था और उनसे कम अंक पाने वालों को नियुक्त किया गया जो कि विधि व सेवा नियमावली के विरुद्ध है, सम्पूर्ण 65000 चयन सूची रद्द करके पुनः चयन सूची बनाने के बाद ही यदि उनका चयन नही होता है तभी बाहर किया जाए ।
जिन नियुक्त याचियों का अंक 105/90 अंक से कम है वो कोर्ट को बताएं कि वे दिनांक 7 दिसंबर 2012 के विज्ञापन के आवेदक हैं , उनका अहित न किया जाए
बगैर रूल से सम्पन्न भर्ती को या तो निरस्त करके भर्ती रुल से की जाए या फिर उनकी नियुक्ति को डिस्टर्ब न किया जाए ।
इसके अतिरिक्त यदि कोई बहस सुप्रीम कोर्ट में होती है तो वह निराधार है और मुद्दाविहीन बहस से कुछ भी हासिल नही होगा ।
-राहुल पांडेय 'अविचल'
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मामला सुप्रीम कोर्ट में अब सिर्फ एक घंटे की बहस तक अवशेष है , मामला निष्पक्ष रूप से सरकार व शिक्षामित्रों के पक्ष में नही है ।
एक बार खुली कोर्ट में इनको बचने का अवसर दिया लेकिन शिक्षामित्र उस अवसर को भुना नही सके ।
जब खुली कोर्ट में टीईटी की वकील वी मोहना ने कहा कि 72825 शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों को कोटा दिया गया है जो कि गलत है तो शिक्षामित्रों को मुद्दा उठाना चाहिए था कि 72825 भर्ती सर्विस रूल से है और सर्विस रूल में शिक्षामित्रों के लिए कोटा का कोई प्राविधान नही है तो फिर क्यो दिया गया उसी तरह शिक्षामित्रों का समायोजन भी वैध है , मगर महालक्ष्मी पॉवनी ने कहा कि वे बीएड शिक्षामित्र हैं और इस तरह से शिक्षामित्र विवाद को मृत संजीवनी पी चुकी 72825 की भर्ती से लिंक करने का अवसर गंवा दिया ।
अब मात्र अंतिम समय शिक्षामित्र यही प्रयास करें कि दिनांक 30 नवंबर 2011 का 72825 का विज्ञापन सर्विस रूल के तहत नही आया था , उसपर दिनांक 4 जनवरी 2012 को स्टे लगा दिनांक 31 अगस्त 2012 को उत्तर प्रदेश सरकार ने उक्त भर्ती को रद्द कर दिया, उसके विरुद्ध पड़ी याचिकाओं को विज्ञापन रद्द होने के बाद कोर्ट ने निष्क्रिय बता दिया , खंडपीठ ने सहायक अध्यापक का विज्ञापन बताकर बहाल किया तो सुप्रीम कोर्ट उसे सहायक अध्यापक की भर्ती बताकर पूर्ण करवा डाली जबकि सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्णतया नियम व नियमावली विरुद्ध हुई है, रिजर्वेशन एक्ट भी फॉलो नही हुआ ।
इसके अतिरिक्त सरकार शिक्षामित्रों के समायोजन के प्रथम शासनादेश जारी होने के पूर्व के सभी टीईटी उत्तीर्ण बेरोजगारों को नौकरी देकर शिक्षामित्रों को बचा सकती है , परंतु सरकार शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए तीन लाख रिक्ति बता रही थी और टीईटी पास को रखने की बात पर बता रही है कि उसके पास पद ही नही है ।
इस प्रकार शिक्षामित्र समूह में कूटनीतिक सोच का अभाव एवं सरकार की अस्पष्ट नीति के कारण शिक्षामित्रों पर संकट के बादल बरकरार हैं।
अकादमिक भर्ती 99132 :
उक्त समुदाय को स्वयं को बचाने के लिए सबसे पहले जस्टिस श्री DB भोसले के उक्त आदेश का हवाला देकर स्वयं को अदालत में फ्रंट पर लाना होगा कि उनकी नियुक्ति भी CA 4347-4375/14 के फैसले के आधीन है , अतः उनको भी CA के अंतिम निर्णय के डिक्टेट करने के पूर्व सुना जाए, यदि उनको सुने बगैर CA खारिज हुई तो उनका अहित होगा।
यदि CA 4347-4375/14 खारिज हुई तो 99132 का नियुक्ति पत्र स्वतः निरस्त मान लिया जाएगा ।
याची इशू :
याचियों को कोर्ट में अब बताना होगा कि जस्टिस श्री दीपक मिश्रा और जस्टिस श्री यूयू ललित की पीठ ने दिनांक 17 दिसंबर 2014 को टीईटी में 105/97 अंक और 97 अंक तक के आरक्षित न मिलने पर दिनांक 25 फरवरी 2015 को आरक्षित टीईटी में 90 अंक तक पाने वालों को उत्तर प्रदेश रिजर्वेशन पालिसी को फॉलो करते हुए 72825 पदों के सापेक्ष नियुक्ति देने का आदेश किया था मगर सरकार ने काउंसलिंग तो करा दी मगर रिजर्वेशन एक्ट फॉलो नही किया जिसके उपरांत 97 अंक के ऊपर के आरक्षित और 105 अंक के ऊपर के जनरल कैंडिडेट आज भी नियुक्ति पत्र से दूर हैं तो 42 भाग में बांटकर बनाई गई लिस्ट में कई समूह के लोग 105 और न्यूनतम 90 अंक पाकर भी नियुक्त हो गये हैं जो कि रिजर्वेशन एक्ट और संविधान के अनुच्छेद 14 और 16(4) का उलंघन है ।
यदि याची अदालत में ऐसा नही कहते हैं तो उनको कुछ भी नही मिलने वाला है ।
नया विज्ञापन बीएड :
इनको कोर्ट में यह साबित करना होगा कि टीईटी मात्र एक पात्रता परीक्षा है , प्रदेश में आज भी 1.30 लाख टीईटी उत्तीर्ण बीएड बेरोजगार अचयनित हैं , उनका 7 दिसंबर 2012 का विज्ञापन आज भी विचाराधीन है ।
उसकी जगह पर जो भर्ती कर दी गयी वह पूर्णतया अवैध है, उसका विज्ञापन निरस्त है , जिस वजह के आधार पर खंडपीठ ने उसे बहाल किया वह वजह भी आधारहीन साबित हो चुकी है लेकिन अदालत यदि पूर्व की भर्ती को न निरस्त करना चाहे तो टीईटी की गाइडलाइन 9 ब की व्याख्या के बाद नई विज्ञप्ति को निर्णीत चयन के आधार के सापेक्ष पूर्ण कराए ।
बिलो क्राइटेरिया अचयनित:
उक्त लोग कोर्ट को बताएं कि टीईटी की मिनिमम पात्रता 60/55 फीसदी है ,उनका चयन 72825 में हो सकता था मगर मेरिट में आने के बावजूद भी उनको रोक दिया गया है क्योंकि कोर्ट ने एक तरफ याचियों को तो 105/90 से कम अंक वालों , आवेदन न करने वालों को भी नियुक्ति पत्र दिलवा दिया है तो दूसरी तरफ मेरिट में आने वाले लोग यदि 105/90 अंक से कम के लोग हैं तो उनको बाहर रखा गया है ।
841 नियुक्त याची:
ऐसे नियुक्त याची जिनका अंक 105/90 अंक से ऊपर है तो विरोध होने पर कोर्ट को बताएं कि उनकी काउंसलिंग हुई है बगैर सर्विस रूल और रिजर्वेशन एक्ट फॉलो किये उनको बाहर किया जा रहा था और उनसे कम अंक पाने वालों को नियुक्त किया गया जो कि विधि व सेवा नियमावली के विरुद्ध है, सम्पूर्ण 65000 चयन सूची रद्द करके पुनः चयन सूची बनाने के बाद ही यदि उनका चयन नही होता है तभी बाहर किया जाए ।
जिन नियुक्त याचियों का अंक 105/90 अंक से कम है वो कोर्ट को बताएं कि वे दिनांक 7 दिसंबर 2012 के विज्ञापन के आवेदक हैं , उनका अहित न किया जाए
बगैर रूल से सम्पन्न भर्ती को या तो निरस्त करके भर्ती रुल से की जाए या फिर उनकी नियुक्ति को डिस्टर्ब न किया जाए ।
इसके अतिरिक्त यदि कोई बहस सुप्रीम कोर्ट में होती है तो वह निराधार है और मुद्दाविहीन बहस से कुछ भी हासिल नही होगा ।
-राहुल पांडेय 'अविचल'
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