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शिक्षामित्र केस और टीईटी मेरिट के सम्बन्ध में सोशल मिडिया की एक फेसबुक पोस्ट

1. आदेश में विलंब होना अचयनितों के लिए सुखद संकेत नहीं है। शिक्षामित्रों को हटाना है तो उन्हें विद्यालय खुलने से पूर्व हटाया जाना चाहिए था, जिससे उन्हें कम आघात लगे और वे विद्यालय को भी हर तरह से कम से कम क्षति पहुंचा सकें।
2. टेट वेटेज का निर्णय भविष्यलक्षी प्रभाव (prospective overruling ) से लागू होना चाहिए जिससे 72825 को छोड़कर किसी भी अन्य भर्ती पर कोई प्रभाव नहीं होगा और वे सभीं पूरी तरह सेफ हैं।

3. संविधान के अनुच्छेद 14 के आधार पर समानता के अधिकार का मुद्दा अच्छे से उठाकर अचयनितो के चयन की मांग को और अधिक मजबूती से रखा जा सकता था। कम से कम विभा माखीजा जी ने इस दिशा में प्रयास तो किया।
4. समस्त याची या नए विज्ञापन भी में से किसी एक की मुझे अभीं भी उम्मीद है, लेकिन अगर इनमें से कुछ भी नहीं मिला तो ऐक्ट 14 के आधार पर ऐक्ट 137 के तहत पुनर्विचार याचिका के लिए अधिकतम 30 दिन का समय मिलेगा। पुनर्विचार याचिकाएं बहुत कम स्वीकार होती हैं जब तक कि उसका मजबूत संवैधानिक आधार ना हो।

5. इस भर्ती में सेटिंग का अब तक काफी महत्व रहा है और हो सकता है आगे भी हो। टेट एकेडमिक मोर्चे औऱ सरकारी वकील के एक साथ सेटिंग के कारण ही मामला नए या पुराने विज्ञापन में से किसी एक पर फैसले से हटकर याची मैटर पर आ गया। अगर इस सेटिंग के कारण समस्त याचियों को राहत मिल गई तो यह सेटिंग सभीं टेट पास के लिए फायदेमंद होगी अन्यथा नहीं। पोस्ट पर मेरे केवल व्यक्तिगत विचार हैं, आप सहमत या असहमत हो सकते हैं। समस्त बीएड टेट पास के नियुक्ति के लिए मेरी मंगलकामनाएं।
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