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पदोन्नति के बजाए समायोजन का फैसला गलत

- राजकीय शिक्षकों ने समायोजन के फैसले पर जताई नाराजगी।
- राजकीय शिक्षक संघ की बैठक में सूची पर खड़े किए गए सवाल
अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश राजकीय शिक्षक संघ ने सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के लिए जारी की गई सूची पर सवाल खड़े किए हैं।
संघ की बृहस्पतिवार को जीजीआईसी में हुई बैठक में शिक्षकों की पदोन्नति के बजाए समायोजन के फैसले पर नाराजगी जताई गई। वक्ताओं ने कहा कि समायोजन के लिए जो सूची जारी की गई है, वह गलत है। इसमें जूनियर की जगह सीनियर के नाम मनमाने तरीके से शामिल करने का आरोप लगाया गया। कहा गया कि सूची में कुछ ऐसे शिक्षकों के भी नाम हैं जो अगले वर्ष सेवानिवृत्त हो रहे हैं।
बैठक में कहा गया कि प्रवक्ता एवं एलटी की सेवा शर्तें अलग-अलग हैं तो उनसे एलटी ग्रेड की कक्षाओं को क्यों पढ़वाया जाएगा। ऐसे तो एलटी वाले भी इंटर की कक्षाओं को पढ़ाने की पूरी योग्यता रखते हैं और प्रवक्ता से पहले स्कूलों में कार्यरत हैं। ऐसे में एलटी वाले ही क्यों हटाए जाएं। वक्ताओं ने कहा कि समायोजन के पहले उन अधिकारियों को दंडित किया जाए जिन्होंने शिक्षकों को सरप्लस अध्यापकों के रहते भी स्कूलों में भेजा। आरोप लगाया गया कि यह काम धन उगाही के लिए किया गया। बैठक का नेतृत्व कर रहे प्रांतीय महामंत्री डॉ.रवि भूषण ने बताया कि जब पदोन्नति कर देने मात्र से समस्या का समाधान हो सकता है तो अधिकारी समायोजन के पीछे क्यों पड़े हैं।
उन्होंने कहा कि पदोन्नति के लिए सीआर पहले ही मांगी जा चुकी है। पदोन्नति की प्रक्रिया रोककर समायोजन करना कितना उचित है, यह अधिकारी ही बता सकते हैं। उन्होंने इसके खिलाफ न्यायालय जाने की भी चेतावनी दी। बैठक में सूची में समायोजन के लिए नामित शिक्षक, शिक्षिकाओं के साथ मौजूद अहमद, राकेश कुमार, रमेश वर्मा, जुबैर अहमद, बीएल पाल, आरएल पाल, संगीता, सुषमा यादव, रंजना, वंदना, रंजना मिश्रा, चांदना, ममता आदि शामिल थीं।
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