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सूबे के प्राथमिक विद्यालयों में पटरी पर नहीं लौट रहा शिक्षण कार्य, बिना किसी परीक्षा के सीधे नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं शिक्षामित्र

अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद प्रदेश सरकार ने शिक्षामित्रों को भले राहत देने की तैयारी कर ली हो, लेकिन इसके बावजूद परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य पटरी नहीं लौट रहा क्योंकि ज्यादातरशिक्षामित्र अब तक विद्यालयों में नहीं पहुंचे हैं।
दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र के जो विद्यालय इन शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे हैं, उनमें पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित है।
परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य 26 जुलाई से ही प्रभावित है, जब सहायक अध्यापक के पद से समायोजन रद्द होने का फैसला आने के बाद शिक्षामित्रों ने विद्यालय जाना बंद कर दिया और धरना-प्रदर्शन करने लगे। पहली जुलाई को लखनऊ में शिक्षामित्रों के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई वार्ता में मुख्यमंत्री ने 15 दिन में समाधान का आश्वासन दिया और शिक्षामित्रों से वापस जाकर विद्यालयों में पठन-पाठन शुरू करने की अपील की, लेकिन शिक्षामित्र विद्यालय नहीं गए बल्कि सीएम के फैसले का इंतजार करते रहे। इस बीच कोई निर्णय न होने पर शिक्षा मित्रों ने 17 अगस्त से फिर अनशन शुरू कर दिया। चार दिन प्रदेशभर के सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन के बाद शिक्षामित्र 21 अगस्त को लखनऊ में जुटे और यहां भी चार दिन अनशन पर बैठे रहे।
इस बीच फिर से मुख्यमंत्री से वार्ता हुई, जिसमें टीईटी परीक्षा में अतिरिक्त भारांक देेने का आश्वासन दिया। इसके पहले टीईटी परीक्षा के लिए आवेदन और परीक्षा की तिथि भी घोषित कर दी गई लेकिन शिक्षामित्र इन सब पर तैयार नहीं हैं और वह बिना किसी परीक्षा के सीधे नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। इसी वजह से वे विद्यालयों में नहीं जा रहे। इसका सबसे ज्यादा असर दूरदराज ग्रामीण इलाकों के उन विद्यालयों पर पड़ रहा है, जो इन्हीं शिक्षामित्रों के भरोसे चल रहे थे। इन विद्यालयों में अक्तूबर में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं भी होनी हैं। पढ़ाई प्रभावित होने से परीक्षा पर भी संकट खड़ा हो सकता है।
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