ये कहना गलत है कि IAS IPS की समीक्षा नहीं हो रही, मोदी जी ने कई IAS को समीक्षा में अयोग्य पाने पर अनिवार्य सेवा निवृति दे दी है, अभी शुरुआत है अब IAS की लेटरल एंट्री पर तैयारी शुरू हो गयी है, योग्य
समाज सेवी , उद्धमी आदि को सीधे सेक्रेटरी लेवल पर लाया जा सकेगा, बेहतरीन कदम, सिस्टम में योग्य लोगों को हर तरह से लाया जाए।
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पटना : परीक्षाओं में बेहतर रिजल्ट न देनेवाले शिक्षकों को 50 वर्ष की उम्र में जबरिया सेवानिवृति देने के नीतीश कुमार के आज गुरुवार के फैसले पर राजनीति गरमा गई है. भाजपा के मुखर नेता और बिहार विधान परिषद् के सदस्य नवल किशोर यादव ने बिहार सरकार पर कड़ा प्रहार किया है. साफ़ शब्दों में नीतीश सरकार के फैसले की घोर निंदा करते हुए इसे सामंती करार दिया है.
बताते चलें कि श्री यादव पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान परिषद् का चुनाव जीतते रहे हैं. आज शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के बाद जैसे ही चीफ सेक्रेटरी अंजनी कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में लिए गए निर्णयों की जानकारी मीडिया को दी, यादव बगैर पार्टी लाइन की परवाह किये सरकार के प्रति आक्रामक हो गए. उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा है कि जिस प्रकार बिहार सरकार ने सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को 50 वर्ष के बाद अक्षम घोषित कर जबरन सेवामुक्त कर देने का निर्णय लिया है, मैं बिहार सरकार से मांग करता हूँ कि सिर्फ शिक्षकों का ही क्यों, बिहार के 50 वर्ष तक के IAS अधिकारियों के भी जिले में किये गए कार्यों की समीक्षा हो.
उन्होंने कहा है कि आईपीएस अधिकारियों की भी समीक्षा करनी होगी. यह देखना होगा कि इन आईपीएस अधिकारियों ने जिलों में अपराध को रोकने के लिए क्या किया. 50 वर्ष तक के बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के भी किये गए कार्यों की समीक्षा हो. यादव यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि सभी विभागों में कार्य करनेवाले मंत्रियों के रूप में राजनेताओं के द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा भी होनी चाहिए. इसके बाद शिक्षकों को हटाने का निर्णय लेनेवालों को भी आत्मसमीक्षा करनी चाहिए.
यादव बोले – हटाने का निर्णय लेनेवाले आत्मसमीक्षा करें कि शिक्षकों को 7-7 महीने तक वेतन क्यों नहीं मिलता. विद्यालयों में जहां 14 शिक्षकों की जरुरत है, वहाँ दो और तीन क्यों हैं? बच्चों को पढ़ने के लिए समय पर किताब क्यों नहीं मिलती है? बैठने के लिए बेच-डेस्क और पर्याप्त क्लासरूम क्यों नहीं है? पर्याप्त संख्या में विद्यालयों में शौचालय क्यों नहीं है? और अंत में इस बड़े सवाल का जवाब भी चाहिए कि शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य क्यों लिया जाता है.
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समाज सेवी , उद्धमी आदि को सीधे सेक्रेटरी लेवल पर लाया जा सकेगा, बेहतरीन कदम, सिस्टम में योग्य लोगों को हर तरह से लाया जाए।
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पटना : परीक्षाओं में बेहतर रिजल्ट न देनेवाले शिक्षकों को 50 वर्ष की उम्र में जबरिया सेवानिवृति देने के नीतीश कुमार के आज गुरुवार के फैसले पर राजनीति गरमा गई है. भाजपा के मुखर नेता और बिहार विधान परिषद् के सदस्य नवल किशोर यादव ने बिहार सरकार पर कड़ा प्रहार किया है. साफ़ शब्दों में नीतीश सरकार के फैसले की घोर निंदा करते हुए इसे सामंती करार दिया है.
बताते चलें कि श्री यादव पटना शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधान परिषद् का चुनाव जीतते रहे हैं. आज शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक के बाद जैसे ही चीफ सेक्रेटरी अंजनी कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की उपस्थिति में लिए गए निर्णयों की जानकारी मीडिया को दी, यादव बगैर पार्टी लाइन की परवाह किये सरकार के प्रति आक्रामक हो गए. उन्होंने अपनी टिप्पणी में कहा है कि जिस प्रकार बिहार सरकार ने सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को 50 वर्ष के बाद अक्षम घोषित कर जबरन सेवामुक्त कर देने का निर्णय लिया है, मैं बिहार सरकार से मांग करता हूँ कि सिर्फ शिक्षकों का ही क्यों, बिहार के 50 वर्ष तक के IAS अधिकारियों के भी जिले में किये गए कार्यों की समीक्षा हो.
उन्होंने कहा है कि आईपीएस अधिकारियों की भी समीक्षा करनी होगी. यह देखना होगा कि इन आईपीएस अधिकारियों ने जिलों में अपराध को रोकने के लिए क्या किया. 50 वर्ष तक के बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के भी किये गए कार्यों की समीक्षा हो. यादव यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि सभी विभागों में कार्य करनेवाले मंत्रियों के रूप में राजनेताओं के द्वारा किये गए कार्यों की समीक्षा भी होनी चाहिए. इसके बाद शिक्षकों को हटाने का निर्णय लेनेवालों को भी आत्मसमीक्षा करनी चाहिए.
यादव बोले – हटाने का निर्णय लेनेवाले आत्मसमीक्षा करें कि शिक्षकों को 7-7 महीने तक वेतन क्यों नहीं मिलता. विद्यालयों में जहां 14 शिक्षकों की जरुरत है, वहाँ दो और तीन क्यों हैं? बच्चों को पढ़ने के लिए समय पर किताब क्यों नहीं मिलती है? बैठने के लिए बेच-डेस्क और पर्याप्त क्लासरूम क्यों नहीं है? पर्याप्त संख्या में विद्यालयों में शौचालय क्यों नहीं है? और अंत में इस बड़े सवाल का जवाब भी चाहिए कि शिक्षकों से गैर-शैक्षणिक कार्य क्यों लिया जाता है.
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