शिक्षामित्र आरटीई एक्ट के ताजा संशोधन के
तहत टीईटी से छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की राय लेंगे। वहीं समान
वेतन, समान कार्य पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई है।
शिक्षामित्रों के
प्रत्यावेदन पर बुधवार को अपर मुख्य सचिव आरपी सिंह की अध्यक्षता में गठित
कमेटी की बैठक में फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।
समाज कल्याण, वित्त, न्याय और सूचना विभाग के प्रमुख सचिवों, प्रतिनिधियों
और शिक्षामित्र संगठनों के साथ हुई बैठक में किसी भी मांग पर सहमति नहीं
बनी। शिक्षा मित्र आश्रम पद्धति के स्कूलों की तरह समान कार्य, समान वेतन
की मांग कर रहे हैं। समाज कल्याण विभाग ने स्पष्ट किया कि इसके लिए टीईटी
जरूरी कर दिया गया है। समान कार्य, समान वेतन का सिद्धांत आश्रम पद्धति के
स्कूलों पर वर्ष 2014 में लागू किया गया।
हालांकि शिक्षा मित्रों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। वहीं कमेटी ने इस
पर न्याय विभाग की राय लेने का भरोसा दिया है। टीईटी से छूट के लिए
शिक्षामित्रों ने कहा कि आरटीईटी एक्ट में 9 अगस्त 2017 को हुए संशोधन के
बाद उन्हें टीईटी से छूट दी जाए। शिक्षामित्रों ने इस संशोधन व सुप्रीम
कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के वकील हरीश साल्वे से कानूनी सलाह लेने
का प्रस्ताव रखा, जिसे कमेटी ने मान लिया।
आरटीई एक्ट में 9 अगस्त को हुए संशोधन में जिन शिक्षकों ने अभी तक एनसीटीई
के मानकों के मुताबिक शैक्षिक अर्हताएं पूरी नहीं की है, उन्हें चार वर्षों
का समय और दिया गया है। हालांकि इसमें टीईटी से छूट का कोई जिक्र नहीं है।
बैठक में शिक्षा मित्र संगठनों से जितेन्द्र शाही, गाजी इमाम आला, दीनानाथ
दीक्षित आदि मौजूद रहे।
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