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शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की रिव्यू पिटिशन

नई दिल्ली : टीईटी पास शिक्षामित्रों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है। जुलाई में शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित किए जाने को रद्द करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया था।
याचिकाकर्ता के वकील मीनेश दूबे ने बताया कि जिन शिक्षामित्रों को सहायक टीचर के तौर पर समायोजित किया गया था उनमें हजारों ऐसे थे जो टीईटी पास थे और वह असिस्टेंट टीचर की तमाम योग्यता रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में शिक्षामित्रों को ये राहत दी थी कि अगर वे टीईटी (टीचर इलिजिबिलिटी टेस्ट) पास कर गए हों या फिर भविष्य में पास कर जाते हैं तो राज्य सरकार सहायक टीचर के तौर पर होने वाली दो लगातार नियुक्तिों में इन पर विचार कर सकती है। चूंकि कई शिक्षामित्र पहले से टीईटी पास हैं और ऐसे में नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए समय सीमा तय होना चाहिए। क्योंकि टीईटी पास होने के बाद उसकी मान्यता 5 साल तक ही होती है और ऐसे में अगर दो लगातार नियुक्ति प्रक्रिया उस 5 साल के समयसीमा के बाद हुई तो टीईटी दोबारा करनी होगी ऐसे में दो लगातर नियुक्ति प्रक्रिया समयबद्ध तरीके से होना चाहिए। साथ ही याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि टीईटी पास शिक्षामित्र तमाम योग्यता रखते हैं और नए आवेदकों से बेहतर स्थिति में हैं क्योंकि इनके पास टीईटी के साथ-साथ लंबा अनुभव भी है। सुप्रीम कोर्ट के 25 जुलाई के आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल कर कहा गया है कि नियुक्ति प्रक्रिया जल्दी से जल्दी हो और तब तक इन्हें सहायक टीचर के तौर पर बने रहने दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक तरफ एक लाख 78 हजार टीचर के रेग्युलर करने का दावा कानून का उल्लंघन करता है। वहीं शिक्षा के अधिकार के तहत 6 साल से 14 साल के बच्चों के अनिवार्य शिक्षा का सवाल है। ऐसे में शिक्षा मित्रों के अनुभव और उम्र आदि में छूट पर विचार हो सकता है। सवाल है कि किसी अधिकार के बिना शिक्षामित्र रिलीफ के हकदार हो सकते हैं? ऐसी विशेष स्थिति में उन्हें दो बार लगातार नियुक्ति प्रक्रिया में अवसर दिया जाए।
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