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यूपी: सरकार से खफा शिक्षामित्र बच्चों के भविष्य से कर रहे खिलवाड़

बरेली। सूबे में शिक्षामित्रों की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भी आज एक मुद्दा है। कुछ लोग शिक्षामित्रों की नियुक्ति के पक्ष में हैं तो कुछ विपक्ष में लेकिन नियुक्ति के बड़े दबाव के चलते शिक्षामित्र बच्चों के भविष्य से खेल रहे हैं।
शिक्षामित्र हमेशा की तरह अपने स्कूल पहुंचते है और उपस्थिति लगाकर चले जाते हैं। नौकरी पाने की इच्छा में टीईटी की कोचिंग करने चले जाते हैं। ऐसे में बच्चे गुरु के अभाव में या तो घर वापस चले जाते हैं या फिर मिड डे मिल से भूख मिटाने रुक जाते हैं। योगी के सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया तो पाया कि बरेली के फतेहगंज ब्लॉक में प्राइमरी स्कूल नाम के लिए खुल रहे हैं।

प्रजेंट लगाने आते हैं स्कूल


शिक्षामित्रों में सरकार के प्रति जबर्दस्त गुस्सा है। हर बात के लिए बिकाऊ मीडिया और सरकार की गलत नीति को जिम्मेदार बताते हैं लेकिन शिक्षामित्र अपने सच को छिपा लेते हैं। सबसे पहले हिंदी वनइंडिया की टीम ने जब फतेहगंज ब्लॉक के स्कूलों का निरीक्षण किया तो पाया कि खंड शिक्षा अधिकारी दफ्तर से लगा प्राथमिक विद्यालय सुबह 10 बजे तक खुला ही नहीं, जब खुला भी तो स्कूल की अध्यपिका ने बच्चों को झाड़ू थमा दी। वह कहती हैं कि आप जहां चाहे शिकायत कर लें, कुछ नहीं होने वाला।

कोचिंग करने चले जाते हैं शिक्षामित्र

खंड शिक्षा अधिकारी जिन पर ब्लॉक में शिक्षा के स्तर पर बेहतर व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी होती है, वह भी अपनी जिम्मेदारी में फेल हैं। जब वनइंडिया की टीम माधोपुर रुकमपुर के गांव पहुंची तो पता चला स्कूल में तैनात एक मात्र शिक्षक मित्र स्कूल में केवल प्रजेंट लगाने आता है। साथ ही स्थानीय निवासी होने के चलते उसका कोई विरोध नहीं कर पाता | केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के गोद लिए आदर्श गांव रहपुरा जागीर में हमारी टीम पहुंची तो पता चला कि स्कूल में तैनात दोनों शिक्षामित्र विद्यावती , राजकुमारी प्रेजेंट लगाकर टेट की कोचिंग ज्वाइन करने गई हैं।
कार्रवाई नहीं करते हैं अफसर!
स्कूल के हेड मास्टर का इस सम्बन्ध में कहना था कि वह इस बात से अपने अधिकारी को अवगत करा चुके हैं। आदर्श गांव से दो किलोमीटर की दूरी पर बसे मीरापुर के प्राथमिक स्कूल की तस्वीर कुछ ऐसी ही है। स्कूल में पूछने पर पता चला कि स्कूल के तीन टीचर विभागीय काम से बाहर हैं। स्कूल में एक मात्र टीचर होरी लाल मिला जिसे हमारा कैमरा देख पसीना आ गया और अपने सह अध्यापकों को फ़ोन लगाने लगा। जब हमारी टीम अपने निरीक्षण के अंतिम दौर में थी तब राफियाबाद की शिक्षिका शिक्षा मित्र के बारे में पूछने पर आग बबूला हो गई और बोली मीडिया को किस एक्ट के तहत स्कूल देखने का अधिकार प्राप्त है। आपको बताते चलें कि इस स्कूल की अध्यापिका पर देरी से पहुंचने के आरोप लग चुके हैं वहीं मामला बीएसए चंदना इक़बाल यादव के जानकारी में है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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