गोरखपुर: शिक्षामित्रों के आंदोलन ने बेसिक शिक्षा विभाग को भी बैकफुट
पर खड़ा कर दिया है। शिक्षामित्रों के कार्य बहिष्कार के चलते 25 जुलाई से
ही जनपद के 34 प्राथमिक विद्यालयों की पढ़ाई प्रभावित है।
हालांकि सरकार के आश्वासन के बाद बीच में शिक्षामित्र विद्यालय लौट गए थे, लेकिन शिक्षक दिवस पर मानदेय की घोषणा के बाद उनका आंदोलन फिर से शुरू हो चुका है।
जनपद में ऐसे 34 प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर समायोजित होने के बाद शिक्षण कार्य कर रहे थे। ऐसे में उनके कार्य बहिष्कार से इन विद्यालयों की पढ़ाई ठप पड़ गई है। शनिवार को गिरफ्तारी देने और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपने के बाद जिले भर से लगभग दो हजार शिक्षामित्र प्रदर्शन के लिए दिल्ली कूच कर गए हैं। प्रदेश भर के शिक्षामित्र जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे।
शिक्षामित्र प्रदेश सरकार से समान कार्य और समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें किसी भी दशा में मानदेय स्वीकार नहीं है। उनका कहना है कि वे 17 वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। सरकार अब उनकी उपेक्षा कर रही है। शिक्षक दिवस पर 10 हजार रुपये मानदेय की घोषणा कर उनका अपमान किया गया। अब वे केंद्र सरकार से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक पद पर समायोजित करने की मांग करने दिल्ली पहुंचे हैं। शिक्षामित्रों के आंदोलन को देखते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सागर पति त्रिपाठी ने समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे उन विद्यालयों को चिह्नित करें, जहां शिक्षामित्र तैनात हैं। किसी भी दशा में विद्यालयों को बंद न होने दें। आसपास के विद्यालयों से शिक्षकों की व्यवस्था करें। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
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हालांकि सरकार के आश्वासन के बाद बीच में शिक्षामित्र विद्यालय लौट गए थे, लेकिन शिक्षक दिवस पर मानदेय की घोषणा के बाद उनका आंदोलन फिर से शुरू हो चुका है।
जनपद में ऐसे 34 प्राथमिक विद्यालय हैं, जहां शिक्षामित्र सहायक अध्यापक पद पर समायोजित होने के बाद शिक्षण कार्य कर रहे थे। ऐसे में उनके कार्य बहिष्कार से इन विद्यालयों की पढ़ाई ठप पड़ गई है। शनिवार को गिरफ्तारी देने और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपने के बाद जिले भर से लगभग दो हजार शिक्षामित्र प्रदर्शन के लिए दिल्ली कूच कर गए हैं। प्रदेश भर के शिक्षामित्र जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाएंगे।
शिक्षामित्र प्रदेश सरकार से समान कार्य और समान वेतन की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें किसी भी दशा में मानदेय स्वीकार नहीं है। उनका कहना है कि वे 17 वर्ष से शिक्षण कार्य कर रहे हैं। सरकार अब उनकी उपेक्षा कर रही है। शिक्षक दिवस पर 10 हजार रुपये मानदेय की घोषणा कर उनका अपमान किया गया। अब वे केंद्र सरकार से प्राथमिक विद्यालयों में सहायक पद पर समायोजित करने की मांग करने दिल्ली पहुंचे हैं। शिक्षामित्रों के आंदोलन को देखते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राम सागर पति त्रिपाठी ने समस्त खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे उन विद्यालयों को चिह्नित करें, जहां शिक्षामित्र तैनात हैं। किसी भी दशा में विद्यालयों को बंद न होने दें। आसपास के विद्यालयों से शिक्षकों की व्यवस्था करें। छात्रों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
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