संवाद सहयोगी, हाथरस :समायोजन रद हो जाने के बाद से शिक्षामित्र अपना पद वापस पाने के लिए
आंदोलित हैं। अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले अब अपने कर्तव्यों को दरकिनार
करते हुए इस कदर बेपरवाह हो गए हैं कि उन्हें अब बच्चों के भविष्य से कोई
मोह नहीं है।
अपने इस प्रदर्शन के प्रहार से वह लगातार शिक्षा को ही चोट पहुंचा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक उनके इस स्वार्थ भरे रवैये के कारण जिले व देहात के करीब 25 स्कूलों पर ताला लटक गया है। ये वह स्कूल हैं, जो पूरी तरह शिक्षामित्रों पर निर्भर थे। वहीं कई अन्य स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चे शिक्षा पाने की आस में झोला लटकाए स्कूलों तक पहुंचते हैं, पर शिक्षकों के न होने की वजह से उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। बीएस रेखा सुमन के मुताबिक शिक्षामित्रों के कारण 25 विद्यालयों पूरी तरह बंद हैं। करीब एक माह से स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था चरमराई हुई है। वहीं योजनाओं का भी सही तरह से संचालन नहीं हो पा रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद शिक्षामित्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया। इस पर शासन ने दस हजार रुपये मानदेय तय कर किया, जिसके बाद शिक्षामित्रों का आक्रोश फिर से भड़क उठा। पिछले चार दिनों से शिक्षामित्र पालिका में धरना देकर रणनीति बनाने में जुटे हुए थे। इस दौरान बीएसए कार्यालय पर तालाबंदी के अलावा प्रदेश सरकार की शवयात्रा का पुतला दहन किया था। इसके बाद सोमवार को दिल्ली में जाकर शिक्षामित्रों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए प्रदर्शन किया। सुबह बसों और ट्रेनों के जरिए शिक्षामित्र दिल्ली रवाना हो गए थे।
सरकार की नजर
दूसरी ओर अब सरकार भी शिक्षामित्रों के आंदोलन पर लगातार नजर बनाए हुए है। शासन ने स्कूलों में शिक्षामित्रों की अनुपस्थिति की लगातार जांच करते हुए रिपोर्ट बनाकर भेजने के निर्देश दिए हैं।
ये स्कूल प्रभावित
नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बालक लालडिग्गी, बालिका विद्यालय लालडिग्गी, प्राथमिक विद्यालय सड़क चक्कर, प्राथमिक विद्यालय बालक रमनपुर, प्राथमिक विद्यालय बालिका रमनपुर, प्राथमिक विद्यालय गौशाला, जूनियर विद्यालय गौशाला, प्राथमिक विद्यालय चक्रधारी शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे हैं। नगर शिक्षा अधिकारी जमुना प्रसाद सुमन ने बताया कि शिक्षामित्रों के सहारे जो विद्यालय चल रहे थे। अब उन 11 विद्यालयों में ताले पड़ गए हैं।
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अपने इस प्रदर्शन के प्रहार से वह लगातार शिक्षा को ही चोट पहुंचा रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक उनके इस स्वार्थ भरे रवैये के कारण जिले व देहात के करीब 25 स्कूलों पर ताला लटक गया है। ये वह स्कूल हैं, जो पूरी तरह शिक्षामित्रों पर निर्भर थे। वहीं कई अन्य स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चे शिक्षा पाने की आस में झोला लटकाए स्कूलों तक पहुंचते हैं, पर शिक्षकों के न होने की वजह से उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता है। बीएस रेखा सुमन के मुताबिक शिक्षामित्रों के कारण 25 विद्यालयों पूरी तरह बंद हैं। करीब एक माह से स्कूलों में पढ़ाई व्यवस्था चरमराई हुई है। वहीं योजनाओं का भी सही तरह से संचालन नहीं हो पा रहा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद शिक्षामित्रों ने विरोध-प्रदर्शन किया। इस पर शासन ने दस हजार रुपये मानदेय तय कर किया, जिसके बाद शिक्षामित्रों का आक्रोश फिर से भड़क उठा। पिछले चार दिनों से शिक्षामित्र पालिका में धरना देकर रणनीति बनाने में जुटे हुए थे। इस दौरान बीएसए कार्यालय पर तालाबंदी के अलावा प्रदेश सरकार की शवयात्रा का पुतला दहन किया था। इसके बाद सोमवार को दिल्ली में जाकर शिक्षामित्रों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए प्रदर्शन किया। सुबह बसों और ट्रेनों के जरिए शिक्षामित्र दिल्ली रवाना हो गए थे।
सरकार की नजर
दूसरी ओर अब सरकार भी शिक्षामित्रों के आंदोलन पर लगातार नजर बनाए हुए है। शासन ने स्कूलों में शिक्षामित्रों की अनुपस्थिति की लगातार जांच करते हुए रिपोर्ट बनाकर भेजने के निर्देश दिए हैं।
ये स्कूल प्रभावित
नगर क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बालक लालडिग्गी, बालिका विद्यालय लालडिग्गी, प्राथमिक विद्यालय सड़क चक्कर, प्राथमिक विद्यालय बालक रमनपुर, प्राथमिक विद्यालय बालिका रमनपुर, प्राथमिक विद्यालय गौशाला, जूनियर विद्यालय गौशाला, प्राथमिक विद्यालय चक्रधारी शिक्षामित्रों के सहारे चल रहे हैं। नगर शिक्षा अधिकारी जमुना प्रसाद सुमन ने बताया कि शिक्षामित्रों के सहारे जो विद्यालय चल रहे थे। अब उन 11 विद्यालयों में ताले पड़ गए हैं।
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