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युवाओं को रास नहीं आ रही सरकार की रोजगार नीति

बहराइच : प्रदेश सरकार ने रिटायर शिक्षकों को फिर से संविदा पर रखने का ऐलान किया है। सरकार के इस फरमान से युवाओं में नाराजगी है। एक तरफ सरकार कार्य कर रहे कर्मियों की 50 साल की उम्र पार करने के बाद दक्षता मूल्यांकन कर उन्हें अयोग्य बताकर बाहर कर रही है।
दूसरी ओर रिटायर कर्मियों को फिर से संविदा पर रख युवाओं के अवसर को खत्म करने पर जुटी है। परस्पर विरोधाभासी इन निर्णयों को युवा गलत ठहरा रहे है। रिक्त पदों पर भर्ती शुरू कर युवाओं को रोजगार देने की मांग तेज हो रही है।
प्रदेश सरकार के छह माह पूरे हो चुके है। नौकरी देने के लिए भर्तियां शुरू नहीं हो पायी है। इस बीच सरकार ने अस्पतालों में सेवानिवृत्त चिकित्सक, राजकीय इंटर कॉलेजों व डिग्री कॉलेजों में रिटायर हो चुके शिक्षकों को फिर से संविदा पर रखने की घोषणा कर दी है। युवा धुव्र कुमार मिश्र ने बताया कि सरकार की नीति परस्पर विरोधाभासी दिख रही है। डिग्री कॉलेजों में रिटायर हो चुके 70 साल के शिक्षकों को संविदा पर रखने की तैयारी सरकार कर रही है। ये शिक्षक दक्ष है या नहीं सरकार इस पर मौन हो गई है। विशाल शुक्ला ने बताया कि सेवानिवृत्त के बाद कर्मचारी दक्ष रह गया या नहीं, इसके मूल्यांकन के लिए सरकार ने कोई ठोस नीति का निर्धारण नहीं किया है। अलबत्ता इंटरव्यू लेकर चयन की प्रक्रिया हो रही है। हाल ही में राजकीय इंटर कॉलेजों में रिक्त पदों पर रिटायर शिक्षकों को संविदा पर रखने की प्रक्रिया आयोजित की गई। अमित शुक्ल ने बताया कि पहले से ही रिटायर ये कर्मी अच्छी खासी पेंशन पा रहे है सरकार इन्हें फिर से रोजगार देने पर जुट गई है। इससे युवाओं के अवसर सिमट रहे है। अमरनाथ ने बताया कि सरकार नैसर्गिक नियमों को तोड़ मनमाने तरीके से काम कर रही है। ऐसा नहीं है कि पहले नियम गलत थे।
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