*शिक्षामित्रों / अनुदेशको की संविदा अवधि शिक्षकों के पद भरे जाने तक:*
यूपी के शिक्षामित्रों के
नियुक्ति/समायोजन को
एकल पीठ से लेकर मा0
सुप्रीम कोर्ट तक आर्टिकल-14,16,309 के मद्देनजर असवैधानिक करार किया जा चुका है।
अब पूरे देश मे कभी भी शिक्षा विभाग में इस तरह की नियुक्ति होना सम्भव नही हो पायेगा।
केंद्र सरकार की संस्तुति और राज्य सरकार की कार्यवाही से प्रदेश के करीब 1 लाख साक्षर भारत मिशन के तहत कार्यरत जिला समन्वयक,ब्लॉक समन्वयक,प्रेरक जो कि संविदा पर कार्यरत थे,सेवाएं 1 अक्टूबर से समाप्त हो चुकी है।
कही न कही ये *नई शिक्षा नीति-2016* तहत हुआ है।
ज्ञातव्य हो कि ये सभी कर्मी एक मिशन के तहत एक निश्चित सीमा तक ही कार्यरत थे,जिनकी समय सीमा समाप्त हो गयी।
यूपी के शिक्षामित्र का समायोजन रद्द होने से उत्पन्न विकट परिस्थिति से आंशिक समय के निदान के लिए मा0 सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को संविदा पर रखने के लिए सुझाव दिया,जिसका पालन राज्य सरकार ने बखूबी किया भी। आखिर में इसके अलावा राज्य करता भी क्या?
ज्ञातव्य हो कि शिक्षामित्र योजना एक मिशन/अभियान के तहत ही अभ्यर्थियों की अनुपलब्धता होने की वजह से ही 1999 में शुरू की गई। जिसका उद्देश्य अब लगभग पूरा हो चुका है। अब आगामी शिक्षा प्रणाली *नई शिक्षा नीति-2016* पर आधारित होगी। जिसके तहत नियमित रूप से कार्यरत परिषदीय शिक्षक का मूल्यांकन,उनकी सेवाएं उनकी जवाबदेही पर निर्भर करेगी। इसी नीति के तहत संविदा कर्मियों को हटाया जाना सुनिश्चित होगा।
लगभग सवा लाख शिक्षामित्र संविदा पर तभी तक कार्यरत रहेंगे जब तक समायोजन से खाली हुए पद नियमित नियुक्ति से नही भरे जा रहे। सरकार पूरे मनोयोग से खाली पड़े पदों को भरने की जुगत में लग गयी है। सरकार इसमे सफल भी हो जाएगी।
नियमित नियुक्ति से रिक्त पद भरते ही शिक्षामित्र संविदा आधारित पद का कोई भी औचित्य नही रह जाएगा,जिससे उन्हें विभाग से सेवामुक्त करने में जरा भी देरी नही होगी।
यही स्थिति उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशको के समक्ष भी उतपन्न होगी।
इसलिए यूपी के शिक्षामित्र नियमित पद भरे जाने तक अपने रोजगार का इंतज़ाम ढूंढ ले। अन्यथा स्थिति और भी भीषण हो जाएगी।
*इस मामले में मा0 न्यायालय भी संविदा कर्मियों को कोई भी राहत देने में सक्षम नही होगी।*
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यूपी के शिक्षामित्रों के
नियुक्ति/समायोजन को
एकल पीठ से लेकर मा0
सुप्रीम कोर्ट तक आर्टिकल-14,16,309 के मद्देनजर असवैधानिक करार किया जा चुका है।
अब पूरे देश मे कभी भी शिक्षा विभाग में इस तरह की नियुक्ति होना सम्भव नही हो पायेगा।
केंद्र सरकार की संस्तुति और राज्य सरकार की कार्यवाही से प्रदेश के करीब 1 लाख साक्षर भारत मिशन के तहत कार्यरत जिला समन्वयक,ब्लॉक समन्वयक,प्रेरक जो कि संविदा पर कार्यरत थे,सेवाएं 1 अक्टूबर से समाप्त हो चुकी है।
कही न कही ये *नई शिक्षा नीति-2016* तहत हुआ है।
ज्ञातव्य हो कि ये सभी कर्मी एक मिशन के तहत एक निश्चित सीमा तक ही कार्यरत थे,जिनकी समय सीमा समाप्त हो गयी।
यूपी के शिक्षामित्र का समायोजन रद्द होने से उत्पन्न विकट परिस्थिति से आंशिक समय के निदान के लिए मा0 सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को संविदा पर रखने के लिए सुझाव दिया,जिसका पालन राज्य सरकार ने बखूबी किया भी। आखिर में इसके अलावा राज्य करता भी क्या?
ज्ञातव्य हो कि शिक्षामित्र योजना एक मिशन/अभियान के तहत ही अभ्यर्थियों की अनुपलब्धता होने की वजह से ही 1999 में शुरू की गई। जिसका उद्देश्य अब लगभग पूरा हो चुका है। अब आगामी शिक्षा प्रणाली *नई शिक्षा नीति-2016* पर आधारित होगी। जिसके तहत नियमित रूप से कार्यरत परिषदीय शिक्षक का मूल्यांकन,उनकी सेवाएं उनकी जवाबदेही पर निर्भर करेगी। इसी नीति के तहत संविदा कर्मियों को हटाया जाना सुनिश्चित होगा।
लगभग सवा लाख शिक्षामित्र संविदा पर तभी तक कार्यरत रहेंगे जब तक समायोजन से खाली हुए पद नियमित नियुक्ति से नही भरे जा रहे। सरकार पूरे मनोयोग से खाली पड़े पदों को भरने की जुगत में लग गयी है। सरकार इसमे सफल भी हो जाएगी।
नियमित नियुक्ति से रिक्त पद भरते ही शिक्षामित्र संविदा आधारित पद का कोई भी औचित्य नही रह जाएगा,जिससे उन्हें विभाग से सेवामुक्त करने में जरा भी देरी नही होगी।
यही स्थिति उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अंशकालिक अनुदेशको के समक्ष भी उतपन्न होगी।
इसलिए यूपी के शिक्षामित्र नियमित पद भरे जाने तक अपने रोजगार का इंतज़ाम ढूंढ ले। अन्यथा स्थिति और भी भीषण हो जाएगी।
*इस मामले में मा0 न्यायालय भी संविदा कर्मियों को कोई भी राहत देने में सक्षम नही होगी।*
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