लखनऊ.वायरल हो रहे फर्जी सरकारी आदेशों के लेटर पर साइबर सेल लगाम नहीं लगा पा रही है। इन सूचनाओं से जहां लोग भ्रमित हो रहे हैं, वहीं अफसरों की भी नींद उड़ी हुई है।
तीन महीने के भीतर तीसरी बार फर्जी लेटर वायरल हो चुका है। हालांकि, इस पर लगाम लगाने और ऐसा करने वालों पर शिकंजा कसने की बात हर बार कही जाती है, लेकिन आज तक साइबर सेल इसमें कामयाब नहीं हो सका है। आगे पढ़िए कब-कब हुए हैं फर्जी लेटर वायरल...
केस-1: 9 अगस्त 2017
-सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद बीते 9 अगस्त को एक फर्जी लेटर वायरल हुआ था। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रदेश के समस्त शिक्षामित्रों के समक्ष रोजी-रोटी का प्रश्न आ खड़ा हुआ है। इसलिए सीएम के निर्देशानुसार विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यूपी के समस्त शिक्षामित्रों का मानदेय तत्काल प्रभाव से 17000 रुपए नियत किया जाता है।
-सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा के हस्ताक्षर से जारी लेटर बे.सि.प/9460-9640/2017-18 तारीख 8.8.2017 में जारी किया गया था। लेटर में यह भी लिखा गया था कि प्रदेश के समस्त बीएसए को आदेशित किया जाता है कि वे अपने जिले के सभी समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय में उक्त मानदेय पर अविलम्ब कार्यभार ग्रहण करवाकर आख्या शासन को प्रेषित करें।
-यदि आपके जिले का कोई समायोजित शिक्षामित्र उक्त मानदेय पर अपना कार्यभार 7 कार्य दिवसों के भीतर ग्रहण नहीं करता है, तो उसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाए। जबकि सचिव संजय शर्मा से पूछने पर उन्होंने इसे पूरी तरह फर्जी बताया था।
केस-2: 28 सितम्बर 2017
-बीते 28 सितम्बर को भी वायरल एक लेटर से हड़कंप मच गया। लेटर में लिखा था कि मनरेगा योजना के तहत ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर साल 2006-07 में हुई थी। उस समय यह अनुबंध किया गया था कि आपकी सेवाएं एक वर्ष या अधिकतम 3 वर्ष के लिए होंगी। इसके बाद आपकी संविदा स्वतः समाप्त हो जाएगी।
-कार्यालय के पत्र संख्या 211/1953/2010-11, 20 अप्रैल 2010 के माध्यम से मनरेगा अंतर्गत ग्राम रोजगार सेवकों की संविदा समाप्त की गई थी, यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो। यह लेटर आयुक्त मनरेगा पार्थ सारथी सेन शर्मा के आदेश से जारी किया गया था जिसमें उनका फर्जी सिग्नेचर भी किया गया था। जबकि आयुक्त पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसे सिरे से खारिज करते हुए फर्जी करार दिया था।
केस-3: 21 अक्टूबर 2017
-निकाय चुनाव की आरक्षण सूची के संदर्भ में एक फर्जी लेटर बीते शनिवार (21 अक्टूबर) की देर रात वायरल हुआ था। लेटर में नगर पालिका की 30 सीटों पर आरक्षण सूची में बदलाव किया गया था।
-इस मामले की पुष्टि के लिए देर रात तक लोग नगर विकास विभाग के अधिकारयों से सम्पर्क करते रहे। लेटर में विशेष सचिव नगर विकास शैलेन्द्र कुमार सिंह की साइन थी।
-सूची जब संबंधित जिलों में वायरल हुई तो वहां चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों में हड़कंप मच गया। हालांकि, जल्द ही इस पर नगर विकास विभाग के अधिकारियों की सफाई मीडिया पर आने लगी। जब इस पर विशेष सचिव से बात की गई तो उन्होंने इसे पूरी तरह से फर्जी करार दिया।
क्या कहते हैं अधिकारी
-इस बारे में आईजी लॉ एंड आर्डर हरिराम शर्मा ने बताया, सोशल मीडिया पर इस तरह के मामलों की मॉनीटरिंग के लिए स्पेशल सेल बना है, जहां इसकी मॉनीटरिंग होती रहती है।
-इसके अतरिक्त अगर संबंधित विभाग द्वारा कोई शिकायत आएगी तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।
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तीन महीने के भीतर तीसरी बार फर्जी लेटर वायरल हो चुका है। हालांकि, इस पर लगाम लगाने और ऐसा करने वालों पर शिकंजा कसने की बात हर बार कही जाती है, लेकिन आज तक साइबर सेल इसमें कामयाब नहीं हो सका है। आगे पढ़िए कब-कब हुए हैं फर्जी लेटर वायरल...
केस-1: 9 अगस्त 2017
-सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द होने के बाद बीते 9 अगस्त को एक फर्जी लेटर वायरल हुआ था। जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद प्रदेश के समस्त शिक्षामित्रों के समक्ष रोजी-रोटी का प्रश्न आ खड़ा हुआ है। इसलिए सीएम के निर्देशानुसार विभाग द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि यूपी के समस्त शिक्षामित्रों का मानदेय तत्काल प्रभाव से 17000 रुपए नियत किया जाता है।
-सचिव बेसिक शिक्षा परिषद संजय सिन्हा के हस्ताक्षर से जारी लेटर बे.सि.प/9460-9640/2017-18 तारीख 8.8.2017 में जारी किया गया था। लेटर में यह भी लिखा गया था कि प्रदेश के समस्त बीएसए को आदेशित किया जाता है कि वे अपने जिले के सभी समायोजित शिक्षामित्रों को उनके मूल विद्यालय में उक्त मानदेय पर अविलम्ब कार्यभार ग्रहण करवाकर आख्या शासन को प्रेषित करें।
-यदि आपके जिले का कोई समायोजित शिक्षामित्र उक्त मानदेय पर अपना कार्यभार 7 कार्य दिवसों के भीतर ग्रहण नहीं करता है, तो उसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी जाए। जबकि सचिव संजय शर्मा से पूछने पर उन्होंने इसे पूरी तरह फर्जी बताया था।
केस-2: 28 सितम्बर 2017
-बीते 28 सितम्बर को भी वायरल एक लेटर से हड़कंप मच गया। लेटर में लिखा था कि मनरेगा योजना के तहत ग्राम रोजगार सेवकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर साल 2006-07 में हुई थी। उस समय यह अनुबंध किया गया था कि आपकी सेवाएं एक वर्ष या अधिकतम 3 वर्ष के लिए होंगी। इसके बाद आपकी संविदा स्वतः समाप्त हो जाएगी।
-कार्यालय के पत्र संख्या 211/1953/2010-11, 20 अप्रैल 2010 के माध्यम से मनरेगा अंतर्गत ग्राम रोजगार सेवकों की संविदा समाप्त की गई थी, यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो। यह लेटर आयुक्त मनरेगा पार्थ सारथी सेन शर्मा के आदेश से जारी किया गया था जिसमें उनका फर्जी सिग्नेचर भी किया गया था। जबकि आयुक्त पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसे सिरे से खारिज करते हुए फर्जी करार दिया था।
केस-3: 21 अक्टूबर 2017
-निकाय चुनाव की आरक्षण सूची के संदर्भ में एक फर्जी लेटर बीते शनिवार (21 अक्टूबर) की देर रात वायरल हुआ था। लेटर में नगर पालिका की 30 सीटों पर आरक्षण सूची में बदलाव किया गया था।
-इस मामले की पुष्टि के लिए देर रात तक लोग नगर विकास विभाग के अधिकारयों से सम्पर्क करते रहे। लेटर में विशेष सचिव नगर विकास शैलेन्द्र कुमार सिंह की साइन थी।
-सूची जब संबंधित जिलों में वायरल हुई तो वहां चुनाव की तैयारी कर रहे प्रत्याशियों में हड़कंप मच गया। हालांकि, जल्द ही इस पर नगर विकास विभाग के अधिकारियों की सफाई मीडिया पर आने लगी। जब इस पर विशेष सचिव से बात की गई तो उन्होंने इसे पूरी तरह से फर्जी करार दिया।
क्या कहते हैं अधिकारी
-इस बारे में आईजी लॉ एंड आर्डर हरिराम शर्मा ने बताया, सोशल मीडिया पर इस तरह के मामलों की मॉनीटरिंग के लिए स्पेशल सेल बना है, जहां इसकी मॉनीटरिंग होती रहती है।
-इसके अतरिक्त अगर संबंधित विभाग द्वारा कोई शिकायत आएगी तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।
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