चन्दौसी : आर्थिक रूप से कमजोर परिवार वालों के लिए राहतभरी खबर है। अब परिषदीय विद्यालय सीबीएसई की तर्ज पर संचालित होंगे, जिससे कि उनके बच्चों को निश्शुल्क अच्छी शिक्षा मिल सके।
अप्रैल 2018 से शुरू होने वाले शिक्षा सत्र में प्रत्येक विकास खंड से पांच-पांच स्कूलों को चिह्न्ति किया जाएगा। योजना सफल होने पर प्रत्येक स्कूल में शिक्षा को लेकर परिवर्तन किया जाएगा।
परिषदीय विद्यालयों में लगातार घट रही छात्र संख्या के कारण पढ़ाई पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोगों का मानना है कि जिन स्कूलों में बच्चों को खाने से लेकर ड्रेस तक निश्शुल्क मिलने की व्यवस्था है, बावजूद इसके छात्र संख्या का घटना एक बड़ी समस्या है। परिघदीय विद्यालयों को लेकर आम धारणा है कि इन स्कूलों में शिक्षक आते ही नहीं हैं। आते भी हैं तो पढ़ाते नहीं हैं। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान भी तमाम शिकायतें मिलती रहती हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होने के कारण अभिभावकों का विश्वास परिषदीय विद्यालयों से उठ गया है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष छात्र संख्या घट जाती है।
शिक्षा में सुधार लाने के लिए सरकार ने कदम बढ़ाया है। अब परिषदीय विद्यालयों में सीबीएसई की तर्ज पर पढ़ाई होगी। हालांकि इसके लिए सरकार को काफी मेहनत करने की जरूरत है। स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ नियुक्त करना होगा। बच्चों के बैठने के लिए बेंच व कुर्सी की व्यवस्था भी करनी होगी।
अब देखना यह है कि सरकार बच्चों के भविष्य के लिए कितना कर पाती है। बेसिक शिक्षाधिकारी डॉ.सत्यनारायण ने बताया कि अभी शासनादेश जारी नहीं हुआ है लेकिन सरकार की मंशा है कि स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरे।
लखनऊ में संपन्न हुई बैठक में बात सामने आई थी कि प्रत्येक विकास खंड से पांच-पांच स्कूलों को चिह्न्ति करके पढ़ाई में बदलाव किया जाए। बच्चों की अंग्रेजी पर ज्यादा जोर दिया जाए।
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अप्रैल 2018 से शुरू होने वाले शिक्षा सत्र में प्रत्येक विकास खंड से पांच-पांच स्कूलों को चिह्न्ति किया जाएगा। योजना सफल होने पर प्रत्येक स्कूल में शिक्षा को लेकर परिवर्तन किया जाएगा।
परिषदीय विद्यालयों में लगातार घट रही छात्र संख्या के कारण पढ़ाई पर सवाल खड़े हो गए हैं। लोगों का मानना है कि जिन स्कूलों में बच्चों को खाने से लेकर ड्रेस तक निश्शुल्क मिलने की व्यवस्था है, बावजूद इसके छात्र संख्या का घटना एक बड़ी समस्या है। परिघदीय विद्यालयों को लेकर आम धारणा है कि इन स्कूलों में शिक्षक आते ही नहीं हैं। आते भी हैं तो पढ़ाते नहीं हैं। अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान भी तमाम शिकायतें मिलती रहती हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार नहीं होने के कारण अभिभावकों का विश्वास परिषदीय विद्यालयों से उठ गया है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष छात्र संख्या घट जाती है।
शिक्षा में सुधार लाने के लिए सरकार ने कदम बढ़ाया है। अब परिषदीय विद्यालयों में सीबीएसई की तर्ज पर पढ़ाई होगी। हालांकि इसके लिए सरकार को काफी मेहनत करने की जरूरत है। स्कूलों में पर्याप्त स्टाफ नियुक्त करना होगा। बच्चों के बैठने के लिए बेंच व कुर्सी की व्यवस्था भी करनी होगी।
अब देखना यह है कि सरकार बच्चों के भविष्य के लिए कितना कर पाती है। बेसिक शिक्षाधिकारी डॉ.सत्यनारायण ने बताया कि अभी शासनादेश जारी नहीं हुआ है लेकिन सरकार की मंशा है कि स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरे।
लखनऊ में संपन्न हुई बैठक में बात सामने आई थी कि प्रत्येक विकास खंड से पांच-पांच स्कूलों को चिह्न्ति करके पढ़ाई में बदलाव किया जाए। बच्चों की अंग्रेजी पर ज्यादा जोर दिया जाए।
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